ठाणे: राजकोट किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने के मामले में मूर्तिकार जयदीप आप्टे को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उम्मीद है कि उसकी गिरफ्तारी के बाद चौंकाने वाली जानकारी सामने आएगी.
हादसे के बाद से मूर्तिकार जयदीप आप्टे फरार चल रहा था. पुलिस ने बीती उसे कल्याण से गिरफ्तार किया. सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की पूरी ऊंचाई वाली प्रतिमा 26 अगस्त को दोपहर करीब एक बजे ढह गई. इस हादसे के बाद महाराष्ट्र में बवाल मच गया. मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार जयदीप आप्टे को बुधवार रात को गिरफ्तार कर लिया गया. जयदीप आप्टे अंधेरे का फायदा उठाकर अपनी पत्नी से मिलने आया था.
पुलिस ने उसे उसके घर से गिरफ्तार किया है. पिछले कुछ दिनों से शिल्पकार आप्टे की गिरफ्तारी के लिए गृह विभाग और पुलिस पर दबाव बढ़ रहा था. मालवण पुलिस ने बुधवार को जयदीप आप्टे के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया था. सांसद संजय राउत ने भी जयदीप आप्टे के वर्षा बंगले में छिपे होने की संभावना जताई और गृह विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए.
सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के बाद विपक्ष ने सवाल उठाए और महायुति सरकार पर लगातार निशाना साधा. प्रतिमा हादसे के लिए जिम्मेदार जयदीप आप्टे और डॉ. जयदीप आप्टे को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है. इस मामले में डॉ. चेतन पाटिल और जगदीप आप्टे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. चेतन पाटिल की गिरफ्तारी के बाद जयदीप आप्टे लगातार पुलिस को गच्चा दे रहा था.
राजकोट किले पर छत्रपति शिवाजी महाराज की यह प्रतिमा भारतीय नौसेना ने स्थापित की थी. इस प्रतिमा को स्थापित करने का ठेका कल्याण के जयदीप आप्टे को दिया गया था. इस प्रतिमा का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 4 दिसंबर 2023 को नौसेना दिवस के अवसर पर किया था. इस प्रतिमा के रखरखाव और देखरेख की जिम्मेदारी नौसेना की थी.
इसके लिए नौसेना ने मेसर्स आर्टिस्ट्री कंपनी को ठेका दिया था. कंपनी के मालिक जयदीप आप्टे हैं और डॉ. चेतन पाटिल स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट हैं. आर्किटेक्ट चुनने से लेकर इसे डिजाइन करने तक की प्रक्रिया नौसेना ने ही की थी. छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के अचानक ढह जाने से महायुति सरकार की आलोचना हुई. विपक्षी दलों ने सवाल उठाए कि जब जयदीप आप्टे को पर्याप्त अनुभव नहीं था तो उन्हें शिवाजी की 35 फीट ऊंची मूर्ति बनाने का ठेका क्यों दिया गया? इतिहास में कोई सबूत न होने के बावजूद शिव राय के माथे पर घाव का निशान क्यों दिखाया गया?
महज आठ महीने में मूर्ति ढहने के मामले में ठेकेदार जयदीप आप्टे और स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट डॉ. चेतन पाटिल के खिलाफ पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 109, 110, 125, 318 और 3 (5) के तहत मामला दर्ज किया गया है. प्रतिमा निर्माण के लिए महाराष्ट्र सरकार ने नौसेना को 2 करोड़ 36 लाख रुपए का फंड दिया था. विशेषज्ञों का मानना है कि सिंधुदुर्ग में शिव राय की बड़ी प्रतिमा बनाने में करीब 3 साल का समय लगता है. हालांकि आप्टे ने यह मूर्ति महज सात महीने में ही पूरी कर ली.
पिछले साल जून से काम शुरू होने के बाद दिसंबर 2023 तक इस मूर्ति का काम पूरा हो जाएगा, इसकी जानकारी खुद जयदीप आप्टे ने एक इंटरव्यू में दी. उन्होंने बताया कि इस तरह की भव्य मूर्तियां बनाने का कोई खास अनुभव जयदीप को पहले नहीं था, लेकिन उन्हें यह ठेका दे दिया गया.
कौन हैं जयदीप आप्टे?
कल्याण पश्चिम के दूध नाका इलाके में रहता है. आठवीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान ही जयदीप ने कला के क्षेत्र में जाने का फैसला कर लिया था. उसने 10वीं तक की पढ़ाई सुभेदार वाडा हाई स्कूल में की. रहेजा स्कूल ऑफ आर्ट से कमर्शियल आर्ट में स्नातक करने के बाद उन्होंने जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से मूर्तिकला में डिप्लोमा किया. इसके बाद उसने मेसर्स आर्टिस्ट्री नाम से कंपनी बनाई और मूर्तियां बनाने लगा.