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मणिपुर जातीय हिंसा: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस गीता मित्तल समिति का कार्यकाल छह महीने बढ़ाया - Manipur Ethnic Violence

मणिपुर में पीड़ितों को राहत और पुनर्वास की निगरानी के लिए तीन पूर्व महिला हाई कोर्ट न्यायाधीशों की निगरानी में बनी समिति का कार्यकाल छह माह के लिए बढ़ा दिया गया है. यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिए.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (फोटो - ANI Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 5, 2024, 7:47 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को न्यायमूर्ति गीता मित्तल समिति का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया, जिसका गठन पिछले साल मणिपुर में पीड़ितों के राहत और पुनर्वास की निगरानी के लिए किया गया था. बता दें कि यह राज्य मई 2023 से जातीय हिंसा से जूझ रहा है. जातीय हिंसा के कारण यहां 200 से अधिक लोग मारे गए हैं, कई सौ घायल हुए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे, उन्होंने न्यायालय को सूचित किए जाने के बाद समिति का कार्यकाल बढ़ा दिया कि इसका कार्यकाल 15 जुलाई को समाप्त हो गया है. पीठ ने कहा कि "न्यायमूर्ति गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है."

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मित्तल के अलावा, पैनल में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) शालिनी पी जोशी, जो बॉम्बे उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं, और दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश आशा मेनन शामिल थीं. पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों के राहत और पुनर्वास तथा मुआवज़े की निगरानी के लिए तीन पूर्व महिला हाई कोर्ट जजों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसलगीकर को आपराधिक मामलों की जांच की निगरानी करने के लिए भी कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि समिति अपनी सभी रिपोर्ट उसे सौंपेगी. सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य में महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाए जाने के वीडियो को 'बेहद परेशान करने वाला' करार देने के कुछ दिनों बाद इस पैनल का गठन किया था.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को न्यायमूर्ति गीता मित्तल समिति का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया, जिसका गठन पिछले साल मणिपुर में पीड़ितों के राहत और पुनर्वास की निगरानी के लिए किया गया था. बता दें कि यह राज्य मई 2023 से जातीय हिंसा से जूझ रहा है. जातीय हिंसा के कारण यहां 200 से अधिक लोग मारे गए हैं, कई सौ घायल हुए हैं और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं.

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे, उन्होंने न्यायालय को सूचित किए जाने के बाद समिति का कार्यकाल बढ़ा दिया कि इसका कार्यकाल 15 जुलाई को समाप्त हो गया है. पीठ ने कहा कि "न्यायमूर्ति गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली समिति का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है."

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मित्तल के अलावा, पैनल में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) शालिनी पी जोशी, जो बॉम्बे उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश हैं, और दिल्ली उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश आशा मेनन शामिल थीं. पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों के राहत और पुनर्वास तथा मुआवज़े की निगरानी के लिए तीन पूर्व महिला हाई कोर्ट जजों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसलगीकर को आपराधिक मामलों की जांच की निगरानी करने के लिए भी कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया था कि समिति अपनी सभी रिपोर्ट उसे सौंपेगी. सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य में महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाए जाने के वीडियो को 'बेहद परेशान करने वाला' करार देने के कुछ दिनों बाद इस पैनल का गठन किया था.

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