देहरादून: उत्तराखंड वन विभाग जहां पौधारोपण को लेकर सालभर में कई अभियान चलाता है. इसके अलावा अवैध रूप से पेड़ों को काटने से रोकने के लिए विशेष निगरानी का दावा भी करता है, लेकिन इन सब के बावजूद राज्य में अवैध रूप से पेड़ काटे जाने के मामले बेहद ज्यादा नजर आते हैं. पेड़ों के काटने जाने के मामले में सरकारी दस्तावेजों में दर्ज हैं, जिसकी गवाही खुद वन विभाग दे रहा है. जबकि, जिन पेड़ों की जानकारी वन विभाग को ही नहीं, ऐसे भी कई मामले होने की प्रबल संभावना है. हालांकि, वन विभाग ऐसे मामलों में कड़ाई से निपटाने का दावा कर रहा है. इसको लेकर हाल ही में पुरोला और चकराता में हुए अवैध पातन के बाद कार्रवाई के उदाहरण भी दिए जा रहे हैं.
उत्तराखंड में अवैध रूप से काटे जा रहे पेड़ों को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, वो चौंकाने वाले हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि, वन विभाग पूरे प्रदेश में वनों के कटान को लेकर विशेष निगरानी की बात कहता है और विभिन्न जगहों पर इसके लिए वन अधिकारी और कर्मचारी भी तैनात रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद पेड़ों पर जमकर आरियां चल रही है. इसकी तस्दीक आंकड़े कर रहे हैं, जो वन विभाग के सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है.
उत्तराखंड में पेड़ों की कटान का आंकड़ा: उत्तराखंड में औसतन हर साल करीब 1,100 से ज्यादा पेड़ों का अवैध कटान हो रहा है. बीती 10 सालों में 10,000 से ज्यादा अवैध रूप से पेड़ काट दिए गए. काटे गए पेड़ों से करीब 11,500 घन मीटर लकड़ी निकलने का अनुमान है. वन विभाग करीब 4 हजार 500 घन मीटर लकड़ी ही बरामद कर पाया. साल 2011-12 में 1390, 2012-13 में 1726, 2013-14 में 1196 पेड़ों पर आरियां चली.
जबकि, साल 2014-15 में 1066, 2015-16 में 1021 और 2016-17 में 1124 अवैध रूप से पेड़ काट दिए गए. इसके अलावा 2017-18 में 741, 2018-19 में 703 और 2019-20 में 648 पेड़ अवैध रूप से काटे गए है. इसी तरह साल 2021 में 750 पेड़ अवैध रूप से काटे गए. ये आंकड़े बता रहे हैं कि वन विभाग के नाक के नीचे से पेड़ों पर खूब आरियां चल रही है.
वन विभाग के आंकड़े हालांकि सरकारी दस्तावेजों में दर्ज सार्वजनिक रिकॉर्ड है, लेकिन हकीकत ये है कि अवैध रूप से पेड़ काटे जाने के मामले इससे कई गुना ज्यादा हो सकते हैं. हाल ही में पुरोला और चकराता में अवैध पेड़ कटान के मामले सामने आने के बाद यह बात साफ हो गई है कि किस तरह अवैध रूप से पेड़ कट जाते हैं. जिसका वन विभाग को इल्म भी नहीं होता.
क्या बोले वन मंत्री सुबोध उनियाल: इस मामले पर सूबे के वन मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि राज्य में अवैध पेड़ काटे जाने के मामलों को सख्ती से हैंडल किया जा रहा है और ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई भी की जा रही है. ऐसे मामलों पर सख्ती का सीधा संदेश राज्य में अवैध पेड़ काटे जाने के मामलों को हतोत्साहित करना है.
गौर हो कि हाल ही में ही चकराता में सैकड़ों पेड़ काटे जाने की बात सामने आई थी. जिसके बाद तत्कालीन डीएफओ को मुख्यालय अटैच किया गया तो वहीं कई अधिकारियों पर सस्पेंशन की कार्रवाई भी की गई थी. पुरोला में तो डीएफओ को भी वन विभाग ने सस्पेंड कर दिया था. साथ ही वन विकास निगम के भी कई अधिकारी सस्पेंड किए गए थे, लेकिन इतना कुछ होने के बावजूद भी वन विभाग में लगातार अवैध रूप से पेड़ काटे जाने की शिकायतें मिल रही है. इन पर कार्रवाई की गति अपेक्षा अनुसार तेज नहीं दिखाई देती.
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