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कभी नेहरू-गांधी परिवार से दर्जन भर चेहरे होते थे मैदान में, आज अमेठी-रायबरेली सीटों पर भी प्रत्याशी उतारने में हो रही देरी - lok sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस अपनी सियासी जमीन को फिर से जीवंत करने में लगी है. पार्टी छोटे-छोटे कदम भी काफी सोच-विचार कर उठा रही है. अमेठी-रायबरेली सीट पर प्रत्याशी न उतारने के पीछे इसे भी एक वजह माना जा सकता है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 21, 2024, 11:56 AM IST

लखनऊ : एक समय था जब प्रदेश में नेहरू-गांधी परिवार के दर्जन भर नेता तमाम सीटों पर काबिज हुआ करते थे, लेकिन आज कुछ वक्त ऐसा बदला है कि गांधी परिवार अपनी परंपरागत रायबरेली और अमेठी की सीटों पर भी प्रत्याशी उतारने में हिचकिचा रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से पराजित होने के बाद राहुल गांधी ने वायनाड सीट को अपना स्थाई ठिकाना बना लिया है. 2019 में वह वायनाड से चुनाव जीते थे और इस बार भी वहां से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं 2019 में सोनिया गांधी ने कांग्रेस के लिए इकलौती रायबरेली सीट जीती थी. कुछ माह पूर्व उन्होंने राज्यसभा जाने का फैसला कर लिया है. ऐसे में रायबरेली सीट पर भी अभी संशय बरकरार है कि गांधी परिवार के गढ़ वाली इस सीट पर परिवार से कोई उम्मीदवार होगा या बाहर से.

lok sabha election 2024
lok sabha election 2024

जवाहरलाल नेहरू : सबसे पहले बात करते हैं देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की. सबसे पहले 1952 में जवाहर लाल नेहरू ने फूलपुर सीट से चुनाव जीता और संसद पहुंचे. 1957 और 1962 में भी नेहरू को इसी सीट से संसद जाने का मौका मिला. अब हालत यह है कि 1984 के बाद इस सीट पर एक बार भी कांग्रेस को जीत हासिल नहीं हो सकी है. 2014 में इस सीट से वरिष्ठ भाजपा नेता केशव प्रसाद मौर्य चुने गए थे, तो 2019 में भाजपा की केशरी देवी पटेल ने जीत हासिल की थी.

उमा नेहरू : जवाहरलाल नेहरू के चचेरे भाई श्यामलाल नेहरू की पत्नी उमा नेहरू स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थीं. उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1952 में सीतापुर संसदीय सीट से लड़ा और जीता भी था. 1957 में भी वह इसी सीट से लोकसभा के लिए चुनी गईं थीं. 28 अगस्त 1963 को 79 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था. उनके दो बच्चे थे श्याम कुमारी खान और आनंद कुमार नेहरू. आनंद कुमार नेहरू के पुत्र अरुण नेहरू राजीव गांधी की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं.

विजय लक्ष्मी पंडित : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहीं पंडित जवाहर लाल नेहरू की बड़ी बहन विजय लक्ष्मी पंडित ने 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में लखनऊ का प्रतिनिधित्व किया और संसद पहुंची थीं. स्वतंत्रता आंदोलन में उन्हें और उनके पति को जेल भी जाना पड़ा था. वह 1962 से 1964 तक महाराष्ट्र की राज्यपाल भी रहीं. 1979 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का प्रतिनिधि भी नियुक्त किया गया था. 1990 में उनका निधन हो गया था. उनकी बेटियां चंद्रलेखा और नयनतारा सहगल हैं.

फिरोज गांधी : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी भी 1952 में पहली बार रायबरेली संसदीय सीट से चुनकर संसद पहुंचे थे. 1957 में भी उन्होंने रायबरेली सीट का प्रतिनिधित्व किया. मूलरूप से मुंबई के रहने और पारसी धर्म से आने वाले फिरोज का इंदिरा गांधी से विवाह 1942 में हुआ था. जन्म से उनका नाम फिरोज जहांगीर था. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और संजय गांधी उनके पुत्र थे. ह्रदय गति रुकने से 1960 में उनका निधन हो गया था.

इंदिरा गांधी : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ 1967 से किया था. वह पहली बार रायबरेली सीट से चुनकर संसद पहुंची थीं. उन्होंने इस सीट से 1971 और 1980 में भी जीत हासिल की थी, हालांकि इससे पहले 1977 में उन्हें समाजवादी नेता और देश के स्वास्थ्य मंत्री रहे राजनारायण से पराजय का सामना करना पड़ा था. वह भारती की पहली महिला प्रधानमंत्री तो थीं ही. उन्होंने गृह, विदेश, रक्षा और वित्त जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कामकाज भी देखा. 13 अक्टूबर 1984 को 66 साल की उम्र में उनकी हत्या कर दी गई थी.

संजय गांधी : 1977 में अमेठी संसदीय सीट से पहली बार अपनी किस्मत आजमाने मैदान में उतरे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र संजय गांधी को जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह से पराजय का सामना करना पड़ा था. हालांकि उन्हें इसी सीट से 1980 में पहली बार सफलता हासिल हुई और वह संसद पहुंचे. हालांकि इसके कुछ माह बाद ही 23 जून 1980 को महज 33 वर्ष की आयु में एक विमान हादसे में उनकी मृत्यु हो गई थी. उनकी पत्नी मेनका गांधी और पुत्र वरुण गांधी राजनीति में आज भी सक्रिय हैं. मेनका गांधी सुल्तानपुर सीट से चुनाव भी लड़ रही हैं.

अरुण नेहरू : जवाहरलाल नेहरू के भतीजे और आनंद कुमार नेहरू के पुत्र और राजीव गांधी के चचेरे भाई अरुण नेहरू पहली बार रायबरेली संसदीय सीट से सांसद बने थे. 1984 में भी उन्होंने इसी सीट से जीत हासिल की थी. 1989 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ जनता दल का दामन थामा और बिल्हौर लोकसभा सीट से चुनकर संसद पहुंचे. आरंभ के दिनों में वह व्यवसायी थे, किंतु इंदिरा गांधी के कहने पर वह राजनीति में आने के लिए राजी हुए थे. राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री बने तो अरुण नेहरू उनके सलाहकार थे. वह केंद्र की सरकारों में अलग-अलग मंत्रालयों में मंत्री भी रहे. 25 जुलाई 2013 को 69 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया.

lok sabha election 2024
lok sabha election 2024

राजीव गांधी : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र राजीव गांधी 1981 में अपने छोटे भाई संजय गांधी के निधन के कारण रिक्त हुई अमेठी संसदीय सीट के उप चुनाव में विजयी होकर पहली बार संसद पहुंचे थे. इसके बाद वह अमेठी सीट से ही 1984, 1989 और 1991 में चुनकर संसद पहुंचे. कहा जाता है कि राजीव गांधी को राजनीति में अधिक रुचि नहीं थी. वह एक एयरलाइंस में पायलट की नौकरी करते थे, किंतु छोटे भाई संजय गांधी की हादसे में मृत्यु के बाद उन्हें राजनीति में आना पड़ा. इंदिरा गांधी के निधन के बाद 1984 में वह देश के प्रधानमंत्री बन गए. 21 मई 1991 को एक चुनावी सभा में बम धमाका करके उनकी हत्या कर दी गई.

मेनका गांधी : इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी ने 1984 के चुनाव से राजनीति में कदम रखा. उन्होंने अमेठी संसदीय सीट से यह चुनाव अपने जेठ राजीव गांधी के खिलाफ लड़ा और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 1989 में उन्होंने अमेठी छोड़ पीलीभीत सीट को चुना और जनता दल के टिकट पर जीतकर पहली बार संसद पहुंचीं. 1996 में भी उन्होंने जनता दल के टिकट पर पीलीभीत से चुनाव लड़ा और जीता. 1998 और 1999 में भी वह इसी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विजयी रहीं. 2004 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली और जीतकर लोकसभा पहुंचीं. 2014 में वह पीलीभीत 2009 और 2019 में सुल्तानपुर संसदीय सीट से लड़ीं और चुनाव जीता. इस बार फिर वह सुल्तानपुर से चुनाव मैदान में हैं.

lok sabha election 2024
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सोनिया गांधी : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने 1999 में अमेठी संसदीय सीट से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. इसके बाद 2004, 2009, 2014 और 2019 में भी वह रायबरेली से ही लगातार चुनाव जीतती रहीं. 77 वर्ष की सोनिया गांधी में इस लोकसभा चुनाव में हिस्सा न लेने का फैसला किया है. हालांकि वह राज्यसभा सदस्य के रूप में संसद में मौजूद रहेंगी. कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए की चेयरपर्सन रहीं सोनिया गांधी के कार्यकाल में ही 2004 से 2014 तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार रही. हालांकि उसके बाद कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर होती गई.

राहुल गांधी : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी ने अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत 2004 में अपने चाचा, पिता और मां की विरासत वाली अमेठी संसदीय सीट से की थी. 2009 और 2014 का लोकसभा चुनाव भी राहुल गांधी ने यहीं से जीता, लेकिन 2019 में भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने इन्हें पराजित कर दिया. यह चुनाव राहुल गांधी अमेठी सीट के साथ ही केरल की वायनाड सीट से भी लड़े थे. इसलिए वह वायनाड सीट से जीतकर संसद पहुंचे. 2024 के लोकसभा चुनावों में राहुल ने वायनाड से पर्चा दाखिल कर दिया है, लेकिन अब तक अमेठी और रायबरेली से किसी के नाम की घोषणा नहीं हुई है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव नहीं लड़ेंगे. रायबरेली पर भी संशय बरकरार है.

वरुण गांधी : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पौत्र और संजय गांधी के पुत्र वरुण गांधी ने 2009 में अपनी मां मेनका गांधी की विरासत वाली पीलीभीत सीट राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी. 2014 में वह पीलीभीत छोड़ सुल्तानपुर सीट से चुनाव लड़े और जीते भी. 2019 में उन्होंने फिर पीलीभीत को चुना और विजयी रहे. 2019 के बाद मंत्रिपरिषद और संगठन में जगह न मिल पाने के बाद वरुण गांधी भाजपा और सरकार के खिलाफ मुखर हो गए. उन्होंने कई सार्वजनिक टिप्पणियां की. ट्विटर और अखबारों में लेख भी लिखे. इसके बाद हालिया चुनाव में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया. इन दिनों वरुण मौन हैं. अब देखना होगा कि उनका राजनीतिक भविष्य किस ओर जाता है.

यह भी पढ़ें : मुरादाबाद का 72 साल का 'टाइगर' नहीं रहा, अंतिम दर्शन के लिए शव रखा गया; पीएम मोदी ने भी जताया शोक

लखनऊ : एक समय था जब प्रदेश में नेहरू-गांधी परिवार के दर्जन भर नेता तमाम सीटों पर काबिज हुआ करते थे, लेकिन आज कुछ वक्त ऐसा बदला है कि गांधी परिवार अपनी परंपरागत रायबरेली और अमेठी की सीटों पर भी प्रत्याशी उतारने में हिचकिचा रही है. 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से पराजित होने के बाद राहुल गांधी ने वायनाड सीट को अपना स्थाई ठिकाना बना लिया है. 2019 में वह वायनाड से चुनाव जीते थे और इस बार भी वहां से चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं 2019 में सोनिया गांधी ने कांग्रेस के लिए इकलौती रायबरेली सीट जीती थी. कुछ माह पूर्व उन्होंने राज्यसभा जाने का फैसला कर लिया है. ऐसे में रायबरेली सीट पर भी अभी संशय बरकरार है कि गांधी परिवार के गढ़ वाली इस सीट पर परिवार से कोई उम्मीदवार होगा या बाहर से.

lok sabha election 2024
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जवाहरलाल नेहरू : सबसे पहले बात करते हैं देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की. सबसे पहले 1952 में जवाहर लाल नेहरू ने फूलपुर सीट से चुनाव जीता और संसद पहुंचे. 1957 और 1962 में भी नेहरू को इसी सीट से संसद जाने का मौका मिला. अब हालत यह है कि 1984 के बाद इस सीट पर एक बार भी कांग्रेस को जीत हासिल नहीं हो सकी है. 2014 में इस सीट से वरिष्ठ भाजपा नेता केशव प्रसाद मौर्य चुने गए थे, तो 2019 में भाजपा की केशरी देवी पटेल ने जीत हासिल की थी.

उमा नेहरू : जवाहरलाल नेहरू के चचेरे भाई श्यामलाल नेहरू की पत्नी उमा नेहरू स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थीं. उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी के टिकट पर 1952 में सीतापुर संसदीय सीट से लड़ा और जीता भी था. 1957 में भी वह इसी सीट से लोकसभा के लिए चुनी गईं थीं. 28 अगस्त 1963 को 79 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था. उनके दो बच्चे थे श्याम कुमारी खान और आनंद कुमार नेहरू. आनंद कुमार नेहरू के पुत्र अरुण नेहरू राजीव गांधी की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे हैं.

विजय लक्ष्मी पंडित : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से प्रेरित होकर स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रहीं पंडित जवाहर लाल नेहरू की बड़ी बहन विजय लक्ष्मी पंडित ने 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में लखनऊ का प्रतिनिधित्व किया और संसद पहुंची थीं. स्वतंत्रता आंदोलन में उन्हें और उनके पति को जेल भी जाना पड़ा था. वह 1962 से 1964 तक महाराष्ट्र की राज्यपाल भी रहीं. 1979 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का प्रतिनिधि भी नियुक्त किया गया था. 1990 में उनका निधन हो गया था. उनकी बेटियां चंद्रलेखा और नयनतारा सहगल हैं.

फिरोज गांधी : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पति फिरोज गांधी भी 1952 में पहली बार रायबरेली संसदीय सीट से चुनकर संसद पहुंचे थे. 1957 में भी उन्होंने रायबरेली सीट का प्रतिनिधित्व किया. मूलरूप से मुंबई के रहने और पारसी धर्म से आने वाले फिरोज का इंदिरा गांधी से विवाह 1942 में हुआ था. जन्म से उनका नाम फिरोज जहांगीर था. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और संजय गांधी उनके पुत्र थे. ह्रदय गति रुकने से 1960 में उनका निधन हो गया था.

इंदिरा गांधी : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ 1967 से किया था. वह पहली बार रायबरेली सीट से चुनकर संसद पहुंची थीं. उन्होंने इस सीट से 1971 और 1980 में भी जीत हासिल की थी, हालांकि इससे पहले 1977 में उन्हें समाजवादी नेता और देश के स्वास्थ्य मंत्री रहे राजनारायण से पराजय का सामना करना पड़ा था. वह भारती की पहली महिला प्रधानमंत्री तो थीं ही. उन्होंने गृह, विदेश, रक्षा और वित्त जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का कामकाज भी देखा. 13 अक्टूबर 1984 को 66 साल की उम्र में उनकी हत्या कर दी गई थी.

संजय गांधी : 1977 में अमेठी संसदीय सीट से पहली बार अपनी किस्मत आजमाने मैदान में उतरे पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे पुत्र संजय गांधी को जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह से पराजय का सामना करना पड़ा था. हालांकि उन्हें इसी सीट से 1980 में पहली बार सफलता हासिल हुई और वह संसद पहुंचे. हालांकि इसके कुछ माह बाद ही 23 जून 1980 को महज 33 वर्ष की आयु में एक विमान हादसे में उनकी मृत्यु हो गई थी. उनकी पत्नी मेनका गांधी और पुत्र वरुण गांधी राजनीति में आज भी सक्रिय हैं. मेनका गांधी सुल्तानपुर सीट से चुनाव भी लड़ रही हैं.

अरुण नेहरू : जवाहरलाल नेहरू के भतीजे और आनंद कुमार नेहरू के पुत्र और राजीव गांधी के चचेरे भाई अरुण नेहरू पहली बार रायबरेली संसदीय सीट से सांसद बने थे. 1984 में भी उन्होंने इसी सीट से जीत हासिल की थी. 1989 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ जनता दल का दामन थामा और बिल्हौर लोकसभा सीट से चुनकर संसद पहुंचे. आरंभ के दिनों में वह व्यवसायी थे, किंतु इंदिरा गांधी के कहने पर वह राजनीति में आने के लिए राजी हुए थे. राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री बने तो अरुण नेहरू उनके सलाहकार थे. वह केंद्र की सरकारों में अलग-अलग मंत्रालयों में मंत्री भी रहे. 25 जुलाई 2013 को 69 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया.

lok sabha election 2024
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राजीव गांधी : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र राजीव गांधी 1981 में अपने छोटे भाई संजय गांधी के निधन के कारण रिक्त हुई अमेठी संसदीय सीट के उप चुनाव में विजयी होकर पहली बार संसद पहुंचे थे. इसके बाद वह अमेठी सीट से ही 1984, 1989 और 1991 में चुनकर संसद पहुंचे. कहा जाता है कि राजीव गांधी को राजनीति में अधिक रुचि नहीं थी. वह एक एयरलाइंस में पायलट की नौकरी करते थे, किंतु छोटे भाई संजय गांधी की हादसे में मृत्यु के बाद उन्हें राजनीति में आना पड़ा. इंदिरा गांधी के निधन के बाद 1984 में वह देश के प्रधानमंत्री बन गए. 21 मई 1991 को एक चुनावी सभा में बम धमाका करके उनकी हत्या कर दी गई.

मेनका गांधी : इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी ने 1984 के चुनाव से राजनीति में कदम रखा. उन्होंने अमेठी संसदीय सीट से यह चुनाव अपने जेठ राजीव गांधी के खिलाफ लड़ा और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 1989 में उन्होंने अमेठी छोड़ पीलीभीत सीट को चुना और जनता दल के टिकट पर जीतकर पहली बार संसद पहुंचीं. 1996 में भी उन्होंने जनता दल के टिकट पर पीलीभीत से चुनाव लड़ा और जीता. 1998 और 1999 में भी वह इसी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर विजयी रहीं. 2004 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ले ली और जीतकर लोकसभा पहुंचीं. 2014 में वह पीलीभीत 2009 और 2019 में सुल्तानपुर संसदीय सीट से लड़ीं और चुनाव जीता. इस बार फिर वह सुल्तानपुर से चुनाव मैदान में हैं.

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सोनिया गांधी : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने 1999 में अमेठी संसदीय सीट से कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी. इसके बाद 2004, 2009, 2014 और 2019 में भी वह रायबरेली से ही लगातार चुनाव जीतती रहीं. 77 वर्ष की सोनिया गांधी में इस लोकसभा चुनाव में हिस्सा न लेने का फैसला किया है. हालांकि वह राज्यसभा सदस्य के रूप में संसद में मौजूद रहेंगी. कांग्रेस अध्यक्ष और यूपीए की चेयरपर्सन रहीं सोनिया गांधी के कार्यकाल में ही 2004 से 2014 तक केंद्र में कांग्रेस की सरकार रही. हालांकि उसके बाद कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर होती गई.

राहुल गांधी : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बेटे राहुल गांधी ने अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत 2004 में अपने चाचा, पिता और मां की विरासत वाली अमेठी संसदीय सीट से की थी. 2009 और 2014 का लोकसभा चुनाव भी राहुल गांधी ने यहीं से जीता, लेकिन 2019 में भाजपा नेता स्मृति ईरानी ने इन्हें पराजित कर दिया. यह चुनाव राहुल गांधी अमेठी सीट के साथ ही केरल की वायनाड सीट से भी लड़े थे. इसलिए वह वायनाड सीट से जीतकर संसद पहुंचे. 2024 के लोकसभा चुनावों में राहुल ने वायनाड से पर्चा दाखिल कर दिया है, लेकिन अब तक अमेठी और रायबरेली से किसी के नाम की घोषणा नहीं हुई है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव नहीं लड़ेंगे. रायबरेली पर भी संशय बरकरार है.

वरुण गांधी : पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पौत्र और संजय गांधी के पुत्र वरुण गांधी ने 2009 में अपनी मां मेनका गांधी की विरासत वाली पीलीभीत सीट राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी. 2014 में वह पीलीभीत छोड़ सुल्तानपुर सीट से चुनाव लड़े और जीते भी. 2019 में उन्होंने फिर पीलीभीत को चुना और विजयी रहे. 2019 के बाद मंत्रिपरिषद और संगठन में जगह न मिल पाने के बाद वरुण गांधी भाजपा और सरकार के खिलाफ मुखर हो गए. उन्होंने कई सार्वजनिक टिप्पणियां की. ट्विटर और अखबारों में लेख भी लिखे. इसके बाद हालिया चुनाव में भाजपा ने उनका टिकट काट दिया. इन दिनों वरुण मौन हैं. अब देखना होगा कि उनका राजनीतिक भविष्य किस ओर जाता है.

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