बेंगलुरु: कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा कि एक तस्वीर के आधार पर किसी कपल के बीच अंतरंगता तय नहीं की जा सकती. तलाक की याचिका खारिज करने के फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली तुमकुरु की महिला की याचिका पर सुनवाई करने वाली जस्टिस अनु शिवरामन और जस्टिस अनंत रामनाथ हेगड़े की पीठ ने यह राय व्यक्त की. साथ ही कोर्ट ने कपल को तलाक का आदेश भी दे दिया गया.
पीठ ने कहा कि इस कपल ने एक शादी में भाग लिया और खुशी-खुशी तस्वीर खिंचवाई. इसका मतलब यह नहीं है कि जोड़े के बीच सब कुछ ठीक है. इससे दोनों के रिश्ते की स्पष्ट तस्वीर नहीं मिलती. साथ ही पति ने अपनी पत्नी पर अवैध संबंध रखने का भी आरोप लगाया है, लेकिन वह इस संबंध में सबूत देने में असफल रहे हैं. इसलिए इस तरह का आरोप लगाना क्रूरता के समान है.
मैरिज सिस्टम पति-पत्नी के बीच आपसी विश्वास, भरोसे, प्रेम और सम्मान पर आधारित होता है. अगर दोनों को एक को दूसरे के व्यवहार पर संदेह है और वह इसे साबित नहीं करते हैं, तो ऐसा आरोप निराधार होगा. पीठ ने कहा, ऐसे मामले में पत्नी शांतिपूर्वक वैवाहिक जीवन आगे नहीं बढ़ा पाएगी.
क्या है मामला?
महिला ने अपनी याचिका में कहा कि याचिकाकर्ता (पत्नी) और प्रतिवादी (पति) 2008 से एक-दूसरे को जानते थे. इसके बाद 2013 में उनकी शादी हो गई. बाद में पत्नी ने इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की. वे दो साल तक एक साथ थे. बाद में पति, जिसे अपनी पत्नी पर शक था उसने उस पर किसी अन्य व्यक्ति के साथ अवैध संबंध रखने का आरोप लगाया. पति उसके मोबाइल फोन कॉल की जांच करता और उसके साथ शारीरिक उत्पीड़न करता. इसके अलावा, उसने अपनी पत्नी को यातना देना भी शुरू कर दिया और उसे मारने की कोशिश भी की.
मुकदमे के दौरान पति की ओर से बहस करने वाले वकील ने कहा, '2017 से पत्नी अपनी दादी के घर बेंगलुरु में रह रही थी. इस बीच उसने फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दी थी. मुवक्किल की पत्नी अपनी मास्टर डिग्री करने के बाद अहंकार से व्यवहार कर रही थी. उसने अपने पति से अपने माता-पिता के साथ रहने का आग्रह किया, लेकिन पति को यह पसंद नहीं आया.'
साथ ही वे (युगल) 2018 में एक शादी में मिले थे. वहां दोनों ने साथ में फोटो ली . इस दौरान दोनों खुश थे, इसलिए तलाक की जरूरत नहीं है. उन्होंने अदालत से याचिका खारिज करने का भू अनुरोध किया.