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कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसा: बकरीद की नमाज छोड़ लोगों को बचाने में लगा यह युवक, 'खुदा की सच्ची इबादत' - Kanchanjungha Express Accident

कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद लोगों की जान बचाने के लिए इलाके में रहने वाले एक मुस्लिम युवक ने बकरीद की नमाज छोड़ दी और मौके पर राहत-बचाव कार्य में लग गया. उसके अलावा भी इलाके के कई लोग मौके पर बचाव कार्य कर रहे हैं. ईटीवी भारत के सुभादीप रॉय नंदी ने विशेष रिपोर्ट...

Rescue operations in Kanchenjunga Express accident
कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे में बचाव कार्य (फोटो - ETV Bharat West Bengal Desk)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 17, 2024, 7:13 PM IST

सिलीगुड़ी/जलपाईगुड़ी: पूरे देश की तरह सिलीगुड़ी/जलपाईगुड़ी में भी सुबह 8 बजकर पांच मिनट पर बकरीद की नमाज़ पढ़ी जा रही थी. लेकिन खुशी के इस माहौल में एक मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मारी, जिससे इसके दो डिब्बे पटरी से उतर गए. खबर सुनते ही इलाके में रहने वाले मोहम्मद इरफ़ान नाम के व्यक्ति ने नमाज़ बीच में ही छोड़ दी.

इरफ़ान बिना कोई देरी किए फांसीदेवा इलाके के रंगापानी स्टेशन की ओर निकल पड़े. उन्होंने ट्रेन में फंसे यात्रियों को बचाने के लिए बचावकार्य शुरू कर दिया. इरफ़ान ही नहीं बल्कि ट्रेन में फंसे लोगों की जान बचाने के लिए आस-पास के इलाकों से 50 से ज़्यादा लोग मौके पर पहुंचे. मयनागुड़ी (अब रंगापानी) में हुए भयानक रेल हादसे के बाद जरूरत के समय स्थानीय लोगों ने 'मसीहा' या ईश्वर के दूत बन गए.

प्रत्यक्षदर्शी और स्थानीय बचावकर्ता मोहम्मद इरफान ने कहा कि 'हम सुबह ईद की नमाज़ अदा कर रहे थे. उस समय, हमें अचानक एक तेज़ आवाज़ सुनाई दी. हम स्टेशन की ओर भागे. हम 20-25 लोग मौके पर पहुंचे और देखा कि ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. हमने गार्ड और ड्राइवर के शव को ट्रेन से बाहर निकाला. कई अन्य लोग ट्रेन के अंदर फंसे हुए थे. हम उन्हें बाहर नहीं निकाल पाए. न्यू जलपाईगुड़ी से सियालदह के रास्ते में, हमने यात्रियों को बचाया.'

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ट्रेन दुर्घटना के बाद पुलिस और आरपीएफ काफी देर से मौके पर पहुंची. इस दौरान इलाके के लोगों ने बचाव कार्य में हाथ बंटाया. उन्होंने ट्रेन के मलबे से ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाने की कोशिश की. स्थानीय लोगों ने ट्रेन के अन्य यात्रियों को मोटरसाइकिल पर बैठाकर पास के बस स्टॉप और रेलवे स्टेशन पहुंचाया.

इन यात्रियों के लिए रेलवे ने अलग से ट्रेन की व्यवस्था की. घटनास्थल से यात्रियों को ट्रेन से न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन ले जाया गया. मयनागुड़ी के डोमहानी में गुवाहाटी-बीकानेर एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना के बाद पुलिस प्रशासन के साथ आम लोगों ने भी बचाव कार्य किया. स्थानीय लोग अपनी जान जोखिम में डालकर यात्रियों को बचाने के लिए दौड़ पड़े. स्थानीय लोग बारिश के बीच दुर्घटनास्थल पर पहुंचे और बचाव कार्य में जुट गए.

सिलीगुड़ी/जलपाईगुड़ी: पूरे देश की तरह सिलीगुड़ी/जलपाईगुड़ी में भी सुबह 8 बजकर पांच मिनट पर बकरीद की नमाज़ पढ़ी जा रही थी. लेकिन खुशी के इस माहौल में एक मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मारी, जिससे इसके दो डिब्बे पटरी से उतर गए. खबर सुनते ही इलाके में रहने वाले मोहम्मद इरफ़ान नाम के व्यक्ति ने नमाज़ बीच में ही छोड़ दी.

इरफ़ान बिना कोई देरी किए फांसीदेवा इलाके के रंगापानी स्टेशन की ओर निकल पड़े. उन्होंने ट्रेन में फंसे यात्रियों को बचाने के लिए बचावकार्य शुरू कर दिया. इरफ़ान ही नहीं बल्कि ट्रेन में फंसे लोगों की जान बचाने के लिए आस-पास के इलाकों से 50 से ज़्यादा लोग मौके पर पहुंचे. मयनागुड़ी (अब रंगापानी) में हुए भयानक रेल हादसे के बाद जरूरत के समय स्थानीय लोगों ने 'मसीहा' या ईश्वर के दूत बन गए.

प्रत्यक्षदर्शी और स्थानीय बचावकर्ता मोहम्मद इरफान ने कहा कि 'हम सुबह ईद की नमाज़ अदा कर रहे थे. उस समय, हमें अचानक एक तेज़ आवाज़ सुनाई दी. हम स्टेशन की ओर भागे. हम 20-25 लोग मौके पर पहुंचे और देखा कि ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी. हमने गार्ड और ड्राइवर के शव को ट्रेन से बाहर निकाला. कई अन्य लोग ट्रेन के अंदर फंसे हुए थे. हम उन्हें बाहर नहीं निकाल पाए. न्यू जलपाईगुड़ी से सियालदह के रास्ते में, हमने यात्रियों को बचाया.'

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ट्रेन दुर्घटना के बाद पुलिस और आरपीएफ काफी देर से मौके पर पहुंची. इस दौरान इलाके के लोगों ने बचाव कार्य में हाथ बंटाया. उन्होंने ट्रेन के मलबे से ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाने की कोशिश की. स्थानीय लोगों ने ट्रेन के अन्य यात्रियों को मोटरसाइकिल पर बैठाकर पास के बस स्टॉप और रेलवे स्टेशन पहुंचाया.

इन यात्रियों के लिए रेलवे ने अलग से ट्रेन की व्यवस्था की. घटनास्थल से यात्रियों को ट्रेन से न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन ले जाया गया. मयनागुड़ी के डोमहानी में गुवाहाटी-बीकानेर एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना के बाद पुलिस प्रशासन के साथ आम लोगों ने भी बचाव कार्य किया. स्थानीय लोग अपनी जान जोखिम में डालकर यात्रियों को बचाने के लिए दौड़ पड़े. स्थानीय लोग बारिश के बीच दुर्घटनास्थल पर पहुंचे और बचाव कार्य में जुट गए.

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