मथुरापुर: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरक्षण को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया. ममता ने कहा कि 'नरेंद्र मोदी और अमित शाह कह रहे हैं कि अनुसूचित जाति/जनजाति से आरक्षण छीनकर अल्पसंख्यकों को दिया जा रहा है. ऐसा कभी नहीं हो सकता.'
ममता ने शुक्रवार को मथुरापुर में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए कहा, 'यह वास्तव में अनुसूचित जाति/जनजाति और अल्पसंख्यकों के बीच संघर्ष पैदा करने की भाजपा की साजिश है. और उसी योजना के तहत ये 5 लाख ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द किए गए हैं.'
ममता ने लोकसभा चुनाव 2024 में पैसे से वोट खरीदने की भी शिकायत की है. नाराज ममता ने कहा, 'अरे कह रहे हैं कि तृणमूल ने पैसा चुराया है. उन्होंने इसे संदेशखाली में नहीं देखा? उन्होंने इसकी योजना बनाई. उन्होंने फ्रेम करने की कोशिश की. सब बेनकाब हो गए हैं. अब फिर करोड़ों रुपये गांवों में ले जा रहे हैं. वह भी केंद्र सरकार की गाड़ियों में. वे गरीब लोगों को खाना नहीं दे सकते. अब वे करोड़ों रुपये लेकर गांव में घुस रहे हैं.. मैं पुलिस से चेकिंग बढ़ाने को कह रही हूं.'
फैसले पर भी उठाया सवाल : मंच से ममता बनर्जी ने ओबीसी सर्टिफिकेट खत्म करने के कोर्ट के आदेश को चुनौती देने की चेतावनी दी है. ममता ने 5 लाख प्रमाणपत्रों को खारिज करने के पीछे साजिश का भी आरोप लगाया. उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के एक वर्ग पर भाजपा की ओर से फैसला देने का आरोप लगाया. ममता ने कहा कि 'कलकत्ता हाई कोर्ट के जज बीजेपी की ओर से फैसले सुना रहे हैं. चुनाव से ठीक पहले ये कोई साजिश है या क्या?'
'हम जानते हैं इसे कैसे रोकना है' : ममता ने शुक्रवार को मथुरापुर लोकसभा में तृणमूल के प्रचार अभियान में कहा, 'अब कोई कह रहा है कि 5 लाख ओबीसी प्रमाणपत्र रद्द कर दिए गए हैं. मैं कह रही हूं रद्द नहीं हुए. इतनी जल्दी रद्द करना संभव नहीं है. लोगों ने कड़ी मेहनत की है. आपका फैसला बीजेपी का फैसला है. हम आपके फैसले को चुनौती देने के लिए ऊपरी अदालत में जाएंगे.' उन्होंने कहा कि 'हम जानते हैं कि इसे कैसे रोकना है.'
कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने 2010 के बाद जारी किए गए लगभग 5 लाख ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द करने का आदेश दिया है. उच्च न्यायालय की खंडपीठ के फैसले को वापस लेने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार को सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना होगा. और यह ग्रीष्म अवकाश के बाद संभव है क्योंकि शीर्ष अदालत इस समय ग्रीष्म अवकाश पर है. तभी राज्य सरकार कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ अपील कर सकती है.