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मुंबई दुनिया के लिए आतंकवाद-रोधी अभियान का प्रतीक, एस जयशंकर का बयान

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि दुनिया को पता है कि भारत आतंकवाद की इस चुनौती के सामने मजबूती से खड़ा हुआ है.

Mumbai symbol of counter-terrorism for India and the world says S Jaishankar
विदेश मंत्री एस जयशंकर (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 27, 2024, 3:35 PM IST

मुंबई: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि मुंबई भारत और दुनिया के लिए आतंकवाद-रोधी अभियान का प्रतीक है. मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब हम यूएनएससी के सदस्य थे, तो हम आतंकवाद-रोधी समिति के अध्यक्ष थे. हमने पहली बार सुरक्षा परिषद की बैठक मुंबई के उस होटल में की थी, जहां आतंकवादी हमला हुआ था.

उन्होंने कहा कि दुनिया को पता है कि भारत आतंकवाद की इस चुनौती के सामने मजबूती से खड़ा हुआ है. आज हम आतंकवाद से लड़ने में अग्रणी हैं. मुंबई में जो हुआ, उसे हमें दोहराना नहीं चाहिए. हम बहुत स्पष्ट हैं, हमें आतंकवाद को भी बेनकाब करना है.

एलएसी पर जल्द शुरू होगी पेट्रोलिंग
एस जयशंकर ने बताया कि भारत और चीन जल्द ही पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पेट्रोलिंग फिर से शुरू करेंगे. उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि डेमचोक और देपसांग जैसे इलाकों में 31 अक्टूबर से पहले जैसी गश्त व्यवस्था वापस आ जाएगी. इसमें कुछ समय लगेगा."

उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर को भारत और चीन के बीच हुआ समझौता लद्दाख की सबसे उत्तरी सीमाओं, विशेष रूप से देपसांग और डेमचोक में गश्त पर प्रतिबंध हटाता है. यह समझौता दोनों देशों के बीच 2020 की गश्त व्यवस्था पर वापस जाने के लिए हुआ है. समझौते का उद्देश्य सीमा प्रबंधन को संबोधित करना और तनाव बढ़ने के जोखिम को रोकना है.

भविष्य की चर्चा में सीमा प्रबंधन पर होगा जोर
जयशंकर ने बताया, "अभी भी सैनिकों की वापसी और गश्त से संबंधित कुछ मुद्दे हैं." उन्होंने कहा कि भविष्य की चर्चा सीमा प्रबंधन और स्थिरता सुनिश्चित करने पर केंद्रित होगी. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त पर चीन के साथ हाल ही में हुए सफल समझौते के लिए भारत के सैन्य बलों और कूटनीतिक प्रयासों को श्रेय दिया. उन्होंने कहा कि सेना ने देश की रक्षा के लिए "बहुत अकल्पनीय" परिस्थितियों में काम किया.

भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते के बाद दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग मैदानों में दो टकराव बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी शुरू कर दी है और यह प्रक्रिया 28-29 अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना है.

रोजगार सिर्फ देश तक सीमित नहीं...
रोजगार के संबंध में जयशंकर ने कहा कि हमारा मानना है कि रोजगार सिर्फ देश तक सीमित नहीं है. आज वैश्विक कार्यक्षेत्र है. चाहे यूरोप हो, अमेरिका हो या मलेशिया - हमने समझौतों के जरिए ऐसी परिस्थितियां बनाई हैं कि हमारे लोग वहां रोजगार के लिए जा सकते हैं.

उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका गए, तो उन्होंने निवेश आकर्षित करने के लिए बड़ी कंपनियों के सीईओ से मुलाकात की...चाहे सीमा सुरक्षा हो, आतंकवाद से निपटना हो या हमारे पड़ोस में अस्थिरता हो - हम इसे बखूबी संभाल रहे हैं. दुनिया के कई क्षेत्रों में तनाव है. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में - रूस-यूक्रेन युद्ध के संबंध में पहल की, वे रूस गए, उन्होंने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति पुतिन से भी मुलाकात की."

यह भी पढ़ें- 'हमारे उच्चायुक्त को निशाना बनाए जाने का तरीका नामंजूर', कनाडा पर बरसे विदेश मंत्री जयशंकर

मुंबई: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि मुंबई भारत और दुनिया के लिए आतंकवाद-रोधी अभियान का प्रतीक है. मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब हम यूएनएससी के सदस्य थे, तो हम आतंकवाद-रोधी समिति के अध्यक्ष थे. हमने पहली बार सुरक्षा परिषद की बैठक मुंबई के उस होटल में की थी, जहां आतंकवादी हमला हुआ था.

उन्होंने कहा कि दुनिया को पता है कि भारत आतंकवाद की इस चुनौती के सामने मजबूती से खड़ा हुआ है. आज हम आतंकवाद से लड़ने में अग्रणी हैं. मुंबई में जो हुआ, उसे हमें दोहराना नहीं चाहिए. हम बहुत स्पष्ट हैं, हमें आतंकवाद को भी बेनकाब करना है.

एलएसी पर जल्द शुरू होगी पेट्रोलिंग
एस जयशंकर ने बताया कि भारत और चीन जल्द ही पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पेट्रोलिंग फिर से शुरू करेंगे. उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि डेमचोक और देपसांग जैसे इलाकों में 31 अक्टूबर से पहले जैसी गश्त व्यवस्था वापस आ जाएगी. इसमें कुछ समय लगेगा."

उन्होंने कहा कि 21 अक्टूबर को भारत और चीन के बीच हुआ समझौता लद्दाख की सबसे उत्तरी सीमाओं, विशेष रूप से देपसांग और डेमचोक में गश्त पर प्रतिबंध हटाता है. यह समझौता दोनों देशों के बीच 2020 की गश्त व्यवस्था पर वापस जाने के लिए हुआ है. समझौते का उद्देश्य सीमा प्रबंधन को संबोधित करना और तनाव बढ़ने के जोखिम को रोकना है.

भविष्य की चर्चा में सीमा प्रबंधन पर होगा जोर
जयशंकर ने बताया, "अभी भी सैनिकों की वापसी और गश्त से संबंधित कुछ मुद्दे हैं." उन्होंने कहा कि भविष्य की चर्चा सीमा प्रबंधन और स्थिरता सुनिश्चित करने पर केंद्रित होगी. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्त पर चीन के साथ हाल ही में हुए सफल समझौते के लिए भारत के सैन्य बलों और कूटनीतिक प्रयासों को श्रेय दिया. उन्होंने कहा कि सेना ने देश की रक्षा के लिए "बहुत अकल्पनीय" परिस्थितियों में काम किया.

भारत और चीन के बीच एक महत्वपूर्ण समझौते के बाद दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और देपसांग मैदानों में दो टकराव बिंदुओं पर सैनिकों की वापसी शुरू कर दी है और यह प्रक्रिया 28-29 अक्टूबर तक पूरी होने की संभावना है.

रोजगार सिर्फ देश तक सीमित नहीं...
रोजगार के संबंध में जयशंकर ने कहा कि हमारा मानना है कि रोजगार सिर्फ देश तक सीमित नहीं है. आज वैश्विक कार्यक्षेत्र है. चाहे यूरोप हो, अमेरिका हो या मलेशिया - हमने समझौतों के जरिए ऐसी परिस्थितियां बनाई हैं कि हमारे लोग वहां रोजगार के लिए जा सकते हैं.

उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका गए, तो उन्होंने निवेश आकर्षित करने के लिए बड़ी कंपनियों के सीईओ से मुलाकात की...चाहे सीमा सुरक्षा हो, आतंकवाद से निपटना हो या हमारे पड़ोस में अस्थिरता हो - हम इसे बखूबी संभाल रहे हैं. दुनिया के कई क्षेत्रों में तनाव है. प्रधानमंत्री मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल में - रूस-यूक्रेन युद्ध के संबंध में पहल की, वे रूस गए, उन्होंने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति पुतिन से भी मुलाकात की."

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