आगरा : कुख्यात डॉन और बाहुबली मुख्तार अंसारी की गुरुवार रात कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई. आज से 25 साल पहले जब पहली बार मुख्तार अंसारी आगरा की केंद्रीय कारागार आया था तो उसकी बैरक में हर सुविधा थी. ये खुलासा प्रशासन और पुलिस की बैरक की छापेमारी में हुआ था. बैरक से बुलेटप्रूफ जैकेट, मोबाइल और कई सिम कार्ड मिले थे. इसे लेकर मुख्तार अंसारी के खिलाफ जगदीशपुरा थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. यह अभी तक चल रहा है. 25 साल में इस मामले में 17 गवाहों की गवाही अभी तक हो चुकी है. चार अप्रैल को मुकदमे की तारीख थी. मगर, मुख्तार अंसारी की मौत के बाद गवाही अधूरी रह गई. इतना ही नहीं, आगरा केंद्रीय कारागार में रहकर मुख्तार अंसारी ने 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा था.
बता दें कि सन 1999 में मुख्तार अंसारी केंद्रीय कारागार आगरा आया था. उसे केंद्रीय कारागार की बैरक संख्या पांच में रखा गया था. मुख्तार अंसारी के केंद्रीय कारागार में आने से खूब चर्चा होने लगी. जेल में उसे हर सुविधा मिल रही थी. जेल प्रशासन चुप्पी साधे था. यह भी सामने आया था कि मुख्तार अंसारी जेल में मोबाइल पर बात करता था. जिस पर 18 मार्च 1999 को आगरा के तत्कालीन डीएम आरके तिवारी, एसएसपी सुबेश कुमार सिंह के साथ पुलिस-प्रशासन टीम के साथ केंद्रीय कारागार में छापा मारा था. इसकी भनक जेल प्रशासन को नहीं लगने दी. तत्कालीन डीएम और एसएसपी टीम के साथ मुख्तार अंसारी की बैरक नंबर 5 में पहुंचे.
बुलेटप्रूफ जैकेट, मोबाइल और सिमें मिलीं : तत्कालीन डीएम और एसएसपी की टीम की छापेमारी में मुख्तार अंसारी की बैरक की तलाशी में कपड़ों में एक बुलेटप्रूफ जैकेट, मोबाइल और दो सिम समेत अन्य प्रतिबंधित सामान बरामद हुए थे. इस पर जगदीशपुरा थााना के तत्कालीन थानाध्यक्ष शिवशंकर शुक्ला की तहरीर पर मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. इसमें 25 गवाह बनाए गए.
इन गवाह की हुई अभी तक गवाही : मुख्तार अंसारी के खिलाफ दर्ज कराए गए मुकदमे में तत्कालीन डीएम आरके तिवारी, एसएसपी सुबेश कुमार सिंह, एसपी सिटी डीसी मिश्रा, एडीएम सिटी एके सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट पीएन दुबे समेत अन्य भी गवाह बनाए गए. इसमें वादी शिवशंकर शुक्ला, तत्कालीन डीएम आरके तिवारी, एसएसपी सुबेश कुमार सिंह,एसपी सिटी डीसी मिश्रा, एडीएम सिटी एके सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट पीएन दुबे, मुख्य चिकित्साधिकारी एके सक्सेना, वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार केदारनाथ, उप जेलर कैलाशचंद, उप निरीक्षक रूपेंद्र गौड़, खंदौली निवासी जगवीर समेत 17 लोगों की गवाही हो चुकी है.
इस मामले के चार गवाहों की मृत्यु हो चुकी है. इसमें विवेचक समेत 4 लोगों की गवाही बाकी थी. चार अप्रैल तारीख भी थी. मगर, इससे पहले ही मुख्तार अंसारी की गुरुवार रात मौत होने से ये मुकदमा भी अब खत्म हो जाएगा.
जेल से लड़ा था 2014 का लोकसभा चुनाव : आगरा सेंट्रल जेल में सन 2010 में मुख्तार अंसारी आया था. करीब साढ़े चार वर्ष तक मुख्तार अंसारी आगरा केंद्रीय कारगार में रहा. तारीख पर उसके कई गुर्गे और शूटर साथ चलते थे. वे आगरा में डेरा डाले रहते थे. पुलिस ने आवास विकास में उसके आधा दर्जन गुर्गे पकडे़ भी गए थे. इसमें दो शार्प शूटर भी थे. इतना ही नहीं, सन 2014 के लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय कौमी एकता दल से मुख्तार अंसारी ने घोसी संसदीय क्षेत्र से पर्चा भरा था.
तब मकोका और सीबीआइ कोर्ट ने अंसारी को 10 दिन कस्टडी पैरोल प्रचार के लिए दी थी. मुख्तार अंसारी की सुरक्षा को लेकर आगरा से लखनऊ तक नौ दिन मंथन चला था. इसके बाद आगरा केंद्रीय कारागार से 10 मई 2014 की सुबह कड़ी सुरक्षा में रवाना किया था. जब मुख्तार प्रचार के लिए संसदीय क्षेत्र पहुंचा तो चुनाव प्रचार ही समाप्त हो गया था.
वीडियो कांफ्रेंसिंग से तारीख : बता दें कि आगरा की एमपी/एमलए कोर्ट में मुख्तार अंसारी के खिलाफ मुकदमा चल रहा था. इस दौरान बांदा जेल में मुख्तार अंसारी बंद रहा. कोरोना आया तो तारीख को लेकर विशेष प्रबंध किए गए. इसके तहत ही तभी से वीडियो कांफ्रेंसिंग से तारीख हो रही थी.
यह भी पढ़ें : मुख्तार अंसारी को 32 वर्ष पुराने हत्याकांड की सजा ने तोड़ दिया था, जेल से बाहर आने की छोड़ दी थी उम्मीद