गुवाहाटी: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए शुक्रवार को 13 राज्यों की 88 सीटों पर वोटिंग होगी. दूसरे फेज में असम की 5 सीटों पर भी 26 अप्रैल को ही मतदान होगा. 14 लोकसभा सीट वाले असम में पहले चरण में भी 5 सीटों पर वोट डाले गए थे. दूसरे चरण में असम की जिन सीटों को वोट डाले जाएंगे, उनमें करीमगंज, सिलचर, नगांव, दीफू और दरांग शामिल हैं.
भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस दोनों ही इन सीटों को अहम मानते हैं. खास कर करीमगंज और नगांव निर्वाचन क्षेत्र. यह ही वजह है कि दोनों दल यहां फोकस कर रहे हैं. दोनों सीटों पर पिछले चुनावों की तरह इस बार भी धार्मिक आधार पर होने की उम्मीद है.
मुस्लिम बहुल हैं करीमगंज और नगांव सीट: बांग्लादेश की सीमा से लगे इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में 14,12, 239 वोटर्स हैं. यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है. अल्पसंख्यक संगठनों के अनुसार यहां करीब 65 प्रतिशत मतदाता हैं. ऐसा माना जाता है कि पारंपरिक रूप से यहां के मुस्लिम वोटर्स कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के वोट देते हैं.
पिछले चुनाव में बीजेपी ने यहां से मामूली अंतर से दर्ज की थी और उसे दोनों जगह हिंदू और अन्य मतदाताओं ने जमकर वोट किया था. जानकारी के मुताबिक इन दोनों ही सीट पर लगभग 35 फीसदी हिंदू वोटर्स हैं. इस बार यहां मुस्लिम वोटर्स बंपर वोटिंग कर सकते हैं. बता दें कि पहले ये सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व थीं, लेकिन हाल में हुए परिसीमन के बाद ये सीटे जनरल कैटेगरी में आई गई हैं.
करीमगंज में बीजेपी का समर्थन कर रहे कांग्रेस नेता: करीमगंज लोकसभा के अंतर्गत आने वाले कांग्रेस के दो विधायक कमलाख्या डे पुरकायस्थ और सिद्दीकी अहमद सार्वजनिक तौर पर बीजेपी के लिए प्रचार कर रहे हैं. यहां तक कि उन्होंने मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की चुनाव प्रचार रैलियों में भी बीजेपी के लिए वोट मांगा.
वहीं, मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने दो प्रमुख वादे किए. इनमें मछुआरा समुदाय को खिलोनजिया (आदिवासी) का दर्जा देना और किरण शेख समुदाय के लिए एक विकास परिषद का गठन करना शामिल है.
सिलचर सीट का सियासी समीकरण: सिलचर सीट वर्तमान में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. यहां कुल 13,61,496 मतदाता वोट डालेंगे. क्षेत्रफल और जनसंख्या के हिसाब से सिलचर असम का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. सिलचर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत सात विधानसभा क्षेत्र हैं. इस सीट पर बंगाली भाषी मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा है.
बंगाली मतदाताओं के प्रभुत्व वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में कई दशकों से बीजेपी और कांग्रेस के बीच लड़ाई देखी जाती रही है. 2014 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा और उसने आठ बार इस सीट पर जीत हासिल की. इस बार मुख्य मुकाबला बीजेपी के परिमल शुक्लाबैद्य और कांग्रेस के सूर्यकांत सरकार के बीच होने की उम्मीद है.
कथित हिंदू बहुमत के कारण सिलचर में बीजेपी का पड़ला भारी नजर आ रहा है. वहीं, इस सीट पर इस बार टीएमसी ने भी अपना उम्मीदवार उतारा है, जिससे मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने हाल ही में सिलचर में एक सार्वजनिक बैठक में टीएमसी उम्मीदवार राधेश्याम बिस्वाश के लिए प्रचार किया था.
नगांव: माना जाता है कि इस समय नोगांव लोकसभा सीट पर कांग्रेस की पकड़ मजबूत है. यहां बीजेपी कांग्रेस से नियंत्रण हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. इस निर्वाचन क्षेत्र में मुस्लिम आबादी तकरीबन 58 प्रतिशत है. हालांकि, ऐतिहासिक रूप से नगांव बीजेपी का गढ़ रहा है. बीजेपी ने 1999 से 2014 तक लगातार चार बार यह लोकसभा सीट जीती.
'हमें मुस्लिम वोटों की जरूरत नहीं है' कहने वाले मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ढिंग, लाहौरीघाट और रूपाही जैसे मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्रों में जमकर प्रचार किया और बीजेपी प्रत्याशी सुरेश बोरा के लिए वोट मांगा. माना जा रहा है कि इस यहां कांग्रेस के प्रद्युत बोरदोलोई और बीजेपी के सुरेश बोरा के बीच होने की उम्मीद है. वहीं, एआईयूडीएफ उम्मीदवार विधायक अमीनुल इस्लाम भी सीट से ताल ठोक रहे हैं. ऐसे में वह मुस्लिम वोटों को विभाजित करके कांग्रेस के लिए चुनौती पैदा कर सकते हैं.
चुनाव आयोग के मुताबिक, नोगांव लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 18,04,471 है. लोकसभा के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें 4 विधानसभा क्षेत्र अल्पसंख्यक मतदाता बहुल हैं. इस बार बीजेपी ने इन मुस्लिम आबादी वाले इलाकों पर फोकस किया और सीएम हिमंत बिस्वा सरमा और उनके मंत्रियों ने लाहौरीघाट, रूपहीहाट, ढिंग और सामागुरी में कई चुनावी रैलियों कीं.
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित दीफू का समीकरण: दीफू की सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. यह सीट तीन स्वायत्त पहाड़ी जिलों - दिमा हसाओ, कार्बी आंगलोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग से मिलकर बनी है. यहां के मतदाता मुख्य रूप से कार्बी और दिमासा समुदाय के हैं. 2019 में बीजेपी के होरेनसिंह बे ने इस सीट पर जीत हासिल की थी.
इस बार बीजेपी ने यहां से अमरसिंग टिस्सो और कांग्रेस ने जॉय राम एंगलेंग को उम्मीदवार बनाया है, जबकि स्वायत्त राज्य मांग समिति (ASDC) ने जोट्सन बे को मैदान में उतारा है. दीफू निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 8,93,058 है.
दरांग-उदलगुरी सीट: 11 विधानसभा क्षेत्रों वाली दरांग-उदलगुरी लोकसभा सीट पर बोडो, कोच-राजबोंगशी और अन्य समुदायों हैं. यहां 21,87,160 लोग वोट डालेंगे. वर्तमान में यह सीट बीजेपी के कब्जे में है. इस बार यहां दिलीप सैकिया और पूर्व कांग्रेस सांसद माधब राजबंगशी के बीच मुकाबला होगा. इसके अलावा बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) ने भी यहां अपना उम्मीदवार खड़ा किया.
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