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OMG! जब 40 साल बाद मिले बिछड़े पिता, तो नम हुई परिजनों की आंखें - Main Found After 40 years

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Aug 13, 2024, 1:45 PM IST

Updated : Aug 13, 2024, 3:59 PM IST

Main Found After 40 years: हरियाणा में लावारिस घूम रहे शख्स को एक एनजीओ (नी आरसे दा आसरा) ने उसके परिवार से 40 साल बाद मिलवाया. परिजनों ने जब रामेश्वर दास को 40 साल बाद देखा तो आंखें नम हो गई और उन्हें विश्वास नहीं हो पाया कि रामेश्वर आज भी जिंदा है. एनजीओ के सदस्यों ने रामेश्वर दास का पहले इलाज कराया. जिसके बाद रामेश्वर दास ने अपने परिजनों के बारे में उन्हें बताया

Main Found After 40 years
Main Found After 40 years (Etv Bharat)
जब 40 साल बाद मिले बिछड़े पिता, तो नम हुई परिजनों की आंखें (Etv Bharat)

यमुनानगर: हरियाणा के यमुनानगर से बेहद अजीबो गरीब मामला सामने आया है. दरअसल, परिवार के लोग जिसे 40 साल से मरा हुआ समझकर उसका श्राद्ध निकाल रहे थे, वह रामेश्वर दास हरियाणा में जिंदा मिला है. हरियाणा के यमुनानगर में सरस्वती नगर में स्थित सामाजिक संस्था 'नी आसरे दा आसरा' ने 40 साल से बिछड़े रामेश्वर दास को उनके परिवार से मिलाने का सराहनीय कार्य किया. शेल्टर होम के अधिकारी जसकीरत सिंह ने बताया कि करीब एक महीने पहले रामेश्वर दास को कुरुक्षेत्र सिविल अस्पताल के बाहर से उठाया गया था. वहां के स्थानीय लोगों से पता चला था कि वे काफी समय से वहीं पर रह रहा था.

बिहार का रहने वाला है रामेश्वर: गिरने की वजह से रामेश्वर दास को चोट लगी हुई थी, जिसकी वजह से उसकी स्थिति सही नहीं थी. वह ठीक से चल नहीं सकता था. इसके बाद उसे यमुनानगर के मघरपुर गांव स्थित शेल्ट होम ले जाया गया. शेल्टर होम में रामेश्वर दास का इलाज किया गया. पूछताछ में पता चला कि वह बिहार के गया जिले के बड़ी खाप गांव का रहने वाला है.

घर पहुंचाने की ऐसे की पहल: शेल्टर होम के सदस्यों ने रामेश्वर दास के बड़े बेटे राजू भारती का नंबर निकालकर कॉल की. इसके बाद परिवार के लोग यमुनानगर पहुंचे तो रामेश्वर दास को देखकर फूट-फूटकर रोने लगे. इसके बाद उसे अपने साथ ले गए. रामेश्वर दास के बेटे राजू ने बताया कि पिता 40 साल पहले घर से बिना बताए चले गए थे. इसके बाद न घर आए और न ही संपर्क करने की कोशिश की. परिवार ने मान लिया था कि वह अब इस दुनिया में नहीं है. जिसके बाद पिता का श्राद्ध भी निकालने लगे थे.

परिजनों को नहीं हुआ यकीन: वहीं, जसकीरत सिंह ने आगे बताया कि हमारी ट्रैकिंग टीम रामेश्वर के घर तक पहुंची. परिवार उसे मरा हुआ समझ चुका था. लेकिन जब टीम ने परिवार को ये बात बताई तो उन्हें एक बार के लिए यकीन नहीं हुआ. फिर उसकी वीडियो कॉल पर बात कराई. यह पता चला है कि रामेश्वर हरियाणा में काम ढूंढने के लिए आया था. यहां वह बीमार होता चला गया. इसके बाद घर भी नहीं जा पाया. अभी तक हमारी टीम 350 के करीब लोगों को घर पहुंचा चुकी है. लोगों से अपील है कि आप लोगों को कोई भी रोड पर बेसहारा घूमता हुआ या मानसिक रूप से बीमार दिखे तो हमारी टीम को सूचना दें.

शेल्टर होम के सदस्यों को सलाम: शेल्टर होम के सदस्य जसकीरत सिंह ने कहा कि आसपास जिलों में जो भी बेसहारा लोग घूमते हैं, हम उनका शेल्टर होम में इलाज भी करते हैं. हमारे एक सदस्य ने कुरुक्षेत्र से कॉल किया था. वहां गए तो रामेश्वर दास की हालत नाजुक थी. जिसके बाद उसे लेकर आए और शेल्टर होम में इलाज शुरू किया. यहां काउंसिलिंग से बाद पता चला कि वह बिहार का रहने वाला है.

ये भी पढ़ें: अपने ही 'घर' में घट रही हाथियों की संख्या, शिकारी नहीं बल्कि ये है वजह - World Elephant Day 2024

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जब 40 साल बाद मिले बिछड़े पिता, तो नम हुई परिजनों की आंखें (Etv Bharat)

यमुनानगर: हरियाणा के यमुनानगर से बेहद अजीबो गरीब मामला सामने आया है. दरअसल, परिवार के लोग जिसे 40 साल से मरा हुआ समझकर उसका श्राद्ध निकाल रहे थे, वह रामेश्वर दास हरियाणा में जिंदा मिला है. हरियाणा के यमुनानगर में सरस्वती नगर में स्थित सामाजिक संस्था 'नी आसरे दा आसरा' ने 40 साल से बिछड़े रामेश्वर दास को उनके परिवार से मिलाने का सराहनीय कार्य किया. शेल्टर होम के अधिकारी जसकीरत सिंह ने बताया कि करीब एक महीने पहले रामेश्वर दास को कुरुक्षेत्र सिविल अस्पताल के बाहर से उठाया गया था. वहां के स्थानीय लोगों से पता चला था कि वे काफी समय से वहीं पर रह रहा था.

बिहार का रहने वाला है रामेश्वर: गिरने की वजह से रामेश्वर दास को चोट लगी हुई थी, जिसकी वजह से उसकी स्थिति सही नहीं थी. वह ठीक से चल नहीं सकता था. इसके बाद उसे यमुनानगर के मघरपुर गांव स्थित शेल्ट होम ले जाया गया. शेल्टर होम में रामेश्वर दास का इलाज किया गया. पूछताछ में पता चला कि वह बिहार के गया जिले के बड़ी खाप गांव का रहने वाला है.

घर पहुंचाने की ऐसे की पहल: शेल्टर होम के सदस्यों ने रामेश्वर दास के बड़े बेटे राजू भारती का नंबर निकालकर कॉल की. इसके बाद परिवार के लोग यमुनानगर पहुंचे तो रामेश्वर दास को देखकर फूट-फूटकर रोने लगे. इसके बाद उसे अपने साथ ले गए. रामेश्वर दास के बेटे राजू ने बताया कि पिता 40 साल पहले घर से बिना बताए चले गए थे. इसके बाद न घर आए और न ही संपर्क करने की कोशिश की. परिवार ने मान लिया था कि वह अब इस दुनिया में नहीं है. जिसके बाद पिता का श्राद्ध भी निकालने लगे थे.

परिजनों को नहीं हुआ यकीन: वहीं, जसकीरत सिंह ने आगे बताया कि हमारी ट्रैकिंग टीम रामेश्वर के घर तक पहुंची. परिवार उसे मरा हुआ समझ चुका था. लेकिन जब टीम ने परिवार को ये बात बताई तो उन्हें एक बार के लिए यकीन नहीं हुआ. फिर उसकी वीडियो कॉल पर बात कराई. यह पता चला है कि रामेश्वर हरियाणा में काम ढूंढने के लिए आया था. यहां वह बीमार होता चला गया. इसके बाद घर भी नहीं जा पाया. अभी तक हमारी टीम 350 के करीब लोगों को घर पहुंचा चुकी है. लोगों से अपील है कि आप लोगों को कोई भी रोड पर बेसहारा घूमता हुआ या मानसिक रूप से बीमार दिखे तो हमारी टीम को सूचना दें.

शेल्टर होम के सदस्यों को सलाम: शेल्टर होम के सदस्य जसकीरत सिंह ने कहा कि आसपास जिलों में जो भी बेसहारा लोग घूमते हैं, हम उनका शेल्टर होम में इलाज भी करते हैं. हमारे एक सदस्य ने कुरुक्षेत्र से कॉल किया था. वहां गए तो रामेश्वर दास की हालत नाजुक थी. जिसके बाद उसे लेकर आए और शेल्टर होम में इलाज शुरू किया. यहां काउंसिलिंग से बाद पता चला कि वह बिहार का रहने वाला है.

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Last Updated : Aug 13, 2024, 3:59 PM IST
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