सूरतः डायमंड सिटी, सिल्क सिटी के बाद सूरत अब फ्लेमिंगो सिटी बनने जा रही है. यूं तो फ्लेमिंगो यानी राजहंस गुजरात का राज्य पक्षी है. फ्लेमिंगो गुजरात मे ज्यादातर खंभात और कच्छ इलाके में पाए जाते हैं, वहीं पिछले पांच सालों से सूरत में फ्लेमिंगो की संख्या लगातार बढ़ रही है. गुजरात के अन्य जिलों में फ्लेमिंगो बहुत कम जगहों पर पाए जाते हैं, लेकिन इस साल सूरत में फ्लेमिंगो की संख्या बढ़कर 2000 के पार हो गई है.
तापी नदी और अरब सागर के संगम पर हाल गर्मी के मौसम में राज्य पक्षी हजारों की संख्या में देखे जा रहे हैं. पहले विदेशी पक्षी फ्लेमिंगो सूरत से डायवर्ट हो कर चले जाते थै. लेकिन इस साल सूरत की तापी नदी के किनारे हजारों की संख्या में फ्लेमिंगो देखे जा रहे हैं. पिछले 7-8 सालों से फ्लेमिंगो सूरत के मेहमान बनकर आ रहे हैं. हर साल इनकी संख्या बढ़ती जा रही है. सूरत में दिखने वाले फ्लेमिंगो अमेरिका की चार प्रजातियो में से एक है. इस पक्षी की खासियत यह भी है कि ये एक पैर पर खड़ा रहता है और दूसरा पैर मोड़कर रखता है. सूरत की सूर्यपुत्री तापी नदी के किनारे गुलाबी रंग के फ्लेमिंगो मानो सूर्यनमस्कार कर रहे हो ऐसा प्रतीत होता है.
पक्षी विशेषज्ञ दर्शन देसाई के मुताबिक, फ्लेमिंगो पिछले पांच साल से सूरत आ रहे हैं. सूरत शहर को अब ग्रेटर फ्लेमिंगो की एक बड़ी कॉलोनी और प्रजनन स्थल के रूप में देखा जा रहा है. सूरत मे फ्लेमिंगो का प्रभावशाली मात्रा में प्रजनन हो रहा है. इस प्रकार फ्लेमिंगो यानी राजहंस गुजरात का राज्य पक्षी है. वे वर्षों से खंभात और कच्छ आते-जाते रहे हैं. वर्षों पहले उनकी संख्या हजारों में थी. पिछले कुछ वर्षों से सूरत में फ्लेमिंगो की संख्या में वृद्धि हुई है. मकरसंक्रांति के दौरान चार फ्लेमिंगो भी घायल पाए गए. वर्तमान में लगभग 1500 से 2000 फ्लेमिंगो तापी और दरियाई क्षेत्रों में लगभग देखे जाते हैं. फ्लेमिंगो वह पक्षी है जो आमतौर पर जहां नमक और खारा पानी मिलता है और पानी जहां कम होता है वहां रहता है. फ्लेमिंगो कुछ प्रकार की शैवाल और वनस्पति पर निर्भर रहने वाला पक्षी है, उथले पानी में वह शैवाल खाकर गुजारा करते हैं. ये जहां भी पानी कम होता है वहां जाना बेहद पसंद करते हैं.
फ्लेमिंगो का दो प्रकार का समूह - पक्षी विशेषज्ञ दर्शन देसाई ने बताया कि राजहंस की विशेषता यह है कि इसमें प्रजनन करने वाले पक्षियों का एक अलग समूह होता है और अन्य बच्चे या पक्षियों का एक अलग समूह होता है. सामान्यतः ऐसे समूह दो प्रकार के होते हैं. प्रजननवाले फ्लेमिंगो समूह का रंग एकदम गुलाबी और लाल होता है. इस बार सूरत में दोनों तरह के ग्रुप देखने को मिल रहे हैं. इसलिए हम सामान्य रूप से अनुमान नहीं लगा सकते हैं, परंतु कच्छ जो उनका दूसका घर माना जाता है उस तरफ पानी या स्थितियां बदल गई हैं, तो वे यहां अधिक रहेंगे या अधिक संख्या में आएंगे. या फिर मौसम में कोई बड़ा बदलाव हो या देरी हो तो उनके अनुसार ही उनका व्यवहार देखा जाता है.
राजहंस एक बहुत ही कोमल और सुंदर पक्षी है. इस बार मकरसंक्राति में तीन से चार फ्लेमिंगो घायल हो गए थे, जिसमें से दो-तीन को बचा लिया गया. अन्य दो की बहुत बुरी चोटों के कारण मृत्यु हो गई. फ्लेमिंगो गुजरात का एक राज्य पक्षी है, इस वजह से हमें विशेष ध्यान रखना चाहिए. इतनी बड़ी संख्या में राजहंस का तापी नदी के किनारे आना बेहद गर्व की बात है. ऐसा कोई दूसरा जिला नहीं है जहां इतनी बड़ी संख्या में सुरखाब हों इसलिए सूरत के लिए यह बहुत बड़ी बात है.
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