बेंगलुरु: कर्नाटक में मराठी-प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. बेलगावी में कन्नड़ संगठनों ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा हाल ही में दक्षिणी महाराष्ट्र के कन्नड़ माध्यम के स्कूलों में मराठी-प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति पर चिंता जताई है. संगठनों ने कर्नाटक सरकार से इस मुद्दे को सुलझाने और कन्नड़ भाषी छात्रों के हितों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करने और महाराष्ट्र के साथ समन्वय करने का आग्रह किया है.
कन्नड़ ओर्गनाइजेशन एक्शन कमेटी ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और शिक्षा मंत्री मधु बंगरप्पा से आग्रह किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि कन्नड़ माध्यम के स्कूलों में उन टीचरों की नियुक्ति की जाए, जिनको कन्नड़ भाषा आती है.
कन्नड़ स्कूलों में मराठी टीचर्स की नियुक्ति
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी के संयोजक अशोक चंदरागी ने दावा किया है कि महाराष्ट्र ने हाल ही में दक्षिणी महाराष्ट्र के 20 कन्नड़ स्कूलों में मराठी माध्यम में प्रशिक्षित 20 टीचर्स की नियुक्ति की है, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है और इससे उस क्षेत्र में हमारी भाषा को खतरा है.
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सांगली और सोलापुर जिलों में कन्नड़ लोगों की आबादी आबादी 25 फीसदी से अधिक है. इसके बावजूद, इन जिलों के 24 कन्नड़ माध्यम स्कूलों में से केवल 4 में कन्नड़ भाषी शिक्षक हैं, जबकि बाकी में मराठी में बोलने वाले शिक्षक हैं.
मराठी थोपने की कोशिश
चंदरागी ने कहा कि मराठी-प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति करने का महाराष्ट्र का यह कदम कन्नड़ माध्यम शिक्षा को धीरे-धीरे खत्म करने और हमारे लोगों पर मराठी थोपने का एक ठोस प्रयास है.उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र में सैकड़ों बेरोजगार कन्नड़ शिक्षक हैं. उन्हें इन स्कूलों में नियुक्त किया जा सकता है.
इस पहले सांगली जिले के जाट निर्वाचन क्षेत्र के विधायक विक्रमसिंह सावंत ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री के समक्ष इस मुद्दे पर चिंता जताई थी. गौरतलब है कि पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के मार्गदर्शन में बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट ऑथोरिटी ने कन्नड़ माध्यम से शिक्षित छात्रों के लिए शिक्षा और रोजगार में 5 फीसदी आरक्षण की सिफारिश करते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी. हालांकि, सरकार बदलने के इन सिफारिशों को लागू में देरी हुई.
मामले में सरकार की कार्रवाई के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए, चंद्रागी ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के आश्वासन का हवाला दिया कि इस मामले में पांच महीने पहले महाराष्ट्र को एक पत्र भेजा गया था. उन्होंने जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र को भी कर्नाटक के मराठी माध्यम के स्कूलों में कन्नड़ को समान महत्व देकर जवाब देना चाहिए.
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