श्रीनगर: पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफ्सपा) हटाने पर विचार करने संबंधी गृह मंत्री अमित शाह के बयान का स्वागत करते हुए बुधवार को उम्मीद जताई कि यह देश में हर साल दो करोड़ नौकरियां देने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वादे की तरह जुमलेबाजी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि पहले कदम के रूप में केंद्र सरकार जेल में बंद पत्रकारों और कश्मीरियों को आरोपमुक्त कर रिहा कर सकती है.
मुफ्ती ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि 'पीडीपी कठोर अफ्सपा को हटाने के साथ ही धीरे-धीरे सैनिकों को भी हटाने की मांग करती रही है. यह हमारे गठबंधन के एजेंडा का महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिस पर भाजपा ने सहमति जताई थी. देर आये दुरुस्त आये. लेकिन यह हर साल दो करोड़ नौकरियां देने या बैंक खातों में 15 लाख जमा करने के खोखले वादे जैसी जुमलेबाजी न हो.' शाह ने मंगलवार को कहा था कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर से अफ्सपा हटाने पर विचार करेगी.
जेके मीडिया ग्रुप के साथ साक्षात्कार में शाह ने यह भी कहा कि सरकार की योजना केंद्र शासित प्रदेश से सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की है. जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती ने उम्मीद जताई कि सरकार अफ्सपा हटाने के मामले में अपनी प्रतिबद्धता पूरी करेगी, क्योंकि इससे केंद्र शासित प्रदेश के लोगों को राहत मिलेगी.
उन्होंने कहा कि 'कोई केवल आशा ही कर सकता है कि वे कम से कम इस मामले में अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करेंगे, क्योंकि इससे जम्मू-कश्मीर के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. बात पर अमल करने के लिए गृह मंत्रालय पत्रकारों और वर्तमान में जेलों में बंद हजारों युवा कश्मीरी युवाओं को आरोपमुक्त कर रिहा करके शुरुआत कर सकता है.'
वहीं दूसरी ओर नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने अफस्पा को लेकर कहा कि इसे हटाने का वादा आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किया गया है और उन्हें डर है कि जिस तरह लद्दाख के लोगों को छठी अनुसूची के वादे के सिलसिले में ठगा गया है, उसी तरह यहां भी लोगों को ठगा जाएगा. वह मीडिया को इस खबर पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार भविष्य में जम्मू कश्मीर से अफस्पा हटाने पर निश्चित ही विचार करेगा.
अब्दुल्ला ने बडगाम जिले में संवाददाताओं से कहा कि 'मैं 2011 से इस दिन का इंतजार कर रहा हूं. (जब वह मुख्यमंत्री थे,) तब हमने भी अफस्पा हटाने की काफी कोशिश की, लेकिन मुझे डर है कि जिस तरह लद्दाख के लोगों को छठी अनुसूची के वादे पर गुमराह किया और ठगा गया, उसी तरह जम्मू कश्मीर के लोगों को गुमराह किया जाएगा एवं ठगा जाएगा, क्योंकि यहां चुनाव हैं.'
पूर्व केंद्रीय मंत्री अब्दुल्ला ने कहा कि समस्याग्रस्त क्षेत्रों में सुरक्षाबलों को अभियोजन से पूर्ण छूट और उन्हें व्यापक अधिकार प्रदान करने वाले इस कानून को जम्मू कश्मीर में स्थिति सामान्य हो जाने के केंद्रीय नेताओं के बयानों को देखते हुए तत्काल हटा दिया जाना चाहिए. उन्होंने सवाल किया कि 'जहां तक अफस्पा हटाने की बात है तो आज से ही शुरू कीजिए. जब वे कहते हैं कि स्थिति सामान्य है, आतंकवाद खत्म हो गया है, अब अलगाववादी विचार नहीं बचा है तो फिर वे किस बात का इंतजार कर रहे हैं?'