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ठाणे में नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोपी को पीड़िता के बयान बदलने के बाद बरी किया गया - ठाने यौन उत्पीड़न का आरोपी बरी

Thane Victim Turns Hostile : महाराष्ट्र के ठाणे जिले की विशेष पॉस्को (यौन उत्पीड़न से बच्चों का संरक्षण संबंधी अधिनियम) अदलात ने यौन उत्पीड़न के आरोपी को बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष इस मामले में सबूत पेश नहीं कर पाया.

Thane Victim Turns Hostile
प्रतिकात्मक तस्वीर
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By PTI

Published : Feb 11, 2024, 11:17 AM IST

ठाणे : महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक अदालत ने नाबालिग लड़की से यौन उत्पीड़न के 31 वर्षीय आरोपी को पीड़िता एवं उसकी मां के बयान बदल देने के कारण बरी कर दिया गया. विशेष पॉस्को (यौन उत्पीड़न से बच्चों का संरक्षण संबंधी अधिनियम) अदालत की न्यायाधीश वी.वी. विरकर ने चार फरवरी को पारित आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी के खिलाफ आरोप साबित नहीं कर पाया और आरोपी को संदेह का लाभ दिया जाना चाहिए. आदेश की प्रति रविवार को उपलब्ध कराई गई.

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि ठाणे में कलवा इलाके के ठाकुरपाड़ा निवासी व्यक्ति ने 17 नवंबर, 2019 को उसी इलाके में रहने वाली 13 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न किया और उसे परेशान किया. उसने आरोप लगाया था कि आरोपी ने पहले भी कई बार लड़की का पीछा किया था और उसे गलत तरीके से छुआ था.

आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था. बचाव पक्ष के वकीलों ने अदालत से कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप झूठे और निराधार हैं.

न्यायाधीश ने कहा कि जहां तक शिकायत संबंधी सामग्री का संबंध है तो जांच अधिकारी की गवाही को 'अभियोजन पक्ष के लिए उपयोगी नहीं कहा जा सकता और ऐसी सामग्री को केवल अभियोजक या उसकी मां की ओर से मुहैया कराए जाने वाले साक्ष्य के आधार पर ही साबित किया जा सकता है.

पीड़िता और उसकी मां ने अभियोजन के मामले का समर्थन नहीं किया और वे मुकर गईं. शिकायत में बताए गए आरोपों को साबित करने के लिए रिकॉर्ड में कुछ पेश नहीं किया गया. अदालत ने आरोपी को सभी आरोपों से बरी करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं किया जा सका.

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अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि ठाणे में कलवा इलाके के ठाकुरपाड़ा निवासी व्यक्ति ने 17 नवंबर, 2019 को उसी इलाके में रहने वाली 13 वर्षीय लड़की का यौन उत्पीड़न किया और उसे परेशान किया. उसने आरोप लगाया था कि आरोपी ने पहले भी कई बार लड़की का पीछा किया था और उसे गलत तरीके से छुआ था.

आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था. बचाव पक्ष के वकीलों ने अदालत से कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप झूठे और निराधार हैं.

न्यायाधीश ने कहा कि जहां तक शिकायत संबंधी सामग्री का संबंध है तो जांच अधिकारी की गवाही को 'अभियोजन पक्ष के लिए उपयोगी नहीं कहा जा सकता और ऐसी सामग्री को केवल अभियोजक या उसकी मां की ओर से मुहैया कराए जाने वाले साक्ष्य के आधार पर ही साबित किया जा सकता है.

पीड़िता और उसकी मां ने अभियोजन के मामले का समर्थन नहीं किया और वे मुकर गईं. शिकायत में बताए गए आरोपों को साबित करने के लिए रिकॉर्ड में कुछ पेश नहीं किया गया. अदालत ने आरोपी को सभी आरोपों से बरी करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ कोई भी आरोप साबित नहीं किया जा सका.

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