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मुंबई इंडियन वुमन टीम की बल्लेबाज सजना सजीवन का वायनाड से डब्ल्यूपीएल तक का सफर

International womens day 2024 : प्रेरणादायक है मुंबई इंडियंस की स्टार ऑलराउंडर सजना सजीवन की कहानी. जानिए कैसा रहा है सजना का वायनाड के एक सुदूर गांव से महिला प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) तक का सफर.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 7, 2024, 10:48 PM IST

वायनाड : हमारे देश में छोटे बच्चे भी कई क्रिकेटरों, भारतीय टीम के साथ-साथ विपक्षी टीम के खिलाड़ियों के नाम भी बता सकते हैं. और तो और, हम ऐसे कई घरेलू खिलाड़ियों को भी जानते हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मैचों में कभी पैड नहीं पहना है. लेकिन अगर यही सवाल महिला क्रिकेट के बारे में पूछा जाए तो क्या होगा?

मिताली राज, स्मृति मंधाना और मिन्नू मणि हैं जो हाल ही में केरल से भारतीय टीम में शामिल हुई हैं. अभी कुछ ही साल हुए हैं जब वे नाम हमारे दिमाग में अंकित हो गए हैं.

अगर क्रिकेट को जीवन मानने और उसे जीने वाले हमारे बीच इस तरह का अंतर है, तो एक सामान्य परिवार की लड़की के लिए यह अविश्वसनीय है, जो क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं जानती, बड़ी होकर लड़कों के साथ खेलती है और एक महान क्रिकेटर बनती है. हां ये कोई फिल्मी प्लॉट नहीं है. बल्कि यह वायनाड के मननथावाड़ी की सजना सजीवन की जीवन कहानी है.

सजना सजीवन
सजना सजीवन

सजना सजीवन का जन्म 4 जनवरी 1995 को मननथवाड़ी, वायनाड में हुआ था. आर्थिक रूप से मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी इस स्टार को अपने क्रिकेट सफर में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. सजना के पिता एक ऑटोरिक्शा ड्राइवर थे. 2018 की बाढ़ में, सजना और उसके परिवार ने अपने घर सहित सब कुछ खो दिया, और उन्हें एक सरकारी स्कूल शरणार्थी शिविर में जाना पड़ा.

महिला आईपीएल के पहले सीजन में सजना को नीलामी में खरीदने के लिए कोई आगे नहीं आया था. लेकिन दिसंबर में मुंबई इंडियंस ने सजना को 15 लाख रुपये में खरीद लिया.

एक ऑलराउंडर सजना एक बेहतरीन ऑफ स्पिनर भी हैं. उन्होंने 81 टी20 मैचों में 1093 रन और 58 विकेट लिए हैं. सजना ने सह-कलाकार यास्तिका भट्ट के साथ बातचीत में यह कहा. 'मैं एक साधारण पृष्ठभूमि से आती हूं. हाथ में पैसे नहीं थे. लेकिन नियमित रूप से क्रिकेट खेलना शुरू करने के बाद प्रतिदिन 150 रुपये कमाने लगी. यह मेरे लिए बहुत बड़ी रकम थी. बाद में दैनिक बचत बढ़कर 900 रुपये हो गई. माता-पिता भी इससे खुश थे'. बाद में वह केरल की कप्तान बनीं. इसके बाद उन्होंने अंडर-23 टी20 सुपर लीग ट्रॉफी जीती. और फिर चैलेंजर्स ट्रॉफी. फिर वह झूलन गोस्वामी के साथ इंडियन ग्रीन्स के लिए खेलीं.

सजना के बचपन के दोस्त उनके भाई सचिन और चचेरे भाई थे. मां शारदा का कहना है कि जहां उनके परिवार को लड़कों के साथ उनके क्रिकेट खेलने से कोई आपत्ति थी, वहीं कुछ लोग इसके सख्त खिलाफ थे.

अपने माता-पिता के साथ सजना सजीवन
अपने माता-पिता के साथ सजना सजीवन

उनकी बेटी की पढ़ाई 5वीं कक्षा से हॉस्टल में हुई. 'वहां सजना ने बैडमिंटन, खो-खो, एथलेटिक्स, ऊंची कूद जैसे कई खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, लेकिन उसी दौरान सजना की रुचि क्रिकेट में बढ़ी'.

वह मननथवाडी हायर सेकेंडरी स्कूल में प्लस वन - प्लस टू में पढ़ती थी. उस अवधि के दौरान, वह भाला फेंक में जिले में प्रथम स्थान पर थी. एल्सम्मा शिक्षक, जो वहां एक शारीरिक प्रशिक्षक थे, ने सजना को क्रिकेट में प्रशिक्षित किया. यह उनके जीवन का एक निर्णायक मोड़ था.

स्कूल के दिनों की तरह, सजना ने कुछ ऐसे दोस्तों को शामिल किया जो क्रिकेट खेलने में रुचि रखते थे और अभ्यास शुरू कर दिया. क्रिकेट के प्रति इस जुनून और एलसम्मा शिक्षक के प्रोत्साहन ने उन्हें केसीए द्वारा आयोजित चयन ट्रायल तक पहुंचाया, लेकिन अनुभव की कमी के कारण सजना पहली बार चयन में असफल रहीं. लेकिन सजना ने हिम्मत नहीं हारी और अगली बार प्रयास करते हुए केरल क्रिकेटर बनने का लक्ष्य संभव कर दिखाया'.

पेशेवर क्रिकेट में डेब्यू
सजना ने चेन्नई में केरल टीम में डेब्यू किया. वह सजना ही थीं जिन्होंने उस दिन एक वरिष्ठ खिलाड़ी की अनुपस्थिति में हैदराबाद के खिलाफ विजयी रन बनाए थे.

सजना ने बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में ही कमाल किया है, लेकिन अगर उनसे पूछा जाए कि क्रिकेट में उन्हें क्या ज्यादा पसंद है तो वह है फील्डिंग. सजना सजीवन ने सीधे थ्रो और डाइविंग कैच लेने में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है.

जीते हुए पुरस्कारों के साथ सजना सजीवन
जीते हुए पुरस्कारों के साथ सजना सजीवन

2016 में सजना की जिंदगी में एक ऐसी घटना घटी जिसे वह कभी नहीं भूल पाएंगी. वायनाड के कृष्णागिरी स्टेडियम में इंडिया ए टीम के मैच के लिए पहुंचे राहुल द्रविड़ और उनकी टीम ट्रेनिंग में जुटी हुई थी. राहुल द्रविड़ ने सजना को ध्यान से देखा, जो उस दिन दूसरे क्षेत्र में ट्रेनिंग कर रही थी.

जब सजना ने पहली 7 गेंदों का सामना किया तो लेग साइड पर उनकी कमजोरी ने द्रविड़ का ध्यान खींचा. द्रविड़ ने उस कमी को दूर करने के लिए सलाह दी और बल्लेबाजी की कुछ तकनीकें सिखाईं.

उस दिन एक और घटना भी घटी. गौतम गंभीर ने सजना को अपना एक बल्ला तोहफे में दिया. इससे पहले उन्हें एक मैच में गौतम गंभीर की जगह फील्डर के रूप में शामिल किया गया था. बाद में उन्होंने अलाप्पुझा में तमिलनाडु के खिलाफ मैच में उस बल्ले से सबसे तेज़ शतक बनाया. उस दिन सजना सजीवन ने सिर्फ 84 गेंदों में शतक ठोक दिया.

सजना ने सभी अंडर-19 और अंडर-23 श्रेणियों में केरल का प्रतिनिधित्व किया. सजना की कप्तानी में ही केरल की महिला टीम बीसीसीआई द्वारा संचालित टूर्नामेंट में पहली बार चैंपियन बनी थी.

मुंबई में आयोजित टी20 टूर्नामेंट में केरल फाइनल में महाराष्ट्र को हराकर चैंपियन बना. उस दिन फाइनल में जब केरल के खिलाड़ियों ने महाराष्ट्र के 114 रनों के सामने बल्लेबाजी की तो उन्होंने 11 ओवर में 59 रन देकर 4 विकेट लिए और जब उनकी टीम हार की कगार पर थी तो सजना, जो कप्तान भी थीं, ने 24 रन बनाए और केरल को पहली बार चैंपियन बनाया.

बाढ़ चुनौती 2018
शुरुआत में आए तमाम संकटों के बावजूद सजना कभी निराश नहीं हुईं. 2018 की बाढ़ में, सजना और उसके परिवार ने अपने घर सहित सब कुछ खो दिया, और उन्हें एक सरकारी स्कूल शरणार्थी शिविर में जाना पड़ा.

सजना, जो उस दिन बैंगलोर में आयोजित चैलेंजर ट्रॉफी के लिए इंडिया रेड टीम में शामिल थीं, को वहां पहुंचने में काफी कठिनाई हुई. आख़िरकार पुलिस की नाव आई और सजना और उसके परिवार को बचा लिया. मलयाली क्रिकेटर सजना सजीवन को उनके साथी खिलाड़ियों ने सांत्वना दी, जो बेंगलुरु पहुंचने वाले थे, लेकिन केरल में अपने परिवार की स्थिति से तबाह हो गए थे.

सजना, जो अभी भी केरल टीम के साथ हैं, को केसीए द्वारा 2015 की सर्वश्रेष्ठ महिला केरल क्रिकेटर के रूप में चुना गया था. अंडर-23 टूर्नामेंट में सजना ने आखिरी ओवर की पांचवीं गेंद पर मिडविकेट के ऊपर से छक्का मारकर केरल को पहला राष्ट्रीय स्तर का खिताब दिलाया. मिताली राज और हरमन प्रीत की बहुत बड़ी प्रशंसक, सजना भी एक आशाजनक संभावना है जो एक दिन भारत के लिए खेल सकती है.

आखिरी गेंद पर छक्का! मुंबई इंडियंस की अपनी सजना
महिला प्रीमियर लीग में अपने पहले ही मैच में सजना सजीवन हीरो बन गई हैं. मैच की आखिरी गेंद पर मुंबई इंडियंस को 5 रन चाहिए थे. इस समय क्रीज पर आईं सजना ने पहली ही गेंद पर सुपर सिक्स लगाया और मुंबई को 4 विकेट से जीत दिला दी.

प्रतियोगिता में इस शानदार प्रदर्शन से 29 साल की सजना चर्चा में हैं. पहले मैच में एलिस कैप्सी के खिलाफ लगाया गया यह जोरदार छक्का सजना के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा.

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मिताली राज, स्मृति मंधाना और मिन्नू मणि हैं जो हाल ही में केरल से भारतीय टीम में शामिल हुई हैं. अभी कुछ ही साल हुए हैं जब वे नाम हमारे दिमाग में अंकित हो गए हैं.

अगर क्रिकेट को जीवन मानने और उसे जीने वाले हमारे बीच इस तरह का अंतर है, तो एक सामान्य परिवार की लड़की के लिए यह अविश्वसनीय है, जो क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं जानती, बड़ी होकर लड़कों के साथ खेलती है और एक महान क्रिकेटर बनती है. हां ये कोई फिल्मी प्लॉट नहीं है. बल्कि यह वायनाड के मननथावाड़ी की सजना सजीवन की जीवन कहानी है.

सजना सजीवन
सजना सजीवन

सजना सजीवन का जन्म 4 जनवरी 1995 को मननथवाड़ी, वायनाड में हुआ था. आर्थिक रूप से मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मी इस स्टार को अपने क्रिकेट सफर में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. सजना के पिता एक ऑटोरिक्शा ड्राइवर थे. 2018 की बाढ़ में, सजना और उसके परिवार ने अपने घर सहित सब कुछ खो दिया, और उन्हें एक सरकारी स्कूल शरणार्थी शिविर में जाना पड़ा.

महिला आईपीएल के पहले सीजन में सजना को नीलामी में खरीदने के लिए कोई आगे नहीं आया था. लेकिन दिसंबर में मुंबई इंडियंस ने सजना को 15 लाख रुपये में खरीद लिया.

एक ऑलराउंडर सजना एक बेहतरीन ऑफ स्पिनर भी हैं. उन्होंने 81 टी20 मैचों में 1093 रन और 58 विकेट लिए हैं. सजना ने सह-कलाकार यास्तिका भट्ट के साथ बातचीत में यह कहा. 'मैं एक साधारण पृष्ठभूमि से आती हूं. हाथ में पैसे नहीं थे. लेकिन नियमित रूप से क्रिकेट खेलना शुरू करने के बाद प्रतिदिन 150 रुपये कमाने लगी. यह मेरे लिए बहुत बड़ी रकम थी. बाद में दैनिक बचत बढ़कर 900 रुपये हो गई. माता-पिता भी इससे खुश थे'. बाद में वह केरल की कप्तान बनीं. इसके बाद उन्होंने अंडर-23 टी20 सुपर लीग ट्रॉफी जीती. और फिर चैलेंजर्स ट्रॉफी. फिर वह झूलन गोस्वामी के साथ इंडियन ग्रीन्स के लिए खेलीं.

सजना के बचपन के दोस्त उनके भाई सचिन और चचेरे भाई थे. मां शारदा का कहना है कि जहां उनके परिवार को लड़कों के साथ उनके क्रिकेट खेलने से कोई आपत्ति थी, वहीं कुछ लोग इसके सख्त खिलाफ थे.

अपने माता-पिता के साथ सजना सजीवन
अपने माता-पिता के साथ सजना सजीवन

उनकी बेटी की पढ़ाई 5वीं कक्षा से हॉस्टल में हुई. 'वहां सजना ने बैडमिंटन, खो-खो, एथलेटिक्स, ऊंची कूद जैसे कई खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, लेकिन उसी दौरान सजना की रुचि क्रिकेट में बढ़ी'.

वह मननथवाडी हायर सेकेंडरी स्कूल में प्लस वन - प्लस टू में पढ़ती थी. उस अवधि के दौरान, वह भाला फेंक में जिले में प्रथम स्थान पर थी. एल्सम्मा शिक्षक, जो वहां एक शारीरिक प्रशिक्षक थे, ने सजना को क्रिकेट में प्रशिक्षित किया. यह उनके जीवन का एक निर्णायक मोड़ था.

स्कूल के दिनों की तरह, सजना ने कुछ ऐसे दोस्तों को शामिल किया जो क्रिकेट खेलने में रुचि रखते थे और अभ्यास शुरू कर दिया. क्रिकेट के प्रति इस जुनून और एलसम्मा शिक्षक के प्रोत्साहन ने उन्हें केसीए द्वारा आयोजित चयन ट्रायल तक पहुंचाया, लेकिन अनुभव की कमी के कारण सजना पहली बार चयन में असफल रहीं. लेकिन सजना ने हिम्मत नहीं हारी और अगली बार प्रयास करते हुए केरल क्रिकेटर बनने का लक्ष्य संभव कर दिखाया'.

पेशेवर क्रिकेट में डेब्यू
सजना ने चेन्नई में केरल टीम में डेब्यू किया. वह सजना ही थीं जिन्होंने उस दिन एक वरिष्ठ खिलाड़ी की अनुपस्थिति में हैदराबाद के खिलाफ विजयी रन बनाए थे.

सजना ने बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में ही कमाल किया है, लेकिन अगर उनसे पूछा जाए कि क्रिकेट में उन्हें क्या ज्यादा पसंद है तो वह है फील्डिंग. सजना सजीवन ने सीधे थ्रो और डाइविंग कैच लेने में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है.

जीते हुए पुरस्कारों के साथ सजना सजीवन
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2016 में सजना की जिंदगी में एक ऐसी घटना घटी जिसे वह कभी नहीं भूल पाएंगी. वायनाड के कृष्णागिरी स्टेडियम में इंडिया ए टीम के मैच के लिए पहुंचे राहुल द्रविड़ और उनकी टीम ट्रेनिंग में जुटी हुई थी. राहुल द्रविड़ ने सजना को ध्यान से देखा, जो उस दिन दूसरे क्षेत्र में ट्रेनिंग कर रही थी.

जब सजना ने पहली 7 गेंदों का सामना किया तो लेग साइड पर उनकी कमजोरी ने द्रविड़ का ध्यान खींचा. द्रविड़ ने उस कमी को दूर करने के लिए सलाह दी और बल्लेबाजी की कुछ तकनीकें सिखाईं.

उस दिन एक और घटना भी घटी. गौतम गंभीर ने सजना को अपना एक बल्ला तोहफे में दिया. इससे पहले उन्हें एक मैच में गौतम गंभीर की जगह फील्डर के रूप में शामिल किया गया था. बाद में उन्होंने अलाप्पुझा में तमिलनाडु के खिलाफ मैच में उस बल्ले से सबसे तेज़ शतक बनाया. उस दिन सजना सजीवन ने सिर्फ 84 गेंदों में शतक ठोक दिया.

सजना ने सभी अंडर-19 और अंडर-23 श्रेणियों में केरल का प्रतिनिधित्व किया. सजना की कप्तानी में ही केरल की महिला टीम बीसीसीआई द्वारा संचालित टूर्नामेंट में पहली बार चैंपियन बनी थी.

मुंबई में आयोजित टी20 टूर्नामेंट में केरल फाइनल में महाराष्ट्र को हराकर चैंपियन बना. उस दिन फाइनल में जब केरल के खिलाड़ियों ने महाराष्ट्र के 114 रनों के सामने बल्लेबाजी की तो उन्होंने 11 ओवर में 59 रन देकर 4 विकेट लिए और जब उनकी टीम हार की कगार पर थी तो सजना, जो कप्तान भी थीं, ने 24 रन बनाए और केरल को पहली बार चैंपियन बनाया.

बाढ़ चुनौती 2018
शुरुआत में आए तमाम संकटों के बावजूद सजना कभी निराश नहीं हुईं. 2018 की बाढ़ में, सजना और उसके परिवार ने अपने घर सहित सब कुछ खो दिया, और उन्हें एक सरकारी स्कूल शरणार्थी शिविर में जाना पड़ा.

सजना, जो उस दिन बैंगलोर में आयोजित चैलेंजर ट्रॉफी के लिए इंडिया रेड टीम में शामिल थीं, को वहां पहुंचने में काफी कठिनाई हुई. आख़िरकार पुलिस की नाव आई और सजना और उसके परिवार को बचा लिया. मलयाली क्रिकेटर सजना सजीवन को उनके साथी खिलाड़ियों ने सांत्वना दी, जो बेंगलुरु पहुंचने वाले थे, लेकिन केरल में अपने परिवार की स्थिति से तबाह हो गए थे.

सजना, जो अभी भी केरल टीम के साथ हैं, को केसीए द्वारा 2015 की सर्वश्रेष्ठ महिला केरल क्रिकेटर के रूप में चुना गया था. अंडर-23 टूर्नामेंट में सजना ने आखिरी ओवर की पांचवीं गेंद पर मिडविकेट के ऊपर से छक्का मारकर केरल को पहला राष्ट्रीय स्तर का खिताब दिलाया. मिताली राज और हरमन प्रीत की बहुत बड़ी प्रशंसक, सजना भी एक आशाजनक संभावना है जो एक दिन भारत के लिए खेल सकती है.

आखिरी गेंद पर छक्का! मुंबई इंडियंस की अपनी सजना
महिला प्रीमियर लीग में अपने पहले ही मैच में सजना सजीवन हीरो बन गई हैं. मैच की आखिरी गेंद पर मुंबई इंडियंस को 5 रन चाहिए थे. इस समय क्रीज पर आईं सजना ने पहली ही गेंद पर सुपर सिक्स लगाया और मुंबई को 4 विकेट से जीत दिला दी.

प्रतियोगिता में इस शानदार प्रदर्शन से 29 साल की सजना चर्चा में हैं. पहले मैच में एलिस कैप्सी के खिलाफ लगाया गया यह जोरदार छक्का सजना के करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगा.

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