नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार को लाओस मानव तस्करी और साइबर धोखाधड़ी मामले में दिल्ली, हरियाणा समेत कई राज्यों में तलाशी अभियान चलाया. बता दें कि, जांच एजेंसी ने भारत से लाओस में गोल्डन ट्राएंगल इकोनॉमिक जोन तक कमजोर युवाओं की तस्करी में शामिल व्यक्तियों और ट्रैवल एजेंटों पर एजेंसी की कार्रवाई के तहत हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में पांच स्थानों पर तलाशी ली. जानकारी के मुताबिक जांच एजेंसी ने मुख्य आरोपी बलवंत उर्फ बॉबी कटारिया के सहयोगियों के ठिकानों में जाकर छापेमारी की.
NIA Conducts Multi-State Searches in Laos Human Trafficking & Cyber Fraud Case pic.twitter.com/rCqDcqSOVa
— NIA India (@NIA_India) June 28, 2024
मानव तस्करी, साइबर फ्रॉड से जुड़ा मामला
मानव तस्करी संबंधी विषयों की जानकारी देते हुए एनआईए ने कहा कि, तलाशी के दौरान डिजिटल उपकरणों और दस्तावेजों आदि सहित आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गईं. इस दौरान जांच एजेंसी ने मुख्य आरोपी बलवंत उर्फ बॉबी कटारिया के सहयोगियों के कार्यालय और अन्य ठिकानों में जाकर छापेमारी की. एनआईए की जांच से पता चला है कि, संदिग्ध कथित तौर पर युवाओं की तस्करी से जुड़े हुए थे. इतना ही नहीं संदिग्ध लाओस में एक साइबर घोखाधड़ी कंपनी में उनके रसद और भर्ती का प्रबंधन भी कर रहे थे.
भारत से लाओस में मानव तस्करी
एनआईए की जांच से पता चला है कि संदिग्ध कथित तौर पर युवाओं की तस्करी से जुड़े हुए थे. मानव तस्करी रैकेट में शामिल व्यक्तियों और ट्रैवल एजेंटों पर एजेंसी की कार्रवाई के तहत हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान में विभिन्न स्थानों पर तलाशी ली गई. जांच के मुताबिक, मानव तस्करी सिंडिकेट भारत के भीतर और बाहर गुरुग्राम और अन्य क्षेत्रों से संचालित हो रहा था. खबर के मुताबिक, मानव तस्करी का जाल भारत से लेकर लाओस तक फैला हुआ बताया जा रहा है. भारत से लोओस के गोल्डन ट्रायंगल इकोनॉमिक जोन में युवाओं को भेजे जाने का बड़ा मामला है.
कबूतरबाज बॉबी कटारिया के सहयोगियों के परिसर में छापेमारी
मूल रूप से गुरुग्राम पुलिस द्वारा दर्ज किए गए और इस महीने की शुरुआत में एनआईए द्वारा अपने कब्जे में लिए गए मामले की शुरुआती जांच से पता चला है कि जिन संदिग्धों के परिसरों की आज तलाशी ली गई, वे दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में एमबीके ग्लोबल वीजा प्राइवेट लिमिटेड के मालिक आरोपी बलवंत उर्फबॉबी कटारिया के लिए काम कर रहे थे. एजेंसी ने कहा, "ये लोग विदेशों में लुभावने नौकरियों का झांसा देकर युवाओं को अपनी जाल में फंसाते थे.
फर्जी कॉल सेंटर में काम करने के लिए मजबूर किया गया
जांच से पता चला है कि, जो लोग मानव तस्करी की जाल में फंस गए थे, वे सभी फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते थे. पीड़ितों को सोशल मीडिया के माध्यम से नौकरी का झांसा देकर लाओस में धोखे से भेजा गया. अपराधियों की मकड़जाल में फंसे युवाओं को लाओस में फर्जी कॉल सेंटरों में काम करने के लिए मजबूर किया गया. जांच से यह भी बड़ा खुलासा हुआ है कि, लाओस में फंसे युवकों के फर्जी कॉल सेंटरों में काम करने से इनकार करने पर उनका शारीरिक शोषण भी किया गया और यात्रा से संबंधित सारे महत्वपूर्ण दस्तावेज भी उनसे छीन लिए गए. वहीं, एनआईए आईपीसी और इमिग्रेशन एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत आरसी-07/2024/एनआईए/डीएलआई मामले के तहत जांच कर रही है.
रक्षा जासूसी से जुड़ा दूसरा मामला
इस बीच, एक अन्य घटनाक्रम में, एनआईए ने 2021 विशाखापत्तनम पाकिस्तानी आईएसआई जासूसी मामले में शामिल संदिग्धों पर नकेल कसने के लिए गुजरात और महाराष्ट्र में तीन स्थानों पर व्यापक तलाशी ली. यह मामला रक्षा जानकारी के लीकेज से संबंधित है. ऐसा माना जा रहा है कि, भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों की जासूसी करने के लिए पाकिस्तान से धन प्राप्त करने वाले संदिग्धों के आवासों की एनआईए टीमों ने तीन स्थानों पर गहन तलाशी ली. तलाशी के दौरान मोबाइल फोन और दस्तावेजों सहित कई आपत्तिजनक सामग्रियां जब्त की गईं.
जासूसी का कनेक्शन
एनआईए मामले में ज्यादा से ज्यादा कनेक्शन की पहचान करने के लिए जब्त की गई सामग्रियों की जांच कर रही है, जो मूल रूप से काउंटर इंटेलिजेंस सेल, आंध्र प्रदेश द्वारा 12 जनवरी, 2021 को आईपीसी, यूए (पी) अधिनियम और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किया गया था.
भारतीय नौसेना की जानकारी लीक हो रही थी
एनआईए ने जून 2023 में मामले को अपने हाथ में लिया. 19 जुलाई, 2023 को एजेंसी ने एक फरार पाकिस्तानी नागरिक सहित दो आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. इसके बाद एक पाकिस्तानी नागरिक सहित तीन अन्य लोगों के खिलाफ दो और आरोपपत्र दायर किए गए. एनआईए की जांच से पता चला है कि पाकिस्तानी नागरिकों ने जासूसी रैकेट में गिरफ्तार आरोपियों के साथ सहयोग किया था, जिसमें भारत में आतंकवादी हिंसा फैलाने की साजिश के तहत भारतीय नौसेना से संबंधित संवेदनशील और महत्वपूर्ण जानकारी लीक की जा रही थी.
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