मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा में आए दो बंदियों ने अपनी जिंदगी में एक अलग मुकाम हासिल किया है. दोनों बंदी हत्या के मामले में आरोपी थे. जेल में रहकर दोनों बंदी प्रतियोगी परीक्षा के बैच में शामिल हुए, दिन-रात मेहनत की और सफलता उनके हाथ लगी. अब दोनों शिक्षक बनकर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं.
दो कैदी बने बीपीएससी शिक्षक: बताया जाता है कि एक बंदी हत्या तो दूसरा बंदी दहेज हत्या के केस में मृतका के शव को जलाने में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार होकर सेंट्रल जेल पहुंचा था. जेल के अंदर आने के बाद दोनों ने बीपीएससी परीक्षा को लेकर जी-जान से मेहनत की और जब दोनों कारा से मुक्त होकर बाहर निकले तो उनका चयन बीपीएससी शिक्षक के रूप में हो गया.
हत्या के केस में बंद था कैदी: बताया गया कि नगर थाना क्षेत्र के सिकंदरपुर कुंडल के रहने वाले शिक्षक पर सदर थाने में 2016 में हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. 17 जून 2022 को वह गिरफ्तार होकर सेंट्रल जेल आये थे. कारा में प्रवेश से पहले वह प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. कारा में रहने के दौरान ही उन्होंने बीपीएससी की परीक्षा दी थी. 22 जनवरी 2024 को वह जमानत पर मुक्त हो गये थे.
कारा में रहते हुए दी परीक्षा: वहीं दूसरे बंदी ने कारा में रहते हुए बीपीएससी की परीक्षा दी. दूसरे बंदी पर सकरा थाना क्षेत्र के एक गांव में छह मार्च 2023 को दहेज हत्या के एक केस में मृतका के शव को जलाने में शामिल होने के आरोप लगे थे. इस मामले में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर 17 मार्च 2023 को जेल भेजा था. इसके बाद 10 अक्टूबर 2023 को वह कारा से मुक्त हुआ था.
सेंट्रल जेल में 50 बंदी कर रहे तैयारी: बता दें कि सेंट्रल जेल में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी से अलग बैच चल रहा है. ग्रुप डिस्कशन के साथ-साथ साप्ताहिक टेस्ट भी लिया जाता है. सेंट्रल जेल में तैयारी कर कारा से मुक्त होने के बाद आधा दर्जन बंदी सरकारी सेवा व चार बंदी प्राइवेट नौकरी में भी उच्च पद पर हैं. वहीं दोनों शिक्षक भी जेल की कालकोठरी में ग्रहण की गयी शिक्षा से हमारे कल के आने वाले भविष्य को उज्जवल कर रहे हैं.
"सेंट्रल जेल में बंदियों को शिक्षित करने के लिए पायले प्रोजेक्ट से लेकर कई तरह की पाठशाला चल रही है. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले बंदियों के लिए अलग से बैच बनाया गया है. जेल में तैयारी करने वाले दो बंदी रिलीज होने के बाद बीपीएससी शिक्षक बन गए. कई और बंदी यहां मिली शिक्षा के बाद बाहर निकल कर अपना नाम रौशन कर रहे हैं."- ब्रिजेश सिंह मेहता, सेंट्रल जेल अधीक्षक
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