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संतरे की खेती पर मौसम की मार, कहीं MP से छिन न जाए सर्वाधिक पैदावार का तमगा - MP Orange Crop Destroy Due To Rain - MP ORANGE CROP DESTROY DUE TO RAIN

मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा संतरे की खेती होती है. यहां के संतरे दूसरे राज्यों को एक्सपोर्ट भी होते हैं, लेकिन इस बार खराब मौसम ने संतरे की खेती पर ग्रहण लगा दिया. बारिश और ओलावृष्टि के चलते संतरे की फसल को खासा नुकसान हुआ है. आलम यह है कि इस बार पैदावार भी कम हुई है. कहा तो यहां तक जा रहा है कि एमपी से संतरे की सर्वाधिक पैदावार का तमगा कहीं छिन न जाए.

MP ORANGE CROP DESTROY DUE TO RAIN
संतरे की खेती पर मौसम की मार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 10, 2024, 6:39 PM IST

भोपाल। देश में सर्वाधिक संतरे की खेती एमपी में होती है. हालांकि कुछ वर्ष पहले तक महाराष्ट्र संतरे की खेती में नंबर वन था, लेकिन एमपी में किसानों का संतरे के प्रति बढ़ते रुझान ने इसे उत्पादन में नंवर वन बना दिया था. अब देश में संतरे की सर्वाधिक खेती का यह तमगा एक बार फिर संकट में है.

एमपी में पंजाब से आ रहा संतरा

भोपाल मंडी के व्यापारी दिनेश कुशवाहा ने बताया कि 'मध्य प्रदेश में राजगढ़, शाजापुर, छिंदवाड़ा, पांढुर्ना, रायसेन और भोपाल के आसपास क्षेत्रों में संतरे की बंपर पैदावार होती थी, लेकिन इस बार यहां संतरे का उत्पादन काफी कम हुआ. स्थानीय स्तर पर संतरा उपलब्ध नहीं होने पर मंडी व्यापारी दूसरे राज्यों से संतरा मंगा रहे हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश के बाजारों में पंजाब का संतरा भेजा जा रहा है.'

120-150 रुपये किलो बिक रहा संतरा

एमपी में इस बार संतरे की पैदावार कम होने से संतरे के दाम भी बढ़ गए हैं. जो संतरा पंजाब से आ रहा है, उसका रेट 120 से 150 रुपये किलो है. जबकि एमपी का संतरा 20 से 50 रुपये किलो के भाव से बिकते है. वहीं स्वाद भी इसमें पंजाब के संतरे से अधिक होता है.

MP ORANGE CROP DESTROY DUE TO RAIN
खराब मौसम से संतरे की पैदावार कम (Getty Image)

एमपी में इसलिए कम हुई पैदावार

एमपी में इस वर्ष मार्च और अप्रैल में मौसम खराब रहा. जिन क्षेत्रों में संतरे की बंपर पैदावार होती थी. वहां आंधी-तूफान, ओलावृष्टि और वर्षा का कहर जारी रहा. जिससे संतरे के फल समय से पहले ही झड़ गए. जो संतरे हुए भी उनकी गुणवत्ता कमजोर थी और बाजार तक नहीं पहुंच पाए, क्योंकि इन्हें मंडी तक पहुंचाने में जो खर्च आ रहा था, बेचने पर उससे भी कम दाम मिल रहे थे.

10 प्रतिशत भी नहीं हुआ उत्पादन

भोपाल की सीमा पर बसे खजूरी कला गांव के किसान हरिराम राजपूत बताते हैं कि वो अपने पांच एकड़ के खेत में संतरे की फसल लगाई है. इतने में उन्हें हर वर्ष 50 से 70 मीट्रिक टन संतरे का उत्पादन हो जाता था, लेकिन इस बार पांच से छह मीट्रिक संतरे का उत्पादन ही हुआ. इसकी बड़ी वजह खराब मौसम रहा.

यहां पढ़ें...

एमपी के 45 जिलों में 3 दिन तूफानी बारिश, ओलावृष्टी और थंडरस्टोर्म अलर्ट, सतना में पारा 8 डिग्री गिरा, हीटवेव छू मंतर

देखने में जितना सुंदर उतना ही स्वाद में रसीला, सुंदरजा आम पर डाक टिकट भी हो चुकी है जारी

छिंदवाड़ा जिले में होती है संतरे की सर्वाधिक खेती

मध्य प्रदेश में संतरे की खेती 43000 हैक्टेयर क्षेत्र में होती है. जिसमें से 23000 हैक्टेयर क्षेत्र छिंदवाड़ा जिले में है. प्रदेश में नागपुरी संतरे के किस्म की खेती अधिक होती है. एमपी में संतरे की खेती मुख्यतः छिंदवाड़ा, बैतूल, होशंगाबाद, शाजापुर, उज्जैन, भोपाल, नीमच, रतलाम व मंदसौर जिले में की जाती है.

भोपाल। देश में सर्वाधिक संतरे की खेती एमपी में होती है. हालांकि कुछ वर्ष पहले तक महाराष्ट्र संतरे की खेती में नंबर वन था, लेकिन एमपी में किसानों का संतरे के प्रति बढ़ते रुझान ने इसे उत्पादन में नंवर वन बना दिया था. अब देश में संतरे की सर्वाधिक खेती का यह तमगा एक बार फिर संकट में है.

एमपी में पंजाब से आ रहा संतरा

भोपाल मंडी के व्यापारी दिनेश कुशवाहा ने बताया कि 'मध्य प्रदेश में राजगढ़, शाजापुर, छिंदवाड़ा, पांढुर्ना, रायसेन और भोपाल के आसपास क्षेत्रों में संतरे की बंपर पैदावार होती थी, लेकिन इस बार यहां संतरे का उत्पादन काफी कम हुआ. स्थानीय स्तर पर संतरा उपलब्ध नहीं होने पर मंडी व्यापारी दूसरे राज्यों से संतरा मंगा रहे हैं. ऐसे में मध्य प्रदेश के बाजारों में पंजाब का संतरा भेजा जा रहा है.'

120-150 रुपये किलो बिक रहा संतरा

एमपी में इस बार संतरे की पैदावार कम होने से संतरे के दाम भी बढ़ गए हैं. जो संतरा पंजाब से आ रहा है, उसका रेट 120 से 150 रुपये किलो है. जबकि एमपी का संतरा 20 से 50 रुपये किलो के भाव से बिकते है. वहीं स्वाद भी इसमें पंजाब के संतरे से अधिक होता है.

MP ORANGE CROP DESTROY DUE TO RAIN
खराब मौसम से संतरे की पैदावार कम (Getty Image)

एमपी में इसलिए कम हुई पैदावार

एमपी में इस वर्ष मार्च और अप्रैल में मौसम खराब रहा. जिन क्षेत्रों में संतरे की बंपर पैदावार होती थी. वहां आंधी-तूफान, ओलावृष्टि और वर्षा का कहर जारी रहा. जिससे संतरे के फल समय से पहले ही झड़ गए. जो संतरे हुए भी उनकी गुणवत्ता कमजोर थी और बाजार तक नहीं पहुंच पाए, क्योंकि इन्हें मंडी तक पहुंचाने में जो खर्च आ रहा था, बेचने पर उससे भी कम दाम मिल रहे थे.

10 प्रतिशत भी नहीं हुआ उत्पादन

भोपाल की सीमा पर बसे खजूरी कला गांव के किसान हरिराम राजपूत बताते हैं कि वो अपने पांच एकड़ के खेत में संतरे की फसल लगाई है. इतने में उन्हें हर वर्ष 50 से 70 मीट्रिक टन संतरे का उत्पादन हो जाता था, लेकिन इस बार पांच से छह मीट्रिक संतरे का उत्पादन ही हुआ. इसकी बड़ी वजह खराब मौसम रहा.

यहां पढ़ें...

एमपी के 45 जिलों में 3 दिन तूफानी बारिश, ओलावृष्टी और थंडरस्टोर्म अलर्ट, सतना में पारा 8 डिग्री गिरा, हीटवेव छू मंतर

देखने में जितना सुंदर उतना ही स्वाद में रसीला, सुंदरजा आम पर डाक टिकट भी हो चुकी है जारी

छिंदवाड़ा जिले में होती है संतरे की सर्वाधिक खेती

मध्य प्रदेश में संतरे की खेती 43000 हैक्टेयर क्षेत्र में होती है. जिसमें से 23000 हैक्टेयर क्षेत्र छिंदवाड़ा जिले में है. प्रदेश में नागपुरी संतरे के किस्म की खेती अधिक होती है. एमपी में संतरे की खेती मुख्यतः छिंदवाड़ा, बैतूल, होशंगाबाद, शाजापुर, उज्जैन, भोपाल, नीमच, रतलाम व मंदसौर जिले में की जाती है.

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