हैदराबाद: अमेठी सीट काफी समय से गांधी परिवार का गढ़ रहा है. इस सीट पर हुए 14 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 11 बार अमेठी पर जीत हासिल की है. लोग यह कयास लगा रहे थे कि, राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे, लेकिन वे रायबरेली चले गए. वहीं 2024 लोकसभा चुनाव की बात करें तो काफी सस्पेंस के बाद आखिरकार शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में अमेठी और रायबरेली की पारंपरिक नेहरू-गांधी सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी. कांग्रेस ने बड़ा ऐलान करते हुए रायबरेली सीट पर राहुल गांधी को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं अमेठी सीट पर राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले किशोरी लाल शर्मा को टिकट दिया गया है. पहले ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि अमेठी और रायबरेली सीट से चुनाव लड़ेंगे. हालांकि, पार्टी ने प्रियंका गांधी को चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया. पांचवे चरण में 20 मई को अमेठी, रायबरेली, लखनऊ, अयोध्या और कैसरगंज में मतदान होना है.
कांग्रेस ने खोले पत्ते
कांग्रेस ने अमेठी सीट पर 63 साल के किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतारा है. किशोरी लाल राजीव गांधी के समय से गांधी परिवार के बेहद करीबी सहयोगी रहे हैं. 1998 में इस निर्वाचन क्षेत्र से गैर-गांधी परिवार के और राजीव, सोनिया के बेहद करीबी सतीश शर्मा ने चुनाव लड़ा था लेकिन वे बीजेपी के संजय सिंह से हार गए थे. 1999 में सोनिया गांधी ने संजय सिंह को 3 लाख से अधिक वोटों से हराकर सीट दोबारा हासिल की. इसके बाद सोनिया अपने लिए रायबरेली सीट चुना ताकि उनके बेटे राहुल गांधी के लिए राह आसान हो जाए.
राहुल गांधी ने तीन बार अमेठी सीट जीती
राहुल गांधी ने 2004, 2009 और 2014 में लगातार तीन बार अमेठी से जीत हासिल की. हालांकि, 2019 में चौथी बार वे बीजेपी के उम्मीदवार स्मृति ईरानी से हार गए. इसके साथ ही स्मृति ईरानी इस सीट से प्रतिनिधित्व करने वाली तीसरी गैर-कांग्रेसी सांसद बन गईं. बीजेपी की स्मृति ईरानी ने 4 लाख 68 हजार 514 वोट हासिल कर 55 हजार से अधिक वोटों के अंतर से अमेठी सीट जीती. राहुल गांधी को 4 लाख13 हजार 394 वोट मिले थे. अमेठी से निर्वाचित होने वाले दूसरे गैर-कांग्रेसी सांसद जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह थे, जिन्होंने 1977 के आपातकाल के बाद के चुनावों में जीत हासिल की थी.
कब-कब कांग्रेस ने अमेठी पर जीत हासिल किया
अब तक इस सीट पर हुए 14 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 11 बार अमेठी पर जीत हासिल की है. 1967 में और फिर 1971 में अमेठी से जीतने वाले पहले कांग्रेस उम्मीदवार वी डी बाजपेयी थे. 1977 में, तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी ने पहली बार इस सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. 1977 में, जब कांग्रेस पहली बार अमेठी सीट हार गई, तो उसे केवल 34.47 फीसदी वोट मिले, जो जनता पार्टी के 60.47 प्रतिशत से काफी पीछे था. हालांकि 1980 में संजय ने इस सीट से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता. उसी साल संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु के बाद 1981 में संजय के बड़े भाई राजीव गांधी ने उपचुनाव में सीट जीती. राजीव ने उपचुनाव में अपने निकटम प्रतिद्वंदी को 2 लाख से अधिक वोटों से हराकर बड़ी शानदार जीत हासिल की. राजीव गांधी ने लगातार तीन बार अमेठी निर्वाचन क्षेत्र पर अपना कब्जा जमाए रखा.
सतीश शर्मा ने कब अमेठी सीट संभाली?
1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद, गांधी परिवार के वफादार सतीश शर्मा ने यह सीट संभाली. उन्होंने 1991 के उपचुनाव और 1996 के लोकसभा चुनावों में इसे जीता, लेकिन 1998 के चुनावों में इसे बरकरार रखने में असमर्थ रहे. इसके बाद 1999 में अमेठी से चुनावी शुरुआत करते हुए सोनिया गांधी ने यह सीट जीती. 1990 के दशक से, भाजपा अमेठी में कांग्रेस की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी रही है, हालांकि 2004 और 2009 में बसपा इस सीट पर उपविजेता रही.
कांग्रेस का वोट शेयर
वोट शेयर के मामले में, कांग्रेस आठ चुनावों में 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करके अमेठी में प्रमुख रही है. 1981 के उपचुनाव में राजीव ने अमेठी में रिकॉर्ड 84.18 फीसदी वोट शेयर हासिल किया. बता दें कि, कांग्रेस पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन 1998 में था, जब उसे मतदान में केवल 31.1 फीसदी वोट हासिल हुए थे. अमेठी सीट लंबे समय से गांधी परिवार के कब्जे में रहा और 25 वर्षों में यह पहली बार होगा कि गांधी परिवार का कोई सदस्य इस लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में नहीं उतरेगा. उत्तर प्रदेश का अमेठी लंबे समय से गांधी परिवार का पर्याय रहा है और 25 वर्षों में यह पहली बार होगा कि गांधी परिवार का कोई सदस्य इस लोकसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ेगा.
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