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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद बोले- अब तक असली हिंदू प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति नहीं बने, अगर होते तो गोहत्या पर रोक लगाते - Avimukteshwarananda

देशव्यापी गोरक्षा गोप्रतिष्ठा यात्रा लेकर लखनऊ पहुंचे ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद सरस्वती ने मीडिया से बातचीत करते हुए वर्तमान और पूर्व की सरकारों को घेरा. उन्होंने कहा कि जब यात्रा शुरू की तो नागालैंड भाजपा के विरोध का सामना करना पड़ा.

मीडिया से बातचीत करते शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद.
मीडिया से बातचीत करते शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 23, 2024, 4:43 PM IST

लखनऊः ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद सरस्वती ने कहा कि अभी तक देश में असली हिंदू राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नहीं हुए. जो भी खुद को हिंदू होने का दावा कर रहे हैं, वह असली हिंदू नहीं है. अगर असली हिंदू होते तो देश में एक भी गौ हत्या नहीं होती. मुझ पर आरोप लगते हैं कि भाजपा के खिलाफ बोलते हैं लेकिन हम भाजपा की लुटिया नहीं डुबो रहे. हम उन सभी कसाई पार्टियों की लुटिया डुबो रहे हैं, जो गौ हत्या को बढ़ावा दे रहे हैं. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से गंगा और गौ माता की रक्षा को लेकर कई बार समय मांगा है, लेकिन किसी ने भी समय नहीं दिया.

पीएम मोदी का अब गोमाता के लिए नहीं तड़पता दिलः लखनऊ में मीडिया से बातचीत करते हुए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद सरस्वती ने कहा कि गद्दी पर बैठने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते थे कि गोमाता की हत्या पर उनका दिल तड़पता है. लेकिन पर वह तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने गए हैं, क्या अब उनका दिल नहीं तड़प रहा है. शंकराचार्य ने गोरक्षा के नाम पर देश के विभिन्न राज्यों में बने कानून को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि वह कानून ऐसा है, जो गो हत्या रोकने के बजाय उसे एक निश्चित स्थान पर करने की छूट देता है. हम पूरे देश में गो हत्या पर प्रतिबंध लगाने के साथ गौ माता को राष्ट्रीय माता बनाने की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही गोमाता पशुओं की श्रेणी से बाहर करने की मांग कर रहे हैं. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद सरस्वती सोमवार को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस अवसर पर उन्होंने सभी धर्माचार्य का आह्वान किया कि वह मंदिरों की मर्यादा सुरक्षित रखने के लिए एकजुट हो. शंकराचार्य ने कहा कि इस गौ रक्षा यात्रा को सभी चारों शंकराचार्य की सहमति के बाद ही शुरू किया गया है.

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद सरस्वती (Video Credit; ETV Bharat)

नागालैंड में भाजपा गोरक्षा यात्रा का किया विरोध, मेरे प्रवेश पर लगाई बैनः शंकराचार्य ने कहा कि जब हमने 33 दिनों की यात्रा गोमाता को राष्ट्र माता बनाने के लिए निकली. इसका सबसे पहले विरोध हमें मुसलमान और ईसाइयों की तरफ से होगा, इसका अंदेशा था. लेकिन हमारी यात्रा का सबसे पहले विरोध नागालैंड में बीजेपी की तरफ से किया गया. नागालैंड बीजेपी की तरफ से एक पत्र लिखा गया और उसमें कहा गया कि इस राज्य की सभ्यता और संस्कृति में गाय को खाना शामिल है. ऐसे में मेरा वहां प्रवेश न करने की बात कही गई. इसके बाद वहां के विभिन्न संस्थाओं द्वारा भी इस संदर्भ में पत्र जारी किया गया. साथ ही वहां की भाजपा की सरकार ने अपने सभी सहयोगी दलों की एक बैठक बुलाकर एक आदेश पारित किया और कहा गया कि नागालैंड में शंकराचार्य के प्रवेश को बैन किया जाता है. नागालैंड जाने के अपने कार्यक्रम को रद्द नहीं किया है.

सबसे अधिक गोमांस का निर्यात यूपी से होता हैः शंकराचार्य ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश और वहां के जो स्टूडेंट यूनियन ने अपने एक छात्र नेता को आगे किया. उसे छात्र नेता ने कहा कि शंकराचार्य हमारे प्रदेश में गौ हत्या बंद करने के लिए आ रहे हैं. लेकिन हमारे राज्य के लोग गाय का मांस खाने के आदी हो चुके हैं. उसने अपनी बात को सिद्ध करने के लिए एक रिपोर्ट भी पेश की. जिसमें उसने बताया कि भारत में सबसे अधिक गौ मांस का निर्यात उत्तर प्रदेश से विदेश में होता है. जहां गोरखपुर के गौ रक्षा पीठ से जुड़े व्यक्ति मुख्यमंत्री हो. वहां से सबसे अधिक गौ मांस का निर्यात हो रहा है. यह रूह कंपकपा देने वाली जानकारी है. अनामिका की हम जिन हाथों को चुना है और अच्छा करेंगे या तो वास्तविकता हमें अरुणाचल का वह व्यक्ति बता रहा है, हम लोगों को चुप हो जाना पड़ता है तो ऐसी स्थिति हमारे लिए बहुत गंभीर है.

शंकराचार्य किसी पार्टी का नहींः शंकराचार्य ने कहा कि लोग कहते हैं कि हम राजनीति में चले जाएं. लेकिन यह गलत है, शंकराचार्य किसी पार्टी का नहीं है. शंकराचार्य किसी पार्टी का विरोध नहीं करता है. जब कोई राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति बनता है वह उसे पार्टी से ऊपर माना जाता है. जब कोई शंकराचार्य बनता है तो वह इन सब राजनीतिक तत्वों से काफी ऊपर होता है. शंकराचार्य किसी एक पार्टी या किसी व्यक्ति का नहीं वह सनातन धर्म का होता है.

तिरुपति का लड्डू खाने वाले करें पंचगव्य का प्राशनः शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद सरस्वती ने कहा कि तिरुपति लडडू को प्रसाद के रूप में खा चुके हिंदू समाज के लोग ग्लानि का अनुभव कर रहे हैं. उस जग्लानि को मिटाने के लिए हमारे धर्म में गाय के दूध से बने पंचगव्य के प्राशन की व्यवस्था की गई है. इसको खाने से जो भी अशुद्ध चीज किसी भी हिंदू समाज के व्यक्ति ने अज्ञानता में खाई है वह उसके पूरे चित्र को पवित्र बना देगा.

पूरे देश में गोरक्षा के लिए बने एक कानूनः शंकराचार्य ने कहा कि मेरे इस पूरे यात्रा का मुख्य उद्देश्य यह है कि देश में गोरक्षा के लिए एक नियम बने. विभिन्न राज्यों में इसके नाम पर बने कानून को समाप्त किया जाए. इसके लिए सभी सनातनी वोट को जागृत करने की कोशिश है. जो भी व्यक्ति या पार्टी यह शपथ पत्र देगा कि चुनाव जीतने के बाद पहली कलम से वह माता की रक्षा के लिए काम करेगा. आगामी चुनाव में सनातन धर्म से जुड़े लोग इस व्यक्ति को अपना वोट दें. हमारे देश में एक देश एक चुनाव, एक देश एक टैक्स की बात की जाती है. तो गौ माता के संबंध में अलग-अलग प्रदेश में अलग-अलग कानून क्यों बनते हैं. क्यों नहीं भारत में गौ माता के लिए एक कानून बना दिया जाता है. यह केवल पार्टियों और राजनीतिक दलों द्वारा चतुराई दिखाने के लिए किया जा रहा है.

प्रसाद में मिलावट करने वालों के खिलाफ क्रांति लानी होगीः शंकराचार्य ने कहा कि 1857 की क्रांति में केवल अंग्रेजों ने गाय की चर्बी से बने कारतूस को सैनिकों को काटने के लिए दिया था. लेकिन अब भगवान के मंदिरों में मिलने वाले प्रसाद में भी चर्बी मिला देते हैं. हम आंध्र प्रदेश की टीडीपी सरकार और सीएम चंद्रबाबू नायडू का धन्यवाद देते हैं कि ऐसे घिनौने काम का खुलासा तो किया. 2024 में भी हमें 1857 की क्रांति की तरह एक क्रांति की जरूरत है. जब हम एक बलशाली अंग्रेजी शासन जो पूरी दुनिया पर राज करते थे, उन्हें उखाड़ कर फेंक सकते हैं, तो प्रसाद के नाम पर गाय की चर्बी और मछली का तेल मिलाने वाले दोषियों के खिलाफ भी इस तरह का क्रांति कर सकते हैं.

लगातार तीसरी बार बनी भाजपा सरकार ने गोरक्षा के लिए कुछ नहीं कियाः शंकराचार्य ने कहा कि कांग्रेस ने अपने चुनाव चिन्ह में पहले दो जोड़ी बैल को रखा था. फिर उसके बाद गाय का दूध पीता बच्चा रखा था, लेकिन उसने भी गौ रक्षा के लिए कुछ नहीं किया. फिर भाजपा आई उसने गौ रक्षा के नाम पर वोट मांगा. जब पहली बार सरकार बनी तो उनकी सरकार 13 महीने में चली गई. उन्होंने फिर कहा कि हमें पूर्ण बहुमत की सरकार बनने पर हम इस पर काम करेंगे. फिर उनकी 5 साल की सरकार आई उन्होंने तब भी गौ रक्षा के नाम पर कुछ नहीं किया और सरकार चली गई. 10 साल के बाद फिर उनको पूर्ण बहुमत की सरकार तीन बार मिली. लेकिन अभी तक गौ रक्षा के नाम पर कोई काम नहीं किया है. शंकराचार्य ने कहा कि यह जो आजादी हमको मिली है, यह गाय ने हीं हमको दी है. इसलिए गौमाता को राष्ट्र माता के रूप में स्थापित करने के लिए हमारे देश के लोगों ने आजादी के लिए अपना बलिदान दिया था. आजादी से पहले जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लोगों के घर जाते थे और उनसे सहयोग मांगते थे तो लोग कहते थे कि अंग्रेजों को भगाने की क्या जरूरत है. हम उन लोगों से कहते थे कि अंग्रेज अगर हमारे देश में रहेंगे तो वह हमारी गाय की हत्या करेंगे और गौ मांस को खाने के लिए विवश करेंगे. तब लोग इस बात को सुनते थे और वह साथ देने के लिए आगे आते थे.

लखनऊः ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद सरस्वती ने कहा कि अभी तक देश में असली हिंदू राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री नहीं हुए. जो भी खुद को हिंदू होने का दावा कर रहे हैं, वह असली हिंदू नहीं है. अगर असली हिंदू होते तो देश में एक भी गौ हत्या नहीं होती. मुझ पर आरोप लगते हैं कि भाजपा के खिलाफ बोलते हैं लेकिन हम भाजपा की लुटिया नहीं डुबो रहे. हम उन सभी कसाई पार्टियों की लुटिया डुबो रहे हैं, जो गौ हत्या को बढ़ावा दे रहे हैं. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से गंगा और गौ माता की रक्षा को लेकर कई बार समय मांगा है, लेकिन किसी ने भी समय नहीं दिया.

पीएम मोदी का अब गोमाता के लिए नहीं तड़पता दिलः लखनऊ में मीडिया से बातचीत करते हुए शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद सरस्वती ने कहा कि गद्दी पर बैठने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते थे कि गोमाता की हत्या पर उनका दिल तड़पता है. लेकिन पर वह तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने गए हैं, क्या अब उनका दिल नहीं तड़प रहा है. शंकराचार्य ने गोरक्षा के नाम पर देश के विभिन्न राज्यों में बने कानून को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि वह कानून ऐसा है, जो गो हत्या रोकने के बजाय उसे एक निश्चित स्थान पर करने की छूट देता है. हम पूरे देश में गो हत्या पर प्रतिबंध लगाने के साथ गौ माता को राष्ट्रीय माता बनाने की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही गोमाता पशुओं की श्रेणी से बाहर करने की मांग कर रहे हैं. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद सरस्वती सोमवार को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस अवसर पर उन्होंने सभी धर्माचार्य का आह्वान किया कि वह मंदिरों की मर्यादा सुरक्षित रखने के लिए एकजुट हो. शंकराचार्य ने कहा कि इस गौ रक्षा यात्रा को सभी चारों शंकराचार्य की सहमति के बाद ही शुरू किया गया है.

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद सरस्वती (Video Credit; ETV Bharat)

नागालैंड में भाजपा गोरक्षा यात्रा का किया विरोध, मेरे प्रवेश पर लगाई बैनः शंकराचार्य ने कहा कि जब हमने 33 दिनों की यात्रा गोमाता को राष्ट्र माता बनाने के लिए निकली. इसका सबसे पहले विरोध हमें मुसलमान और ईसाइयों की तरफ से होगा, इसका अंदेशा था. लेकिन हमारी यात्रा का सबसे पहले विरोध नागालैंड में बीजेपी की तरफ से किया गया. नागालैंड बीजेपी की तरफ से एक पत्र लिखा गया और उसमें कहा गया कि इस राज्य की सभ्यता और संस्कृति में गाय को खाना शामिल है. ऐसे में मेरा वहां प्रवेश न करने की बात कही गई. इसके बाद वहां के विभिन्न संस्थाओं द्वारा भी इस संदर्भ में पत्र जारी किया गया. साथ ही वहां की भाजपा की सरकार ने अपने सभी सहयोगी दलों की एक बैठक बुलाकर एक आदेश पारित किया और कहा गया कि नागालैंड में शंकराचार्य के प्रवेश को बैन किया जाता है. नागालैंड जाने के अपने कार्यक्रम को रद्द नहीं किया है.

सबसे अधिक गोमांस का निर्यात यूपी से होता हैः शंकराचार्य ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश और वहां के जो स्टूडेंट यूनियन ने अपने एक छात्र नेता को आगे किया. उसे छात्र नेता ने कहा कि शंकराचार्य हमारे प्रदेश में गौ हत्या बंद करने के लिए आ रहे हैं. लेकिन हमारे राज्य के लोग गाय का मांस खाने के आदी हो चुके हैं. उसने अपनी बात को सिद्ध करने के लिए एक रिपोर्ट भी पेश की. जिसमें उसने बताया कि भारत में सबसे अधिक गौ मांस का निर्यात उत्तर प्रदेश से विदेश में होता है. जहां गोरखपुर के गौ रक्षा पीठ से जुड़े व्यक्ति मुख्यमंत्री हो. वहां से सबसे अधिक गौ मांस का निर्यात हो रहा है. यह रूह कंपकपा देने वाली जानकारी है. अनामिका की हम जिन हाथों को चुना है और अच्छा करेंगे या तो वास्तविकता हमें अरुणाचल का वह व्यक्ति बता रहा है, हम लोगों को चुप हो जाना पड़ता है तो ऐसी स्थिति हमारे लिए बहुत गंभीर है.

शंकराचार्य किसी पार्टी का नहींः शंकराचार्य ने कहा कि लोग कहते हैं कि हम राजनीति में चले जाएं. लेकिन यह गलत है, शंकराचार्य किसी पार्टी का नहीं है. शंकराचार्य किसी पार्टी का विरोध नहीं करता है. जब कोई राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति बनता है वह उसे पार्टी से ऊपर माना जाता है. जब कोई शंकराचार्य बनता है तो वह इन सब राजनीतिक तत्वों से काफी ऊपर होता है. शंकराचार्य किसी एक पार्टी या किसी व्यक्ति का नहीं वह सनातन धर्म का होता है.

तिरुपति का लड्डू खाने वाले करें पंचगव्य का प्राशनः शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरनंद सरस्वती ने कहा कि तिरुपति लडडू को प्रसाद के रूप में खा चुके हिंदू समाज के लोग ग्लानि का अनुभव कर रहे हैं. उस जग्लानि को मिटाने के लिए हमारे धर्म में गाय के दूध से बने पंचगव्य के प्राशन की व्यवस्था की गई है. इसको खाने से जो भी अशुद्ध चीज किसी भी हिंदू समाज के व्यक्ति ने अज्ञानता में खाई है वह उसके पूरे चित्र को पवित्र बना देगा.

पूरे देश में गोरक्षा के लिए बने एक कानूनः शंकराचार्य ने कहा कि मेरे इस पूरे यात्रा का मुख्य उद्देश्य यह है कि देश में गोरक्षा के लिए एक नियम बने. विभिन्न राज्यों में इसके नाम पर बने कानून को समाप्त किया जाए. इसके लिए सभी सनातनी वोट को जागृत करने की कोशिश है. जो भी व्यक्ति या पार्टी यह शपथ पत्र देगा कि चुनाव जीतने के बाद पहली कलम से वह माता की रक्षा के लिए काम करेगा. आगामी चुनाव में सनातन धर्म से जुड़े लोग इस व्यक्ति को अपना वोट दें. हमारे देश में एक देश एक चुनाव, एक देश एक टैक्स की बात की जाती है. तो गौ माता के संबंध में अलग-अलग प्रदेश में अलग-अलग कानून क्यों बनते हैं. क्यों नहीं भारत में गौ माता के लिए एक कानून बना दिया जाता है. यह केवल पार्टियों और राजनीतिक दलों द्वारा चतुराई दिखाने के लिए किया जा रहा है.

प्रसाद में मिलावट करने वालों के खिलाफ क्रांति लानी होगीः शंकराचार्य ने कहा कि 1857 की क्रांति में केवल अंग्रेजों ने गाय की चर्बी से बने कारतूस को सैनिकों को काटने के लिए दिया था. लेकिन अब भगवान के मंदिरों में मिलने वाले प्रसाद में भी चर्बी मिला देते हैं. हम आंध्र प्रदेश की टीडीपी सरकार और सीएम चंद्रबाबू नायडू का धन्यवाद देते हैं कि ऐसे घिनौने काम का खुलासा तो किया. 2024 में भी हमें 1857 की क्रांति की तरह एक क्रांति की जरूरत है. जब हम एक बलशाली अंग्रेजी शासन जो पूरी दुनिया पर राज करते थे, उन्हें उखाड़ कर फेंक सकते हैं, तो प्रसाद के नाम पर गाय की चर्बी और मछली का तेल मिलाने वाले दोषियों के खिलाफ भी इस तरह का क्रांति कर सकते हैं.

लगातार तीसरी बार बनी भाजपा सरकार ने गोरक्षा के लिए कुछ नहीं कियाः शंकराचार्य ने कहा कि कांग्रेस ने अपने चुनाव चिन्ह में पहले दो जोड़ी बैल को रखा था. फिर उसके बाद गाय का दूध पीता बच्चा रखा था, लेकिन उसने भी गौ रक्षा के लिए कुछ नहीं किया. फिर भाजपा आई उसने गौ रक्षा के नाम पर वोट मांगा. जब पहली बार सरकार बनी तो उनकी सरकार 13 महीने में चली गई. उन्होंने फिर कहा कि हमें पूर्ण बहुमत की सरकार बनने पर हम इस पर काम करेंगे. फिर उनकी 5 साल की सरकार आई उन्होंने तब भी गौ रक्षा के नाम पर कुछ नहीं किया और सरकार चली गई. 10 साल के बाद फिर उनको पूर्ण बहुमत की सरकार तीन बार मिली. लेकिन अभी तक गौ रक्षा के नाम पर कोई काम नहीं किया है. शंकराचार्य ने कहा कि यह जो आजादी हमको मिली है, यह गाय ने हीं हमको दी है. इसलिए गौमाता को राष्ट्र माता के रूप में स्थापित करने के लिए हमारे देश के लोगों ने आजादी के लिए अपना बलिदान दिया था. आजादी से पहले जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लोगों के घर जाते थे और उनसे सहयोग मांगते थे तो लोग कहते थे कि अंग्रेजों को भगाने की क्या जरूरत है. हम उन लोगों से कहते थे कि अंग्रेज अगर हमारे देश में रहेंगे तो वह हमारी गाय की हत्या करेंगे और गौ मांस को खाने के लिए विवश करेंगे. तब लोग इस बात को सुनते थे और वह साथ देने के लिए आगे आते थे.

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