मुंबई: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार को बारामती के लिए उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के योगदान को स्वीकार किया, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि इस क्षेत्र को अगले तीन दशकों तक विकास के लिए एक नए नेतृत्व की जरूरत है.
सीनियर पवार ने यह बात अपने भतीजे और पार्टी के उम्मीदवार युगेंद्र पवार के लिए प्रचार के दौरान की. बता दें कि युगेंद्र 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों में अपने चाचा अजीत पवार को चुनौती देंगे.
बारामती के शिरसुफल में एक बैठक को संबोधित करते हुए शराद पवार ने कहा कि इस साल की शुरुआत में बारामती लोकसभा सीट के लिए मुकाबला कठिन था, क्योंकि यह परिवार के भीतर लड़ा गया था और अब पांच महीने बाद क्षेत्र के लोग ऐसी ही स्थिति देखेंगे.
आम चुनाव में सुप्रिया सुले ने हासिल की जीत
बारामती की सांसद सुप्रिया सुले ने आम चुनाव में अपनी भाभी और अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के खिलाफ जीत हासिल की थी. गौरतलब है कि युगेंद्र पवार अजित पवार के छोटे भाई श्रीनिवास पवार के बेटे हैं.
पवार ने कहा, "आपने मुझे एक या दो बार नहीं, बल्कि चार बार मुख्यमंत्री बनाया है. आपने मुझे 1967 में चुना था और मैंने महाराष्ट्र के लिए काम करने से पहले 25 साल तक यहां काम किया. मैंने सभी स्थानीय शक्तियां अजीत दादा को सौंप दीं थी, उन्हें सभी निर्णय लेने, स्थानीय निकायों, चीनी और दूध निकायों के लिए कार्यक्रमों और चुनावों की योजना बनाने का काम सौंपा था."
'अजीत पवार के काम पर कोई संदेह नहीं'
उन्होंने कहा कि अजीत पवार ने 25 से 30 साल तक इस क्षेत्र में काम किया और उनके काम पर कोई संदेह नहीं है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "अब भविष्य के लिए तैयारी करने का समय आ गया है. हमें ऐसे नेतृत्व को तैयार करने की जरूरत है जो अगले 30 साल तक काम करे." उन्होंने कहा कि सभी को अवसर मिलना चाहिए और उन्होंने कभी किसी को पीछे नहीं रखा.
अजीत पवार पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई यह कहता रहे कि वह सब कुछ ले लेगा, तो लोग कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन उसे अस्वीकार कर देंगे. पवार ने आगे कहा कि हालांकि वह हाल ही में वोट मांगने नहीं आए हैं, लेकिन बारामती के लोगों ने उन्हें कभी निराश नहीं किया है.
लोगों को रोजगार मिला
पवार ने कहा, "हमने यहां महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) की स्थापना की, कई कंपनियां आई हैं और लोगों को रोजगार मिला है. इस काम को जारी रखने के लिए हमें एक जानकार और मेहनती प्रतिनिधि की जरूरत है. इसलिए, हमने युगेंद्र को चुना है. उन्होंने अमेरिका में पढ़ाई की है. वापस आने पर उन्होंने एक चीनी मिल चलाने की जिम्मेदारी ली. वह यह जिम्मेदारी भी लेने को तैयार हैं और मैं खुश हूं."
उन्होंने आगे कहा कि हालांकि, हालिया लोकसभा चुनाव कठिन था क्योंकि यह परिवार के भीतर लड़ा गया था, लेकिन लोगों ने उनकी बेटी सुप्रिया सुले के लिए शानदार जीत सुनिश्चित की और उन्हें विधानसभा चुनावों में भी लोगों के समर्थन का भरोसा है.
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