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मणिपुर के मेइती संगठनों ने सीमा पर बाड़ लगाने का स्वागत किया, नगा-कुकी संगठनों ने विरोध किया

MYANMAR FENCING: इंफाल घाटी के मेइती समूह सीमा पर बाड़ लगाने की लगातार मांग करते रहे हैं. उनका आरोप है कि आदिवासी उग्रवादी अकसर खुली सीमा के माध्यम से भारत में प्रवेश करते हैं. मेइती समूहों का यह भी आरोप है कि बिना बाड़ वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा का फायदा उठाकर भारत में मादक पदार्थों की तस्करी की जा रही है.

MYANMAR FENCING
सीमा पर बाड़ लगाने का स्वागत
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By PTI

Published : Feb 7, 2024, 3:24 PM IST

इंफाल: मणिपुर के मेइती संगठनों ने 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है जबकि नगा और कुकी संगठनों ने कहा कि 'यह फैसला उन्हें स्वीकार्य नहीं है.' केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में मंगलवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार सीमाओं को ‘‘अभेद्य’’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, 'पूरी 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने का फैसला किया गया है. बेहतर निगरानी के लिए सीमा पर एक गश्ती मार्ग भी बनाया जाएगा.'

यह कदम भारत-म्यांमा सीमा पर प्रचलित 'मुक्त आवाजाही व्यवस्था' (एफएमआर) को समाप्त कर सकता है. एफएमआर के तहत भारत-म्यांमा सीमा के पास रहने वाले लोगों को बिना किसी दस्तावेज के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक जाने की अनुमति है. मणिपुर की कम से कम 398 किलोमीटर की सीमा म्यांमा से लगती है जिसमें 10 किलोमीटर की सीमा पर पहले ही बाड़ लगाई जा चुकी है.

नागरिक समाज संस्थाओं के संयुक्त संगठन 'कोऑर्डिनेटिंग कमेटी' (सीओसीओएमआई) ने भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के फैसले का स्वागत किया लेकिन साथ ही आगाह किया कि इस प्रक्रिया के दौरान राज्य के किसी भी भूमि क्षेत्र से समझौता न किया जाए. सीओसीओएमआई के सहायक मीडिया समन्वयक एम. धनंजय ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'अगर यह (सीमा पर बाड़) 30-40 साल पहले किया गया होता तो हिंसा नहीं होती जो कि आज हम देख रहे हैं.'

उन्होंने कहा, 'निस्संदेह खुली सीमा के कारण मादक पदार्थों की व्यापक स्तर पर तस्करी हुई जिससे युवाओं की जान को खतरा है और अवैध शरणार्थियों की बाढ़ आने से बड़े जनसांख्यिकीय बदलाव हुए जिससे मेइती एवं राज्य की नगा मूल आबादी को खतरा पहुंच रहा है.' धनंजय ने कहा, 'सीमा को बाड़ लगाकर सील किया जाना चाहिए। हम इसका स्वागत करते हैं लेकिन यह इस तरीके से किया जाना चाहिए कि राज्य का कोई भी भूमि क्षेत्र न गंवाना पड़े.'

इंफाल घाटी के मेइती समूह सीमा पर बाड़ लगाने की लगातार मांग करते रहे हैं. उनका आरोप है कि आदिवासी उग्रवादी अकसर खुली सीमा के माध्यम से भारत में प्रवेश करते हैं. मेइती समूहों का यह भी आरोप है कि बिना बाड़ वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा का फायदा उठाकर भारत में मादक पदार्थों की तस्करी की जा रही है. बहरहाल, राज्य में नगा संस्थाओं ने इस घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि सीमा पर बाड़बंदी तथा एफएमआर को रद्द करना उन्हें 'स्वीकार्य नहीं है.'

राज्य के शीर्ष नगा संगठन 'यूनाइटेड नगा काउंसिल' (यूएनसी) के अध्यक्ष एन. लोर्हो ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'हम सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को रद्द करने के खिलाफ हैं. केंद्रीय मंत्री ने जो कुछ भी कहा है, वह यूएनसी को स्वीकार्य नहीं है.'

उन्होंने कहा, 'जहां तक म्यांमा से मणिपुर में मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध शरणार्थियों का मुद्दा है तो हम केंद्रीय गृह मंत्री से वैकल्पिक समाधान और इनसे निपटने के लिए अन्य तरीके ढूंढ़ने का अनुरोध करते हैं'. इस बीच, कुकी संगठनों ने भी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने का 'विरोध' किया. 'कुकी इन्पी मणिपुर' ने जनवरी में कहा था कि 'अचानक' बाड़ लगाने से 'जटिल चुनौतियों' का समाधान नहीं होगा.

पढ़ें: मोदी सरकार का 1,643 किमी. लंबी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने का फैसला: शाह

इंफाल: मणिपुर के मेइती संगठनों ने 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के सरकार के फैसले का स्वागत किया है जबकि नगा और कुकी संगठनों ने कहा कि 'यह फैसला उन्हें स्वीकार्य नहीं है.' केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में मंगलवार को कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार सीमाओं को ‘‘अभेद्य’’ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, 'पूरी 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने का फैसला किया गया है. बेहतर निगरानी के लिए सीमा पर एक गश्ती मार्ग भी बनाया जाएगा.'

यह कदम भारत-म्यांमा सीमा पर प्रचलित 'मुक्त आवाजाही व्यवस्था' (एफएमआर) को समाप्त कर सकता है. एफएमआर के तहत भारत-म्यांमा सीमा के पास रहने वाले लोगों को बिना किसी दस्तावेज के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किलोमीटर तक जाने की अनुमति है. मणिपुर की कम से कम 398 किलोमीटर की सीमा म्यांमा से लगती है जिसमें 10 किलोमीटर की सीमा पर पहले ही बाड़ लगाई जा चुकी है.

नागरिक समाज संस्थाओं के संयुक्त संगठन 'कोऑर्डिनेटिंग कमेटी' (सीओसीओएमआई) ने भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के फैसले का स्वागत किया लेकिन साथ ही आगाह किया कि इस प्रक्रिया के दौरान राज्य के किसी भी भूमि क्षेत्र से समझौता न किया जाए. सीओसीओएमआई के सहायक मीडिया समन्वयक एम. धनंजय ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'अगर यह (सीमा पर बाड़) 30-40 साल पहले किया गया होता तो हिंसा नहीं होती जो कि आज हम देख रहे हैं.'

उन्होंने कहा, 'निस्संदेह खुली सीमा के कारण मादक पदार्थों की व्यापक स्तर पर तस्करी हुई जिससे युवाओं की जान को खतरा है और अवैध शरणार्थियों की बाढ़ आने से बड़े जनसांख्यिकीय बदलाव हुए जिससे मेइती एवं राज्य की नगा मूल आबादी को खतरा पहुंच रहा है.' धनंजय ने कहा, 'सीमा को बाड़ लगाकर सील किया जाना चाहिए। हम इसका स्वागत करते हैं लेकिन यह इस तरीके से किया जाना चाहिए कि राज्य का कोई भी भूमि क्षेत्र न गंवाना पड़े.'

इंफाल घाटी के मेइती समूह सीमा पर बाड़ लगाने की लगातार मांग करते रहे हैं. उनका आरोप है कि आदिवासी उग्रवादी अकसर खुली सीमा के माध्यम से भारत में प्रवेश करते हैं. मेइती समूहों का यह भी आरोप है कि बिना बाड़ वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा का फायदा उठाकर भारत में मादक पदार्थों की तस्करी की जा रही है. बहरहाल, राज्य में नगा संस्थाओं ने इस घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि सीमा पर बाड़बंदी तथा एफएमआर को रद्द करना उन्हें 'स्वीकार्य नहीं है.'

राज्य के शीर्ष नगा संगठन 'यूनाइटेड नगा काउंसिल' (यूएनसी) के अध्यक्ष एन. लोर्हो ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'हम सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को रद्द करने के खिलाफ हैं. केंद्रीय मंत्री ने जो कुछ भी कहा है, वह यूएनसी को स्वीकार्य नहीं है.'

उन्होंने कहा, 'जहां तक म्यांमा से मणिपुर में मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध शरणार्थियों का मुद्दा है तो हम केंद्रीय गृह मंत्री से वैकल्पिक समाधान और इनसे निपटने के लिए अन्य तरीके ढूंढ़ने का अनुरोध करते हैं'. इस बीच, कुकी संगठनों ने भी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने का 'विरोध' किया. 'कुकी इन्पी मणिपुर' ने जनवरी में कहा था कि 'अचानक' बाड़ लगाने से 'जटिल चुनौतियों' का समाधान नहीं होगा.

पढ़ें: मोदी सरकार का 1,643 किमी. लंबी भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने का फैसला: शाह

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