ETV Bharat / bharat

मद्रास हाई कोर्ट ने उदयनिधि स्टालिन, शेखर बाबू और ए राजा के खिलाफ याचिकाएं खारिज कीं

Madras High Court : सनातन धर्म के विरोध में कथित रूप से की गई टिप्पणी को लेकर दायर की गई याचिकाओं को मद्रास हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. ये याचिकाएं तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन, पीके शेखर बाबू और सांसद ए राजा के खिलाफ दायर की गई थीं.

Madras High Court
मद्रास हाई कोर्ट
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 6, 2024, 5:38 PM IST

चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन, पीके शेखर बाबू और सांसद ए राजा के विरुद्ध एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन के सदस्यों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर रिट जारी करने से मना कर दिया. बता दें कि इन नेताओं के द्वारा सनातन धर्म के विरोध में कथित रूप से टिप्पणी किए जाने के बाद पद पर बने रहने को लेकर एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन के सदस्यों ने सवाल उठाए थे. साथ ही अधिकार पृच्छा याचिकाओं में सवाल उठाया गया था कि किस आधार पर वे सरकारी पदों पर कायम हैं.

मामले में जस्टिस अनीता सुमंत ने हिंदू मुन्नानी के दो पदाधिकारियों के अलावा एक अन्य व्यक्ति की ओर से दायर याचिकाओं का निपटारा कर दिया. इन याचिकाओं में सवाल उठाया गया था कि जब द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के इन नेताओं के द्वारा सनातन धर्म विरोधी बैठक में भाग लिया गया और धार्मिक रीति-रिवाजों की व्यवस्था के खिलाफ भाषण दिया गया, इस वजह से वे किस हैसियत से सरकारी पदों पर कायम हुए हैं.

गौरतलब है कि हिंदू मुन्नानी का पदाधिकारी बताने वाले टी मनोहर और दो अन्य ने ये याचिकाएं दायर की हैं. इन याचिकाओं को खारिज करते हुए जस्टिस सुमंत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऊंचे पदों पर पदस्थ व्यक्तियों को अधिक जिम्मेदारी से बर्ताव करना चाहिए तथा कोई बयान देने से पहले ऐतिहासिक घटनाओं का सत्यापन किया जाना चाहिए. जस्टिस सुमंत ने यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया कि अदालत यह सवाल नहीं कर सकती कि विवादास्पद राय व्यक्त करने वाले मंत्री किस आधार पर अपने पद पर बने हुए हैं.

ये भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट का वायुसेना को निर्देश, भूतपूर्व कर्मी को ₹18 लाख भुगतान करे

चेन्नई: मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन, पीके शेखर बाबू और सांसद ए राजा के विरुद्ध एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन के सदस्यों द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर रिट जारी करने से मना कर दिया. बता दें कि इन नेताओं के द्वारा सनातन धर्म के विरोध में कथित रूप से टिप्पणी किए जाने के बाद पद पर बने रहने को लेकर एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन के सदस्यों ने सवाल उठाए थे. साथ ही अधिकार पृच्छा याचिकाओं में सवाल उठाया गया था कि किस आधार पर वे सरकारी पदों पर कायम हैं.

मामले में जस्टिस अनीता सुमंत ने हिंदू मुन्नानी के दो पदाधिकारियों के अलावा एक अन्य व्यक्ति की ओर से दायर याचिकाओं का निपटारा कर दिया. इन याचिकाओं में सवाल उठाया गया था कि जब द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के इन नेताओं के द्वारा सनातन धर्म विरोधी बैठक में भाग लिया गया और धार्मिक रीति-रिवाजों की व्यवस्था के खिलाफ भाषण दिया गया, इस वजह से वे किस हैसियत से सरकारी पदों पर कायम हुए हैं.

गौरतलब है कि हिंदू मुन्नानी का पदाधिकारी बताने वाले टी मनोहर और दो अन्य ने ये याचिकाएं दायर की हैं. इन याचिकाओं को खारिज करते हुए जस्टिस सुमंत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऊंचे पदों पर पदस्थ व्यक्तियों को अधिक जिम्मेदारी से बर्ताव करना चाहिए तथा कोई बयान देने से पहले ऐतिहासिक घटनाओं का सत्यापन किया जाना चाहिए. जस्टिस सुमंत ने यह कहते हुए मामले को खारिज कर दिया कि अदालत यह सवाल नहीं कर सकती कि विवादास्पद राय व्यक्त करने वाले मंत्री किस आधार पर अपने पद पर बने हुए हैं.

ये भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट का वायुसेना को निर्देश, भूतपूर्व कर्मी को ₹18 लाख भुगतान करे

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.