हैदराबाद/लखनऊ: Lok Sabha Election 2024 First Phase Low Voting Reason: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में देश की 102 सीटों पर मतदान 19 अप्रैल को हुआ था. कुल 64 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. जबकि, लोकसभा चुनाव 2019 में मतदान 70 प्रतिशत था. बात यूपी की करें तो यहां की 8 सीटों पर पहले चरण में मतदान हुआ था. हर सीट पर 5 से 10 फीसद मतदान में कमी दर्ज की गई है. इसको लेकर भाजपा और विपक्षी दल अब सतर्क हो गए हैं. दोनों अगले चरण के लिए मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश में जुट गए हैं.
यूपी की 8 सीटों पर कितना हुआ मतदान
- सीट 2019% 2024%
- सहारनपुर 70.87 65.95
- पीलीभीत 67.41 61.9
- कैराना 67.45 61.17
- नगीना 63.66 59.54
- मुरादाबाद 65.46 60.6
- मुजफ्फरनगर 68.42 59.29
- बिजनौर 66.22 58.21
- रामपुर 63.19 54.77
सहारनपुर में हुआ सबसे ज्यादा मतदान: पहले चरण में यूपी की 8 सीटों में से सहारनपुर सीट ऐसी रही जहां सबसे ज्यादा 65.95 फीसद मतदान हुआ. रामपुर सीट पर सबसे कम 54.77 फीसद वोटिंग हुई है. पिछले चुनाव यानी 2019 में भी सहारनपुर में सबसे ज्यादा 70.87 फीसद मतदान हुआ था और सबसे कम रामपुर में 63.19 फीसद लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. इस बार भी स्थिति वही है लेकिन, वोट प्रतिशत में गिरावट हुई है.
मिल रहे परिवर्तन के संकेत: लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने पहले चरण की 8 सीटों में से 4 पर कब्जा जमाया था. जबकि बसपा के पास तीन और सपा ने एक सीट पर जीत दर्ज की थी. अब इस बार सभी सीटों पर 5 से 10 फीसदी मतदान में गिरावट हुई है. जानकार मानते हैं कि कम मतदान परिवर्तन की ओर इशारा करते हैं. माना जाता है कि काफी कम वोटिंग हो या फिर ज्यादा, दोनों ही स्थितियां परिवर्तन का संकेत देती हैं.
वोट प्रतिशत का गिरना, किसको देगा फायदा: पिछले लोकसभा चुनावों के नतीजों को देखें तो पांच बार वोट प्रतिशत गिरा और उसका सीधा फायदा विपक्षी पार्टियों को हुआ. केंद्र में सत्ता बदल गई. पहला मामला 1980 में देखने को मिला था. तब कम वोटिंग से जनता पार्टी को हार मिली थी और कांग्रेस ने फिर से सरकार बनाई थी. इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी थीं.
इसके बाद 1989 में भी वोट प्रतिशत गिरा और कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी, तब वीपी सिंह पीएम बने थे. 1991 में फिर वोटिंग में गिरावट देखने को मिली और उसका फायदा कांग्रेस को मिला.
कम वोटिंग ने अटल के शाइनिंग इंडिया को भी किया था धराशाई: इस बार की कम वोटिंग इंडिया गठबंधन के लिए फायदेमंद हो सकती है. बात 2004 करें तो इसमें भी वोटिंग प्रतिशत गिरा था, तब अटल बिहारी वाजपेयी का शाइनिंग इंडिया कैंपेन धरा का धरा रह गया था. कांग्रेस ने सरकार बनाई थी. अब इस बार 2024 में फिर ज्यादातर बड़े राज्यों में पहले चरण में कम वोटिंग देखने को मिली है.
कम मतदान के पीछे एक वजह ये भी: कम मतदान के पीछे वैसे तो कई कारण रहे हैं. लेकिन, एक महत्वपूर्ण सियासी गठबंधन में हुए बदलाव को भी माना जा रहा है. जैसे, बसपा अलग चुनाव लड़ रही है, जबकि पिछले चुनाव में वह सपा और रालोद के साथ थी. कांग्रेस अकेले थी तो वो इस बाद सपा के साथ आ गई है. वहीं, रालोद ने भाजपा के साथ एनडीए गठबंधन में शामिल है.
सेकेंड फेज का चुनाव होगा अहम: लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण का मतदान अब भाजाप के लिए अहम हो गया है. दूसरे चरण में मेरठ, मथुरा, अमरोहा, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर और अलीगढ़ में वोटिंग होनी है. इसमें अमरोहा छोड़कर सभी सीटें भाजपा के कब्जे में ही हैं. सभी सीटों पर भाजपा ने अपने मौजूदा सांसदों को ही उतारा है. बस गाजियाबाद और मेरठ में प्रत्याशी बदला है.