श्रीनगर : हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष एवं कश्मीर के मुख्य मौलवी मीरवाइज उमर फारूक को एक बार फिर नजरबंद कर दिया गया. इससे वह श्रीनगर की ऐतिहासिक जामा मस्जिद में शुक्रवार की सभा को संबोधित नहीं कर सके. यह जानकारी मस्जिद की प्रबंध संस्था अंजुमन औकाफ ने दी. अंजुमन औकाफ ने एक बयान में मीरवाइज की लगातार नजरबंदी की निंदा की तथा उन पर लगाए गए प्रतिबंधों पर नाराजगी व्यक्त की.
बयान में कहा गया कि आज लगातार चौथा शुक्रवार है जब मीरवाइज को जामिया मस्जिद में नमाज अदा करने और अपना खुतबा देने से रोका गया. बयान में कहा गया, 'सम्माननीय नेता को उनकी धार्मिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने से लगातार रोकना अत्यंत परेशान करने वाला और अस्वीकार्य है.' अंजुमन ने आगे बताया कि मीरवाइज ने पहले ही अपने घर में नजरबंदी के संबंध में अदालत में एक जवाबी पत्र दायर किया है, जिसमें सरकार के दावों और उसकी कार्रवाइयों के बीच विरोधाभास को उजागर किया गया है.
उन्होंने कहा, 'यह अत्यंत दुखद है कि सरकार दावा करती है कि मीरवाइज स्वतंत्र हैं, फिर भी उन्हें शुक्रवार को जामिया मस्जिद में जाने से रोका जा रहा है, जबकि वह इसके विपरीत कुछ साबित करने की भी जहमत नहीं उठा रही है.' बयान में कहा गया है, 'यह दर्शाता है कि सरकार लोगों और उनकी धार्मिक भावनाओं के प्रति कितनी गैर-जवाबदेह है.' निराशा व्यक्त करते हुए अंजुमन ने सरकार की कथनी और करनी के बीच अंतर की आलोचना की. साथ ही कहा गया है, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री 'नया कश्मीर' के अपने दृष्टिकोण की बात करते हैं, लेकिन यह एक अजीब नई वास्तविकता है, जहां शांति, आध्यात्मिक मार्गदर्शन और संवाद की आवाज को दबा दिया गया है.
मीरवाइज के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार उनकी बयानबाजी से बहुत दूर है. अंजुमन औकाफ ने भी मीरवाइज की तत्काल रिहाई और उनके अधिकारों की बहाली की मांग की है और मानवाधिकार संगठनों तथा जागरूक नागरिकों से अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का आग्रह किया है.
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