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अजीत डोभाल तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने, 2014 से संभाल रहे हैं जिम्मेदारी - Ajit Doval NSA

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 13, 2024, 5:11 PM IST

Ajit Doval NSA: वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल को लगातार तीसरी बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) नियुक्त किया गया है. वह 30 मई, 2014 से एनएसए की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और चीन के साथ सीमा विवाद से जुड़े मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पढ़ें पूरी खबर.

NSA Ajit Doval
अजीत डोभाल (ANI)

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल को एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) बनाया है. वह तीसरी बार यह जिम्मेदारी संभालेंगे. वहीं, कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने फिर से आईएएस अधिकारी (रिटायर्ड) पीके मिश्रा को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दी है. उनकी नियुक्ति 10 जून 2024 से प्रभावी होगी और प्रधानमंत्री के कार्यकाल या अगले आदेश तक रहेगी. मिश्रा को अपने कार्यकाल के दौरान कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त रहेगा. इसके अलावा अमित खरे और तरुण कपूर को पीएमओ में प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है.

1968 बैच के आईपीएस अधिकारी डोभाल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश की सत्ता संभालने के बाद से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. वह पीएम मोदी के सबसे विश्वासपात्र अधिकारी माने जाते हैं. डोभाल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ है.

अजीत डोभाल
अजीत डोभाल (ANI)

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में अजीत डोभाल का दूसरा कार्यकाल 3 जून को पूरा हो गया था. इसके बाद चर्चा शुरू हो गई थी कि क्या देश को इस बाद नया एनएसए मिलेगा, लेकिन कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने एक बार फिर डोभाल के नाम पर मुहर लगाई. सूत्रों का कहना था कि डोभाल इस बार एनएसए बनने को लेकर इच्छुक नहीं थे. उन्होंने इस संबंध में पीएम मोदी को भी अवगत करा दिया था.

30 मई, 2014 को पहली बार एनएसए बने डोभाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 26 मई 2014 को पहली बार कार्यभार संभालने के बाद 30 मई, 2014 को डोभाल को एनएसए के रूप में नियुक्त किया गया था. एनएसए के रूप में अपनी नियुक्ति के बाद डोभाल ने इराक से 46 भारतीय नर्सों की वापसी में मदद की, जो आतंकी संगठन आईएसआईए के हमले के बाद इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंस गई थीं. एनएसए का पदभार संभालने से पहले डोभाल आईबी के निदेशक थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एनएसए अजीत डोभाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एनएसए अजीत डोभाल (ANI)

एनएसए डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के साथ भारत की खुफिया एजेंसी रॉ की भी निगरानी करते हैं. डोभाल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और मध्य पूर्व में करीबी संबंधों के माहिर माने जाते हैं. अजीत डोभाल 2017 में चीन के साथ डोकलाम गतिरोध और 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की आक्रामकता का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वह चीन के साथ सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि भी हैं.

अजीत डोभाल ने पंजाब में आईबी के संचालन प्रमुख के रूप में और कश्मीर में अतिरिक्त निदेशक के रूप में भी काम किया है, इसलिए उन्होंने दोनों संवेदनशील राज्यों में पाकिस्तान की नापाक साजिशों का गहन अनुभव है. खालिस्तानी उग्रवाद और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद और जिहाद से निपटने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

अजीत डोभाल
अजीत डोभाल (ANI)

ऑपरेशन ब्लैक थंडर के दौरान बने आईएसआई एजेंट
डोभाल ने 1988 में ऑपरेशन ब्लैक थंडर के दौरान आईएसआई एजेंट बनकर स्वर्ण मंदिर में घुसपैठ की और खालिस्तानी अलगाववादियों के पास मौजूद हथियारों और अन्य दस्तावेजों के बारे में जानकारी जुटाई. इस रणनीति ने बाद में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) को खालिस्तानी अलगाववादियों से स्वर्ण मंदिर को मुक्त कराने में मदद की. 1999 में एअर इंडिया के विमान आईसी 814 के अपहरण के बाद कंधार में चार सदस्यीय वार्ता दल का नेतृत्व करके डोभाल ने अहम भूमिका निभाई थी.

गृह मंत्री अमित शाह के साथ एनएसए अजीत डोभाल
गृह मंत्री अमित शाह के साथ एनएसए अजीत डोभाल (ANI)

NSA के रूप में डोभाल की भूमिका
एनएसए के रूप में डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार की भूमिका निभाते हैं. वह भारत के आंतरिक और बाहरी खतरों से संबंधित सभी मामलों पर नियमित रूप से प्रधानमंत्री को सलाह देते हैं. साथ ही सरकार की ओर से रणनीतिक और संवेदनशील मुद्दों की निगरानी करते हैं. डोभाल का काम सभी सुरक्षा एजेंसियों जैसे- रॉ, आईबी, एनटीआरओ, एमआई, डीआईए, एनआईए से खुफिया जानकारी प्राप्त कर उसे प्रधानमंत्री के साथ साझा करना है.

यह भी पढ़ें- 'अगर सीमाएं सुरक्षित रहतीं तो भारत और तेजी से प्रगति करता', NSA अजीत डोभाल ने कहा

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल को एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) बनाया है. वह तीसरी बार यह जिम्मेदारी संभालेंगे. वहीं, कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने फिर से आईएएस अधिकारी (रिटायर्ड) पीके मिश्रा को प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दी है. उनकी नियुक्ति 10 जून 2024 से प्रभावी होगी और प्रधानमंत्री के कार्यकाल या अगले आदेश तक रहेगी. मिश्रा को अपने कार्यकाल के दौरान कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त रहेगा. इसके अलावा अमित खरे और तरुण कपूर को पीएमओ में प्रधानमंत्री के सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है.

1968 बैच के आईपीएस अधिकारी डोभाल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश की सत्ता संभालने के बाद से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की जिम्मेदारी निभा रहे हैं. वह पीएम मोदी के सबसे विश्वासपात्र अधिकारी माने जाते हैं. डोभाल को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ है.

अजीत डोभाल
अजीत डोभाल (ANI)

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में अजीत डोभाल का दूसरा कार्यकाल 3 जून को पूरा हो गया था. इसके बाद चर्चा शुरू हो गई थी कि क्या देश को इस बाद नया एनएसए मिलेगा, लेकिन कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने एक बार फिर डोभाल के नाम पर मुहर लगाई. सूत्रों का कहना था कि डोभाल इस बार एनएसए बनने को लेकर इच्छुक नहीं थे. उन्होंने इस संबंध में पीएम मोदी को भी अवगत करा दिया था.

30 मई, 2014 को पहली बार एनएसए बने डोभाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 26 मई 2014 को पहली बार कार्यभार संभालने के बाद 30 मई, 2014 को डोभाल को एनएसए के रूप में नियुक्त किया गया था. एनएसए के रूप में अपनी नियुक्ति के बाद डोभाल ने इराक से 46 भारतीय नर्सों की वापसी में मदद की, जो आतंकी संगठन आईएसआईए के हमले के बाद इराक के तिकरित में एक अस्पताल में फंस गई थीं. एनएसए का पदभार संभालने से पहले डोभाल आईबी के निदेशक थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एनएसए अजीत डोभाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एनएसए अजीत डोभाल (ANI)

एनएसए डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों के साथ भारत की खुफिया एजेंसी रॉ की भी निगरानी करते हैं. डोभाल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और मध्य पूर्व में करीबी संबंधों के माहिर माने जाते हैं. अजीत डोभाल 2017 में चीन के साथ डोकलाम गतिरोध और 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की आक्रामकता का मुकाबला करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. वह चीन के साथ सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए भारत के विशेष प्रतिनिधि भी हैं.

अजीत डोभाल ने पंजाब में आईबी के संचालन प्रमुख के रूप में और कश्मीर में अतिरिक्त निदेशक के रूप में भी काम किया है, इसलिए उन्होंने दोनों संवेदनशील राज्यों में पाकिस्तान की नापाक साजिशों का गहन अनुभव है. खालिस्तानी उग्रवाद और पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद और जिहाद से निपटने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

अजीत डोभाल
अजीत डोभाल (ANI)

ऑपरेशन ब्लैक थंडर के दौरान बने आईएसआई एजेंट
डोभाल ने 1988 में ऑपरेशन ब्लैक थंडर के दौरान आईएसआई एजेंट बनकर स्वर्ण मंदिर में घुसपैठ की और खालिस्तानी अलगाववादियों के पास मौजूद हथियारों और अन्य दस्तावेजों के बारे में जानकारी जुटाई. इस रणनीति ने बाद में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) को खालिस्तानी अलगाववादियों से स्वर्ण मंदिर को मुक्त कराने में मदद की. 1999 में एअर इंडिया के विमान आईसी 814 के अपहरण के बाद कंधार में चार सदस्यीय वार्ता दल का नेतृत्व करके डोभाल ने अहम भूमिका निभाई थी.

गृह मंत्री अमित शाह के साथ एनएसए अजीत डोभाल
गृह मंत्री अमित शाह के साथ एनएसए अजीत डोभाल (ANI)

NSA के रूप में डोभाल की भूमिका
एनएसए के रूप में डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार की भूमिका निभाते हैं. वह भारत के आंतरिक और बाहरी खतरों से संबंधित सभी मामलों पर नियमित रूप से प्रधानमंत्री को सलाह देते हैं. साथ ही सरकार की ओर से रणनीतिक और संवेदनशील मुद्दों की निगरानी करते हैं. डोभाल का काम सभी सुरक्षा एजेंसियों जैसे- रॉ, आईबी, एनटीआरओ, एमआई, डीआईए, एनआईए से खुफिया जानकारी प्राप्त कर उसे प्रधानमंत्री के साथ साझा करना है.

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