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लोकसभा चुनाव 2024: हरियाणा में बीजेपी की पहली सूची के उम्मीदवार कितने दमदार? क्या कहते हैं जानकार?

Haryana BJP Candidates First List: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी ने हरियाणा में 6 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है. आखिर हरियाणा में बीजेपी की पहली सूची के उम्मीदवार कितने दमदार हैं? इन चेहरे को लेकर राजनीतिक विश्लेषक का क्या कहना है आइए जानते हैं.

Haryana BJP Candidates First List
हरियाणा में बीजेपी की पहली सूची के उम्मीदवार
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Mar 15, 2024, 9:01 AM IST

हरियाणा में बीजेपी की पहली सूची के उम्मीदवार पर राजनीतिक विश्लेषक की प्रतिक्रिया.

चंडीगढ़: हरियाणा में बीजेपी ने लोकसभा की दस सीटों में से 6 उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिनमें तीन नए, तीन पुराने चेहरे हैं. यानी बीजेपी ने इस मामले में बीजेपी पर एक तरह से लीड ले ली है. क्योंकि कांग्रेस ने अभी तक एक उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं. हालांकि कांग्रेस आप गठबंधन ने कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में बीजेपी ने जिन चेहरों पर दाव खेला है, कांग्रेस के लिए उनके सामने उम्मीदवार फाइनल करना कितनी बड़ी चुनौती है? साथ ही बीजेपी की हरियाणा की पहली सूची में उतारे गए चेहरों को लेकर जानकारी क्या कहते हैं यह जानना भी दिलचस्प है.

बीजेपी इन चेहरों को उतारा चुनावी मैदान में: हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. वहीं, गुरुग्राम लोकसभा सीट से राव इंद्रजीत सिंह चुनावी मैदान में हैं. फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर पर पार्टी ने फरि से भरसो जताते हुए टिकट दिया है. वहीं, अंबाला लोकसभा सीट से दिवंगत सांसद रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को चुनावी मैदान में हैं. जबकि, सिरसा लोकसभा सीट से सुनीता दुग्गल का टिकट काट कर अशोक तंवर को टिकट दिया है. वहीं, भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से पार्टी चौधरी धर्मबीर सिंह किस्मत आजमाने उतरे हैं. बीजेपी ने कुरुक्षेत्र, सोनीपत, हिसार और रोहतक लोकसभा सीट पर उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है.

हरियाणा में 6 लोकसभा सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार फाइनल: बीजेपी के उतारे गए 6 उम्मीदवारों को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं "बीजेपी ने अपनी पहली सूची में अनुभव और युवा उम्मीदवारों का मिश्रण किया है. अनुभव को पार्टी ने तरजीह दी है हालांकि अपने दो सांसदों के टिकट भी कटे हैं. जिसमें संगठन से जुड़े संजय भाटिया और सुनीता दुग्गल हैं. बीजेपी और आरएसएस का को सर्वे था उसमें दो ही सीटें मजबूत थीं, जिसमें फरीदाबाद और गुरुग्राम सीट शामिल हैं. इसलिए इन दोनों सीटों पर पार्टी ने पुराने उम्मीदवारों को उतारा है. हालांकि बीजेपी करीब 6 सीटों पर खुद को कमजोर पाती है. राव इंद्रजीत की टिकट कन्फर्म थी, क्योंकि पीएम ने रैली में उनकी प्रशंसा की थी. वह एक संकेत माना जा रहा था. हालांकि कई बार यह संकेत गलत भी हो जाता है. पार्टी के सर्वे को देखते हुए फरीदाबाद और गुरुग्राम के सांसदों को पार्टी ने फिर से उतर दिया."

'हर एक सीट पर मजबूत उम्मीदवार उतारने की तैयारी में BJP': वहीं, करनाल से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चुनावी मैदान में उतरने पर राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि पार्टी के पास वहां पर कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं था. बीजेपी इस बार के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट पर रिस्क लेने के मूड में नहीं है. हर सीट पर जीतने के लिए पार्टी को कोई भी मजबूत उम्मीदवार उतरना पड़े वह उतरेगी. इसलिए पार्टी ने मनोहर लाल से एक ही दिन में पहले सीएम पद से इस्तीफा करवाया फिर विधायक के पद से भी इस्तीफा करवा दिया और करनाल से उम्मीदवार बना दिया. यह भी हरियाणा के इतिहास में पहली बार है.

'अशोक तंवर का अपना वोट बैंक': राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र अवस्थी के अनुसार, जहां तक सिरसा से अशोक तंवर को मैदान में उतारा गया है, वह अच्छे उम्मीदवार हैं. यह माना जाता है कि उनका अपना वोट बैंक है. उनके साथ एक माइनस प्वाइंट यह है कि कुछ वक्त में ही उन्होंने चार पार्टियां बदली हैं. कांग्रेस से निकल कर अपनी पार्टी बनाई, फिर टीएमसी और आप मैं गए. अब वे बीजेपी में हैं. कांग्रेस में वे विभिन्न पदों पर रहे, इसलिए उनका प्रदेश में अपना नेटवर्क है. वह बीजेपी के काम आ सकता है. उसी को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतारा है.

'रोहतक लोकसभा सीट को लेकर पशोपेश में बीजेपी': धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं "बीजेपी सबसे कमजोर सीट रोहतक को मान रही है. बीजेपी मौजूदा सांसद अरविंद शर्मा को लेकर उलझन में है. क्योंकि वे अपनी पार्टी के खिलाफ भी मोर्चा खोलते रहे हैं. वह उनका मेने प्वाइंट है और पार्टी के सर्वे में वे कमजोर माने गए हैं. इसलिए उनको लेकर पार्टी पशोपेश में है कि क्या उनको चीन से उतारा जाए या सीट बदली जाए."

बीजेपी उम्मीदवार के सामने कांग्रेस के लिए क्या है चुनौती?: कांग्रेस के लिए जो बीजेपी ने 6 उम्मीदवार उतारे हैं उनके सामने उम्मीदवार देना कितनी बड़ी चुनौती है? इस पर राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र अवस्थी का कहना है कि कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती दक्षिण हरियाणा है. गुरुग्राम में राव इंद्रजीत के सामने कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव हो सकते हैं हालांकि वे पार्टी से कुछ वक्त से नाराज चल रहे हैं. हालांकि राव इंद्रजीत के सामने वे कमजोर पाए जाते हैं. हालांकि कुछ वक्त से उन्होंने जमीन पर काम किया है. कुछ ऐसी ही स्थिति फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में भी है. वहां या तो पार्टी वर्तमान एक मात्र फरीदाबाद के विधायक नीरज शर्मा को उतरे. दो-तीन अन्य उम्मीदवारों के नाम आ रहे हैं एक करण दलाल और दूसरा एक पूर्व विधायक का नाम आ रहा है. इसलिए दक्षिण हरियाणा कांग्रेस के लिए उलझन भरा है.

भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प: बीजेपी के सामने भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट को लेकर भी चुनौती है. वहां पार्टी ने तीसरी बार धर्मवीर को उतारा है. धीरेंद्र अवस्थी का कहना है कि माना जा रहा है कि उनको ताकत राव इंद्रजीत की पैरवी पर ही मिला है. उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव में मैंने देखा कि जो राष्ट्रीय पार्टी का सांसद रहा हो वह कैंपेन नहीं कर रहा था. ऐसा काम ही देखने को मिलता है. उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में धर्मवीर ने खुद अपना प्रचार नहीं किया. वे मान कर चल रहे थे कि उनको मोदी के नाम पर वोट मिल जाएगा. यह भी अपने आप में उदाहरण है. इस बार देखना होगा कि वहां क्या नतीजा रहता है.

अंबाला में बीजेपी की चुनौती डबल: अंबाला से बीजेपी ने पूर्व सांसद स्वर्गीय रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को उतारा है, अगर कांग्रेस इनके सामने कुमारी सैलजा को उतरती हैं तो क्या होगा? इस पर वे कहते हैं कि कुमारी सैलजा के उतरने से बंतो कटारिया के लिए चुनौती बढ़ जाएगी. बंतो कटारिया को टिकट मिलने के पीछे इक मात्र वजह सहानुभूति वोट है. बीजेपी को लगता है कि रतन लाल कटारिया का जो लोगों के साथ मिलना जुलना था, उसका फायदा बंतो कटारिया मिलेगा. जहां तक कांग्रेस की बात है तो उसके पक्ष में यह भी है कि पार्टी के दिग्गज नेता निर्मल चौधरी वापस आ गए हैं. अंबाला में बीजेपी की चुनौती डबल हो गई है. अगर कुमारी सैलजा वहां से उम्मीदवार बनती हैं तो वह उनका मजबूत पक्ष होगा.

हरियाणा के सीएम के सामने चुनौतियां: क्या वर्तमान सीएम नायब सिंह सैनी जो अंबाला लोकसभा क्षेत्र से आते हैं उनके लिए भी बीजेपी को इस सीट पर जीतना चुनौती होगा? वे कहते हैं कि नायब सैनी के सामने यह चुनौती है कि इसके साथ ही बीजेपी ने जिस तरह से उनको सीएम बनाकर रिस्क लिया है ओबीसी कार्ड खेला है. हालांकि वे कुरुक्षेत्र के सांसद रहे हैं, लेकिन इस चुनाव को लेकर उनके पक्ष में भी मजबूत बातें नहीं थी. यह भी सत्य है कि जिला परिषद का पिछला चुनाव उनकी पत्नी हार गई थीं. अंबाला लोकसभा क्षेत्र में उनका विधानसभा क्षेत्र आता है तो यह उनके लिए बड़ी चुनौती है और उनका यह लिटमस टेस्ट भी है कि हरियाणा में बीजेपी के लिए जो नतीजे रहे, लेकिन अंबाला सीट बीजेपी जीत कर आए.

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हरियाणा में बीजेपी की पहली सूची के उम्मीदवार पर राजनीतिक विश्लेषक की प्रतिक्रिया.

चंडीगढ़: हरियाणा में बीजेपी ने लोकसभा की दस सीटों में से 6 उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिनमें तीन नए, तीन पुराने चेहरे हैं. यानी बीजेपी ने इस मामले में बीजेपी पर एक तरह से लीड ले ली है. क्योंकि कांग्रेस ने अभी तक एक उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं. हालांकि कांग्रेस आप गठबंधन ने कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. ऐसे में बीजेपी ने जिन चेहरों पर दाव खेला है, कांग्रेस के लिए उनके सामने उम्मीदवार फाइनल करना कितनी बड़ी चुनौती है? साथ ही बीजेपी की हरियाणा की पहली सूची में उतारे गए चेहरों को लेकर जानकारी क्या कहते हैं यह जानना भी दिलचस्प है.

बीजेपी इन चेहरों को उतारा चुनावी मैदान में: हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. वहीं, गुरुग्राम लोकसभा सीट से राव इंद्रजीत सिंह चुनावी मैदान में हैं. फरीदाबाद से कृष्णपाल गुर्जर पर पार्टी ने फरि से भरसो जताते हुए टिकट दिया है. वहीं, अंबाला लोकसभा सीट से दिवंगत सांसद रतनलाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को चुनावी मैदान में हैं. जबकि, सिरसा लोकसभा सीट से सुनीता दुग्गल का टिकट काट कर अशोक तंवर को टिकट दिया है. वहीं, भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट से पार्टी चौधरी धर्मबीर सिंह किस्मत आजमाने उतरे हैं. बीजेपी ने कुरुक्षेत्र, सोनीपत, हिसार और रोहतक लोकसभा सीट पर उम्मीदवारों का ऐलान नहीं किया है.

हरियाणा में 6 लोकसभा सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार फाइनल: बीजेपी के उतारे गए 6 उम्मीदवारों को लेकर राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं "बीजेपी ने अपनी पहली सूची में अनुभव और युवा उम्मीदवारों का मिश्रण किया है. अनुभव को पार्टी ने तरजीह दी है हालांकि अपने दो सांसदों के टिकट भी कटे हैं. जिसमें संगठन से जुड़े संजय भाटिया और सुनीता दुग्गल हैं. बीजेपी और आरएसएस का को सर्वे था उसमें दो ही सीटें मजबूत थीं, जिसमें फरीदाबाद और गुरुग्राम सीट शामिल हैं. इसलिए इन दोनों सीटों पर पार्टी ने पुराने उम्मीदवारों को उतारा है. हालांकि बीजेपी करीब 6 सीटों पर खुद को कमजोर पाती है. राव इंद्रजीत की टिकट कन्फर्म थी, क्योंकि पीएम ने रैली में उनकी प्रशंसा की थी. वह एक संकेत माना जा रहा था. हालांकि कई बार यह संकेत गलत भी हो जाता है. पार्टी के सर्वे को देखते हुए फरीदाबाद और गुरुग्राम के सांसदों को पार्टी ने फिर से उतर दिया."

'हर एक सीट पर मजबूत उम्मीदवार उतारने की तैयारी में BJP': वहीं, करनाल से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को चुनावी मैदान में उतरने पर राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि पार्टी के पास वहां पर कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं था. बीजेपी इस बार के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट पर रिस्क लेने के मूड में नहीं है. हर सीट पर जीतने के लिए पार्टी को कोई भी मजबूत उम्मीदवार उतरना पड़े वह उतरेगी. इसलिए पार्टी ने मनोहर लाल से एक ही दिन में पहले सीएम पद से इस्तीफा करवाया फिर विधायक के पद से भी इस्तीफा करवा दिया और करनाल से उम्मीदवार बना दिया. यह भी हरियाणा के इतिहास में पहली बार है.

'अशोक तंवर का अपना वोट बैंक': राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र अवस्थी के अनुसार, जहां तक सिरसा से अशोक तंवर को मैदान में उतारा गया है, वह अच्छे उम्मीदवार हैं. यह माना जाता है कि उनका अपना वोट बैंक है. उनके साथ एक माइनस प्वाइंट यह है कि कुछ वक्त में ही उन्होंने चार पार्टियां बदली हैं. कांग्रेस से निकल कर अपनी पार्टी बनाई, फिर टीएमसी और आप मैं गए. अब वे बीजेपी में हैं. कांग्रेस में वे विभिन्न पदों पर रहे, इसलिए उनका प्रदेश में अपना नेटवर्क है. वह बीजेपी के काम आ सकता है. उसी को देखते हुए बीजेपी ने उन्हें मैदान में उतारा है.

'रोहतक लोकसभा सीट को लेकर पशोपेश में बीजेपी': धीरेंद्र अवस्थी कहते हैं "बीजेपी सबसे कमजोर सीट रोहतक को मान रही है. बीजेपी मौजूदा सांसद अरविंद शर्मा को लेकर उलझन में है. क्योंकि वे अपनी पार्टी के खिलाफ भी मोर्चा खोलते रहे हैं. वह उनका मेने प्वाइंट है और पार्टी के सर्वे में वे कमजोर माने गए हैं. इसलिए उनको लेकर पार्टी पशोपेश में है कि क्या उनको चीन से उतारा जाए या सीट बदली जाए."

बीजेपी उम्मीदवार के सामने कांग्रेस के लिए क्या है चुनौती?: कांग्रेस के लिए जो बीजेपी ने 6 उम्मीदवार उतारे हैं उनके सामने उम्मीदवार देना कितनी बड़ी चुनौती है? इस पर राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र अवस्थी का कहना है कि कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती दक्षिण हरियाणा है. गुरुग्राम में राव इंद्रजीत के सामने कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव हो सकते हैं हालांकि वे पार्टी से कुछ वक्त से नाराज चल रहे हैं. हालांकि राव इंद्रजीत के सामने वे कमजोर पाए जाते हैं. हालांकि कुछ वक्त से उन्होंने जमीन पर काम किया है. कुछ ऐसी ही स्थिति फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र में भी है. वहां या तो पार्टी वर्तमान एक मात्र फरीदाबाद के विधायक नीरज शर्मा को उतरे. दो-तीन अन्य उम्मीदवारों के नाम आ रहे हैं एक करण दलाल और दूसरा एक पूर्व विधायक का नाम आ रहा है. इसलिए दक्षिण हरियाणा कांग्रेस के लिए उलझन भरा है.

भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर मुकाबला दिलचस्प: बीजेपी के सामने भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट को लेकर भी चुनौती है. वहां पार्टी ने तीसरी बार धर्मवीर को उतारा है. धीरेंद्र अवस्थी का कहना है कि माना जा रहा है कि उनको ताकत राव इंद्रजीत की पैरवी पर ही मिला है. उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव में मैंने देखा कि जो राष्ट्रीय पार्टी का सांसद रहा हो वह कैंपेन नहीं कर रहा था. ऐसा काम ही देखने को मिलता है. उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में धर्मवीर ने खुद अपना प्रचार नहीं किया. वे मान कर चल रहे थे कि उनको मोदी के नाम पर वोट मिल जाएगा. यह भी अपने आप में उदाहरण है. इस बार देखना होगा कि वहां क्या नतीजा रहता है.

अंबाला में बीजेपी की चुनौती डबल: अंबाला से बीजेपी ने पूर्व सांसद स्वर्गीय रतन लाल कटारिया की पत्नी बंतो कटारिया को उतारा है, अगर कांग्रेस इनके सामने कुमारी सैलजा को उतरती हैं तो क्या होगा? इस पर वे कहते हैं कि कुमारी सैलजा के उतरने से बंतो कटारिया के लिए चुनौती बढ़ जाएगी. बंतो कटारिया को टिकट मिलने के पीछे इक मात्र वजह सहानुभूति वोट है. बीजेपी को लगता है कि रतन लाल कटारिया का जो लोगों के साथ मिलना जुलना था, उसका फायदा बंतो कटारिया मिलेगा. जहां तक कांग्रेस की बात है तो उसके पक्ष में यह भी है कि पार्टी के दिग्गज नेता निर्मल चौधरी वापस आ गए हैं. अंबाला में बीजेपी की चुनौती डबल हो गई है. अगर कुमारी सैलजा वहां से उम्मीदवार बनती हैं तो वह उनका मजबूत पक्ष होगा.

हरियाणा के सीएम के सामने चुनौतियां: क्या वर्तमान सीएम नायब सिंह सैनी जो अंबाला लोकसभा क्षेत्र से आते हैं उनके लिए भी बीजेपी को इस सीट पर जीतना चुनौती होगा? वे कहते हैं कि नायब सैनी के सामने यह चुनौती है कि इसके साथ ही बीजेपी ने जिस तरह से उनको सीएम बनाकर रिस्क लिया है ओबीसी कार्ड खेला है. हालांकि वे कुरुक्षेत्र के सांसद रहे हैं, लेकिन इस चुनाव को लेकर उनके पक्ष में भी मजबूत बातें नहीं थी. यह भी सत्य है कि जिला परिषद का पिछला चुनाव उनकी पत्नी हार गई थीं. अंबाला लोकसभा क्षेत्र में उनका विधानसभा क्षेत्र आता है तो यह उनके लिए बड़ी चुनौती है और उनका यह लिटमस टेस्ट भी है कि हरियाणा में बीजेपी के लिए जो नतीजे रहे, लेकिन अंबाला सीट बीजेपी जीत कर आए.

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