शिवहरः लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा हो चुकी है. तमाम राजनीतिक पार्टिया तैयारी में जुट गई है. बिहार के 40 लोकसभा क्षेत्र में शिवहर सीट भी है. शिवहर जिला प्राचीन काल से आस्था और भक्ति का केंद्र रहा है. भगवान शिव और हरि के मिलन की भूमि शिवहर का रामायण और महाभारत काल से संबंध रहा है.
शिवहर लोकसभा सीटः शिवहर जिला पहले सीतामढ़ी का अनुमंडल हुआ करता था. 6 अक्टूबर 1994 को एक अलग जिले के रूप में पहचान बनाई. इस लोकसभा में 6 विधानसभा है लेकिन इस जिले के अंतर्गत एक ही शिवहर विधानसभा आता है. इसके अलावे पूर्वी चंपराण के मधुबन, चिरैया, ढाका, सीतामढ़ी के रीगा और बेलसंड शामिल है.
सामान्य वर्गों का दबदबाः अब तक लोकसभा चुनावों के परिणाम को देखें तो इस सीट पर सामान्य वर्गों का दबदबा रहा है. शिवहर में जेनरल सीट पर फाइट होती है. पिछले तीन लोकसभा चुनाव में शिवहर सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है. वर्तमान में भाजपा से रमा देवी हैट्रिक लगाकर काबिज हैं. 2004 में राजद को जीत मिली थी और सीताराम सिंह सांसद बने थे. उस वक्त मोहम्मद अनवारुल हक को हार मिली थी. इनका निधन 2016 में हो चुका है.
इस बार NDA Vs इंडिया गठबंधनः मुकाबला की बात करें तो शिवहर में एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला रहा है. पिछले चुनाव 2014 और 2019 में राजद दूसरे नंबर पर रही है. लेकिन इस बार दिलचस्प मुकाबला होने के आसार हैं. इसबार यह सीट जदयू के खाते में गई है लेकिन अभी तक उम्मीदारों की घोषणा नहीं हुई है. माना जा रहा है कि आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद यहां से चुनाव लड़ सकती है.
आनंद मोहन की पत्नी का दावाः इस सीट को लेकर जदयू के कई नेता दावा कर रहे हैं कि वे लोकसभा चुनाव लड़ेंगे. शिवहर से दो बार (1996, 1998) सांसद रहे आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद दावा ठोक रही हैं. इनके बेटे चेतन आनंद शिवहर विधानसभा से राजद विधायक रहे हैं, लेकिन हाल में एनडीए में सरकार बनने के बाद सत्ता दल में शामिल हो गए हैं. आनंद मोहन नीतीश कुमार के समर्थक हैं. लवली आनंद और उनके बेटे हाल में जदयू में शामिल हुईं है. लेकिन जनता इसबार बदलाव की मूड में है.
"आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद यहां से विधायक रहे हैं लेकिन उन्होंने शिवहर के लिए कोई काम नहीं किया है. पिछले बार विधानसभा चुनाव में आए थे. उस समय हमलोगों ने कहा था कि वोट देंगे लेकिन जात-पात को भूलकर काम कीजिएगा. अब तक कोई काम नहीं हुआ." -ज़फर इकबाल, स्थानीय
2009 से सांसद हैं रमा देवीः ऐसा माना जा रहा है कि लगातार तीन बार से सांसद रहीं रमा देवी का टिकट कट सकता है. रामा देवी का ट्रैक रिकॉर्ड शानदार रहा है. हालांकि अभी तक भाजपा की ओर से भी किसी भी सीट को लेकर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की गई है. संभव है कि रमा देवी को किसी और सीट से लड़ाया जा सकता है.
जदयू के कई नेता दावेदारः जदयू के कई नेता इस सीट को लेकर दावा कर रहे हैं. इसमें सीतामढ़ी से जदयू सांसद सुनील कुमार पिंटू का नाम सामने आ रहा है. माना जा रहा है कि इनका संबंध भाजपा से अच्छा है. सोमवार को एनडीए में सीट बंटवारा में शिवहर जदयू के खाते में गई है. जदयू में लवली आनंद मजबूत दावेदार मानी जा रही है. अब देखना है कि नीतीश कुमार किसे मौका देते हैं.
क्या सैयद अली को दोबारा मिलेगा टिकटः महागठबंधन से मुख्यरूप दो नामों की चर्चा है. पहला लालू यादव के खासम खास राजद महासचिव पूर्व लोकसभा प्रत्याशी सैयद फैसल अली का नाम जोरों पर है. 2019 के लोकसभा चुनाव में रमा देवी ने इन्हें हराया था. रमा देवी को 608678 वोट मिले थे और सैयद फैसल अली को 268318 वोट मिले थे. बातचीत में स्थानी जफर इकबाल ने कहा कि वे चाहते हैं कि राजद सैयद फैसल अली को टिकट दें क्यों ये नेता जात-पात से उपर उठकर काम करता है.
यूपी से व्यवसायी भी ठोक रहे तालः इसके अलावा मोहम्मद फारुख शेख की चर्चा है जो वर्तमान में एमएलसी हैं. इसके अलावा जगदीशपुर कोठियां निवासी लखनऊ सहित यूपी के कई कंस्ट्रक्शन के मालिक राजद नेता अंगेश कुमार सिंह 'अंगराज' ने भी दावा किया है. कहा कि हमको अगर मौका मिलेगा तो हम हर तरह से सक्षम है चुनाव लड़ने के लिए.
जिले में वोटरों की संख्याः शिवहर लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की बात करें तो साल 2019 के मुताबिक कुल मतदाताओं की संख्या 1269067 है. इसमें महिला 591390, पुरुष, 677666 और थर्ड जेंडर 11 है. क्षेत्र की समस्या की बात करें तो एक पुल का मुद्दा बीते कई सालों से जनता के बीच रहा है. बागमती की सहायक नदी लाल बखिया पर एक पुल का मुद्दा कई बार उठाया जाता रहा है.
'किसी नेता ने नहीं किया काम': स्थानीय लोग कहते हैं कि इस पुल के निर्माण से सीतामढ़ी और शिवहर का उत्तरी इलाका जुड़ेगा. शिवहर और चंपारण की दूरी घट जाएगी. बाढ़ के दिनों में इस पुल से काफी राहत मिलेगी. अदौरी खोरी पाकड़ के संजय सिंह नामक एक व्यक्ति का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने पुल के निर्माण को लेकर सत्याग्रह किया. उन्होंने प्रण लिया था कि जब तक कि इस पुल का निर्माण न हो जाए तब तक बाल दाढ़ी नहीं कटवाएंगे. लेकिन किसी नेता ने इस ओर काम नहीं किया.
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