नई दिल्ली: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को दिल्ली के एक ट्रिब्यूनल से बड़ी राहत मिली है. बेनामी संपत्ति लेनदेन रोकथाम अपीलीय न्यायाधिकरण ने अजित पवार को राहत प्रदान की. न्यायाधिकरण ने उनके और उनके परिवार के खिलाफ बेनामी संपत्ति के स्वामित्व के आरोपों को खारिज कर दिया है.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार को बड़ी राहत देते हुए आयकर विभाग ने शुक्रवार को 2021 के बेनामी मामले में जब्त की गई उनकी सभी संपत्तियों को लौटाने का आदेश दिया.
यह मामला 7 अक्टूबर 2021 को शुरू हुआ था. आयकर विभाग ने कई कंपनियों पर छापे मारे जिसमें ऐसे दस्तावेज बरामद हुए जो कथित तौर पर बेनामी पाए गए. आयकर विभाग ने इन संपत्तियों का स्वामित्व कथित तौर पर अजीत पवार और उनके परिवार से जुड़े होने का दावा किया. हालांकि, न्यायाधिकरण ने इन दावों को खारिज कर दिया और कहा कि इसके पक्ष में पर्याप्त सबूत नहीं हैं.
इसमें यह भी कहा गया कि विचाराधीन संपत्तियों के लिए सभी भुगतान वैध माध्यमों से किए गए थे. ट्रिब्यूनल ने आरोपों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि ऐसा नहीं है कि अजित पवार, सुनेत्रा पवार और पार्थ पवार ने बेनामी संपत्तियां खरीदने के लिए धन हस्तांतरित किया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अजित पवार और उनके परिवार का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता प्रशांत पाटिल ने न्यायाधिकरण के समक्ष दलील दी कि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है. पाटिल ने पवार परिवार की बेगुनाही का तर्क देने के लिए बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम के ढांचे पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि इस मामले में कानूनी आधार नहीं है. न्यायाधिकरण का यह फैसला अजित पवार द्वारा महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के एक दिन बाद आया.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह मामला तब चर्चा में आया जब आयकर विभाग ने मुंबई में दो रियल एस्टेट कारोबारी समूहों पर एक अलग छापे के दौरान 184 करोड़ रुपये की बेहिसाब आय का खुलासा किया. ये समूह कथित तौर पर अजित पवार के रिश्तेदारों से जुड़े थे, जिससे बेनामी संपत्ति के स्वामित्व के दावों को और बल मिला. हालांकि ट्रिब्यूनल को कथित बेहिसाब आय और संबंधित संपत्तियों के बीच कोई ठोस सबूत नहीं मिला.