नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया. इस घटना को सोमवार को 5 पांच साल पूरे हो चुके हैं. इस दौरान जम्मू कश्मीर में कई बदलाव आए. विशेष दर्जा समाप्त किए जाने के पहले 4 साल घाटी में आतंकी गतिविधियों और भाई-भतीजावाद में भारी गिरावट आई.
हालांकि, पिछले कुछ महीनों में यहां एक बार फिर आतंकवादी गतिविधियां देखने को मिल रही हैं और आतंकी फिर से सुरक्षा बलों को निशाना बना रहे हैं. वहीं, सेना भी उन्हें मुंह तोड़ जवाब दे रही है, तो चलिए अब आपको बताते हैं कि पिछले पांच साल में जम्मू कश्मीर में क्या क्या हुआ?
नेताओं की नजरबंदी समाप्त
इस दौरान जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जम्मू कश्मीर के कई नेताओं को नजरबंद कर दिया था. हालांकि, बाद में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने जम्मू के लगभग सभी पॉलिटिकल लीडर्स की नजरबंदी खत्म कर दी. नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला नजरबंदी से रिहा होने वाले पहले राजनेता थे. उन्हें 13 मार्च, 2020 को रिहा किया गया था. उसके बाद उनके बेटे और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और अंत में अक्टूबर 2020 में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को रिहा किया गया.
सुरक्षा स्थिति में सुधार
जनवरी 2024 में संसद में अमित शाह ने एक बयान दिया था, जिसमें कहा गया था कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में 66 प्रतिशत की कमी आई है. जून 2024 में संसदीय कार्यवाही के दौरान, गृह मंत्रालय ने तुलनात्मक आंकड़ों का हवाला देते हुए खुलासा किया कि रणनीति और कार्रवाई के कारण जम्मू कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में कमी आई है. मंत्रालय ने कहा कि 2018 में 91 सुरक्षाकर्मी मारे गए थे, जबकि 2023 में 30 कर्मी मारे गए. इस साल 21 जुलाई तक 14 सुरक्षाकर्मी मारे गए.
जम्मू का आतंक के नए केंद्र के रूप में उभरना
इस बीच आतंकवाद ने अपना आधार कश्मीर घाटी से जम्मू में स्थानांतरित कर दिया है. हाल के दिनों में आतंकवादियों ने राजौरी और पुंछ सेक्टरों में सुरक्षा बलों पर कई हमले किए. द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन साल में जम्मू कश्मीर में 119 सुरक्षा बल के जवान मारे गए और इनमें से 40 फीसदी से अधिक हत्याएं जम्मू में हुई. 2021 से पुंछ, राजौरी, कठुआ, रियासी, डोडा और उधमपुर जिलों में आतंकवादियों द्वारा शुरू की गई विभिन्न घटनाओं में कम से कम 51 सुरक्षाकर्मी मारे गए. 2021 की शुरुआत से जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद से संबंधित हिंसा की 29 घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों और नागरिकों को निशाना बनाया है.
जम्मू-कश्मीर भूमि कानून में संशोधन
26 अक्टूबर 2020 को केंद्र ने क्षेत्र के लिए नए भूमि कानूनों को अधिसूचित किया, जिससे निरस्त अनुच्छेद 370 के तहत दी गई भूमि पर स्थानीय लोगों के विशेष अधिकार समाप्त हो गए. गृह मंत्रालय ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के लिए भूमि कानूनों में कई संशोधनों की घोषणा की, जिसमें जम्मू कश्मीर विकास अधिनियम 1970 भी शामिल है, जो अब तक केवल स्थायी निवासियों को पूर्ववर्ती राज्य में संपत्ति खरीदने या बेचने का अधिकार देता था.
अप्रैल 2023 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को सूचित किया कि पिछले तीन साल में जम्मू कश्मीर के बाहर के 185 लोगों ने केंद्र शासित प्रदेश में जमीन खरीदी.
पर्यटन में तेजी से वृद्धि
जम्मू कश्मीर के पर्यटन विभाग के अनुसार 2023 में 21.1 मिलियन से अधिक पर्यटक इस क्षेत्र में आए, जिसका क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि पिछले तीन साल के दौरान पर्यटन क्षेत्र ने 15.13 प्रतिशत की वार्षिक औसत वृद्धि दर दर्ज की. सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में पर्यटन का योगदान वित्त वर्ष 2019-20 में 7.84 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 8.47 प्रतिशत हो गया है.
जम्मू-कश्मीर में कुछ प्रमुख कार्यक्रम आयोजित किए गए
2023 में कश्मीर घाटी ने प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी की, जिसमें जी20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप मीटिंग और मिस यूनिवर्स प्रेस कॉन्फ्रेंस शामिल है. 17 मार्च 2024 को श्रीनगर में फॉर्मूला-4 (F4) कार रेसिंग का उद्घाटन कार्यक्रम हुआ. टी20 लीजेंड्स लीग ने यहां 35 साल बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी को चिह्नित किया.
घाटी में सिनेमा की वापसी हुई
सरकार की पहल पर जम्मू-कश्मीर फिल्म पॉलिसी-2021 लाने से फिल्म शूटिंग को बढ़ावा मिला है. 2023 में जम्मू-कश्मीर में 50 से ज़्यादा फिल्मों की शूटिंग की गई. अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद 30 साल बाद 2021 में जम्मू-कश्मीर में पहली बार सिनेमा हॉल खुले. 2022 में श्रीनगर में एक मल्टीप्लेक्स बनाया गया, उसके बाद पुलवामा, शोपियां, बारामुल्ला और हंदवाड़ा में 4 नए थिएटर खोले गए.
अर्थव्यवस्था में सुधार
अमित शाह ने संसद में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक 2023 पर चर्चा के दौरान जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर हुई प्रगति पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से पहले GSDP 1 लाख करोड़ रुपये थी, जो महज 5 साल में (दिसंबर 2023 तक) दोगुनी होकर 2,27,927 रुपये हो गई है.
फरवरी 2024 को, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रविवार को कहा कि पिछले चार-पांच वर्षों में किए गए सुधारों के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर की जीडीपी 2018-19 में 1.6 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 2.64 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
निवेश आकर्षित करना
वित्त वर्ष 2019-20 से नवंबर 2023 तक के आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश ने पिछले पांच साल में कुल 5319 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त किया है. 2023 में कई न्यूज रिपोर्टों में दावा किया गया कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षित माहौल से उत्साहित और आश्वस्त होकर, केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) में लगभग 25 हजार करोड़ रुपये की निवेश परियोजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं, जबकि 80 हजार करोड़ रुपये से अधिक के प्रस्ताव प्रक्रियाधीन हैं.
शैक्षणिक सुविधाओं में सुधार
सरकारी डिग्री/इंजीनियरिंग कॉलेजों की संख्या 96 से बढ़कर 147 हो गई है. जम्मू-कश्मीर पहला राज्य बन गया है, जहां आईआईटी, आईआईएम और 2 एम्स हैं. जम्मू कश्मीर में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाई गई है. यहां पहले केवल 4 मेडिकल कॉलेज थे, अब 7 नए मेडिकल कॉलेज बनाए गए हैं. इसके अलावा 15 नए नर्सिंग कॉलेज भी स्थापित किए गए हैं, पहले मेडिकल सीटें 500 थीं, अब अनुच्छेद 370 के खत्म होने के बाद 800 सीटें और बढ़ा दी गई हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को बरकरार रखा
11 दिसंबर 2023 को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, सीपीआई (एम), स्थानीय हाईकोर्ट बार एसोसिएशन और पूर्व नौकरशाह से राजनेता बने शाह फैसल द्वारा दायर निरस्तीकरण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपने फैसले में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया.
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की संवैधानिकता पर फैसला सुनाते हुए चुनाव आयोग को 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का आदेश दिया.
बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं
जून 2024 में प्रसिद्ध चिनाब ब्रिज पर ट्रायल रन हुआ भारतीय रेलवे ने जम्मू और कश्मीर में दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे ब्रिज, प्रसिद्ध चिनाब ब्रिज पर आठ कोच वाली मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (MEMU) ट्रेन के सफल ट्रायल रन के साथ एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की.
फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर में 16,000 करोड़ रुपये से अधिक की प्रमुख रेलवे परियोजनाओं का उद्घाटन किया. इनमें उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक परियोजना (USBRL) के तहत नई रेल लाइन का 48.1 किलोमीटर (किमी) शामिल है.
लोकसभा चुनाव 2024 का आयोजन
2024 का भारतीय आम चुनाव जम्मू कश्मीर में 19 अप्रैल से 20 मई 2024 तक 5 चरणों में आयोजित किया गया. लोकसभा चुनाव 2024 अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में आयोजित पहला बड़ा चुनाव था.
35 साल में सबसे ज्यादा मतदान
चुनाव आयोग ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर की पांच सीटों पर रिकॉर्ड 58.46 प्रतिशत मतदान हुआ. चुनाव आयोग ने कहा कि यह पिछले 35 वर्षों में पूर्ववर्ती राज्य में सबसे ज़्यादा मतदान भागीदारी है.
नए राजनीतिक दलों का उदय
संडे गार्जियन के अनुसार 2019 से 2022 तक जम्मू-कश्मीर में 10 नए राजनीतिक दलों ने राज्य में आगामी चुनावों में भाग लेने के लिए चुनाव आयोग में रजिस्ट्रेशन किया. इस सूची में नेशनल अवामी यूनाइटेड पार्टी, अमन और शांति तहरीक-ए-जम्मू कश्मीर, नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी, वॉयस ऑफ लेबर पार्टी, हक इंसाफ पार्टी, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी, आदि शामिल हैं. आईएएस अधिकारी डॉ शाह फैसल ने भी 2019 में जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट की शुरुआत की थी. बाद में उन्होंने 2020 में राजनीति से खुद को अलग कर लिया.
गुपकार गठबंधन का पतन
गुपकार गठबंधन अक्टूबर 2020 में बना था. इसमें सात राजनीतिक दल शामिल थे. इसने अनुच्छेद 370 (पूर्ववर्ती राज्य का विशेष दर्जा) की बहाली की मांग की थी. गुपकार गठबंधन में शामिल दलों ने दावा किया था कि वह मोदी सरकार के फैसले को पलटने के लिए संवैधानिक, कानूनी और राजनीतिक साधनों का उपयोग करके लड़ेगा, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले, गुपकार गठबंधन टूट गया क्योंकि INDIA (भारतीय राष्ट्रीय विकास समावेशी गठबंधन) ब्लॉक के दो प्रमुख दलों - नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया.
परिसीमन पैनल ने जम्मू-कश्मीर के नए विधानसभा क्षेत्रों को अधिसूचित किया
मई 2022 में जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों की नई सीमाओं, नामों और संख्या को अधिसूचित किया, जिससे 2019 में पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य से अलग किए गए केंद्र शासित प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ हो गया. नई विधानसभा में 90 सीटें होंगी, जिनमें से 47 कश्मीर में और 43 जम्मू में होंगी. आयोग ने अपने बयान में कहा कि जम्मू-कश्मीर में पहली बार अनुसूचित जनजातियों के लिए नौ सीटें आरक्षित की गई हैं. अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों में से छह जम्मू क्षेत्र में और तीन कश्मीर घाटी में हैं. अनुसूचित जातियों के लिए सात सीटें आरक्षित की गई हैं.
सामाजिक न्याय प्रदान करना
फरवरी 2024 में, संसद द्वारा संविधान (जम्मू कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया गया, जिसमें ‘पहाड़ी जातीय समूह, पद्दारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण’ समुदायों को जम्मू और कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल किया गया. 9 फरवरी, 2024 को संसद ने जम्मू कश्मीर स्थानीय निकाय कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य संघ राज्य क्षेत्र (पंचायतों और नगर पालिकाओं) के स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण प्रदान करना और साथ ही स्थानीय निकाय कानूनों को संविधान के प्रावधानों के अनुरूप लाना है.
लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आंदोलन
जम्मू-कश्मीर से अलग होकर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद पिछले पांच साल में लद्दाख में कई बार बंद, सड़कों पर लगातार विरोधऔर प्रदर्शन हुए, जिससे स्थानीय लोगों में आइडेंटिटी, संसाधनों के नुकसान और नौकरशाही के अतिक्रमण को लेकर चिंताएं पैदा हुईं.
इस बीच जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग के समर्थन में मार्च 2024 में अपनी 21 दिन लंबी भूख हड़ताल समाप्त कर दी.
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