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मध्यस्थता से हल होंगे मामले, तो घटेगा मुकदमों का बोझ: जस्टिस चंद्रचूड़ - Yeshwant Chandrachud

देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice Dhananjay Yeshwant Chandrachud) ने शनिवार को प्रयागराज में मध्यस्थता केंद्र का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि अगर मध्यस्थता से मामले हल हो जाएंगे, तो अदालतों में मुकदमों का बोझ कम हो जाएगा.

Etv Bharat मध्यस्थता से मामले हल हो जाएंगे, तो अदालतों में मुकदमों का बोझ कम हो जाएगा. जस्टिस चंद्रचूड़
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 17, 2024, 6:55 PM IST

प्रयागराज: देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डॉ डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश को बड़ी संख्या में मध्यस्थता केंद्रों की जरूरत है. उन्होंने मध्यस्थता केंद्रों में कम खर्च में मामलों में जल्द से जल्द सुलह (Lawsuits burden will be reduce with mediation) समझौता कराकर उन्हें खत्म किए जाने की नसीहत दी. कहा कि ऐसा करके अदालतों से मुकदमों का बोझ घटाया जा सकता है. उनके मुताबिक अगर मध्यस्थता केंद्रों में भी मामलों का निपटारा करने में लंबा समय लगेगा तो लोग सुलह समझौता करने की कोशिशों से बचेंगे. इससे विवाद भी कायम रहेगा और अदालतों पर मुकदमों का बोझ भी बढ़ता रहेगा.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह बात शनिवार को यहां संगम नगरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आर्बिट्रेशन केंद्र का उद्घाटन करते हुए कही. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस मौके पर जजेज के लिए नई डिजिटल लाइब्रेरी की भी शुरुआत की. साथ ही यूपी की अदालतें नाम की पुस्तक का विमोचन भी किया. इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के साथ ही विभिन्न हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और कई न्यायाधीश उपस्थित रहे.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून का उपयोग कौन कर रहा है, यह महत्व रखता है. आज भी हम 1860 की उस आईपीसी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसे अंग्रेजों ने स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने, सेनानियों को जेल में डालने, विरोधियों को प्रताड़ित करने और उनका उत्पीड़न करने के लिए तैयार किया गया था. अब इसी आईपीसी का उपयोग नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि अतीत में जो कुछ भी हुआ है, चाहे वह भारत की आजादी से पहले की घटनाएं हों या फिर आजाद भारत में इमरजेंसी की घटना. उन्हें अब कतई न दोहराया जाए. उन्होंने जिला न्यायालयों के विचाराधीन बंदियों को आसानी से जमानत देने में हिचकने पर भी सवाल उठाए और कहा कि पता नहीं जिला न्यायालय जमानत देने से क्यों डरते हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमे ज़िला अदालतों को अपना अधीनस्थ न्यायालय नहीं समझना चहिए. उनको सबोर्डिनेट समझने की प्रवृत्ति से बचना होगा.

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून के क्षेत्र में महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है. महिलाएं न्याय पालिका के क्षेत्र में अपनी जगह बना रही हैं. यह बेहद सकारात्मक और अच्छा कदम है. हालांकि उन्होंने अदालत परिसरों में महिलाओं के लिए पर्याप्त संख्या में शौचालयों के नहीं होने पर चिंता जताई. उनके मुताबिक अदालत में महिलाओं के लिए पर्याप्त संख्या में शौचालय होने चाहिए और इन अलग शौचालयों में सेनेटरी नैपकिन डिस्पेंसर भी होने चाहिए.

उद्घाटन समारोह को इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट जज राजेश बिंदल ने संबोधित करते हुए कहा कि जब मैं यहां चीफ जस्टिस था तो इस स्थान पर गेस्ट हाउस बनाए जाने की योजना थी. मगर हमारे पास पहले से ही गेस्ट हाउस है और हमारे सभी साथी जज भी इस बात पर सहमत हुए कि यहां आर्बिट्रेशन केंद्र बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मेरे 16 महीने के कार्यकाल में यहां कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई.

यह देश का सबसे बड़ा हाई कोर्ट है और यहां की समस्याएं भी अन्य हाई कोर्टों से भिन्न है. उनका निदान भी भिन्न है. उन्होंने कहा कि यहां का स्टाफ बहुत ही सहयोगी है और देर रात तक भी लोग काम करने को तैयार रहते हैं. जस्टिस बिंदल ने कहा कि देश के का 20 फीसदी मुकदमा उत्तर प्रदेश में है. इलाहाबाद हाईकोर्ट को लेकर प्रकाशित पुस्तक कोर्ट से इन उत्तर प्रदेश पर उन्होंने कहा कि यह किताब शोध करने के लिए एक बढ़िया स्रोत है.

हाई कोर्ट के जज रहे और अब सुप्रीम कोर्ट में जज जस्टिस मनोज मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ 3 साल तक यहां मुख्य न्यायाधीश रहे और इस बार वह 8 वर्ष बाद यहां आए हैं और यहां आने को लेकर काफी उत्साहित थे. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में मूलभूत ढांचे का जो विकास हुआ है वह देश में सर्वश्रेष्ठ है. कन्वेंशन सेंटर इस क्षेत्र में मध्यस्थता को संस्थागत करेगा और रिकॉर्ड भी मेंटेन करेगा.

इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है. उन्होंने हाईकोर्ट की निर्माणाधीन बहु मंजिला पार्किंग और चैंबर की जानकारी दी. साथ ही बताया कि पुराने रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन का काम जारी है और अब तक 46 करोड़ पेज तथा 43 करोड़ रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन किया जा चुका है. ई-फाइलिंग हाई कोर्ट में जारी है.

एसएमएस सुविधा के जरिए वकीलों को उनके मुकदमों की जानकारी दी जाती है. उन्होंने बताया कि हमने अनूठा प्रयोग करते हुए सिविल जज जूनियर डिवीजन की कंप्यूटराइज स्थानांतरण सूची जारी की, जिसमें कोई भी मानवीय हस्तक्षेप नहीं था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज गुप्ता ने अतिथियों को धन्यवाद दिया.

ये भी पढ़ें- यूपी कांस्टेबल भर्ती परीक्षा संपन्न: फर्जी प्रश्न पत्रों के साथ 58 लोग गिरफ्तार, बड़ा घालमेल उजागर

प्रयागराज: देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डॉ डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि देश को बड़ी संख्या में मध्यस्थता केंद्रों की जरूरत है. उन्होंने मध्यस्थता केंद्रों में कम खर्च में मामलों में जल्द से जल्द सुलह (Lawsuits burden will be reduce with mediation) समझौता कराकर उन्हें खत्म किए जाने की नसीहत दी. कहा कि ऐसा करके अदालतों से मुकदमों का बोझ घटाया जा सकता है. उनके मुताबिक अगर मध्यस्थता केंद्रों में भी मामलों का निपटारा करने में लंबा समय लगेगा तो लोग सुलह समझौता करने की कोशिशों से बचेंगे. इससे विवाद भी कायम रहेगा और अदालतों पर मुकदमों का बोझ भी बढ़ता रहेगा.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने यह बात शनिवार को यहां संगम नगरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आर्बिट्रेशन केंद्र का उद्घाटन करते हुए कही. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस मौके पर जजेज के लिए नई डिजिटल लाइब्रेरी की भी शुरुआत की. साथ ही यूपी की अदालतें नाम की पुस्तक का विमोचन भी किया. इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के साथ ही विभिन्न हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और कई न्यायाधीश उपस्थित रहे.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून का उपयोग कौन कर रहा है, यह महत्व रखता है. आज भी हम 1860 की उस आईपीसी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसे अंग्रेजों ने स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने, सेनानियों को जेल में डालने, विरोधियों को प्रताड़ित करने और उनका उत्पीड़न करने के लिए तैयार किया गया था. अब इसी आईपीसी का उपयोग नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि अतीत में जो कुछ भी हुआ है, चाहे वह भारत की आजादी से पहले की घटनाएं हों या फिर आजाद भारत में इमरजेंसी की घटना. उन्हें अब कतई न दोहराया जाए. उन्होंने जिला न्यायालयों के विचाराधीन बंदियों को आसानी से जमानत देने में हिचकने पर भी सवाल उठाए और कहा कि पता नहीं जिला न्यायालय जमानत देने से क्यों डरते हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमे ज़िला अदालतों को अपना अधीनस्थ न्यायालय नहीं समझना चहिए. उनको सबोर्डिनेट समझने की प्रवृत्ति से बचना होगा.

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून के क्षेत्र में महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है. महिलाएं न्याय पालिका के क्षेत्र में अपनी जगह बना रही हैं. यह बेहद सकारात्मक और अच्छा कदम है. हालांकि उन्होंने अदालत परिसरों में महिलाओं के लिए पर्याप्त संख्या में शौचालयों के नहीं होने पर चिंता जताई. उनके मुताबिक अदालत में महिलाओं के लिए पर्याप्त संख्या में शौचालय होने चाहिए और इन अलग शौचालयों में सेनेटरी नैपकिन डिस्पेंसर भी होने चाहिए.

उद्घाटन समारोह को इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट जज राजेश बिंदल ने संबोधित करते हुए कहा कि जब मैं यहां चीफ जस्टिस था तो इस स्थान पर गेस्ट हाउस बनाए जाने की योजना थी. मगर हमारे पास पहले से ही गेस्ट हाउस है और हमारे सभी साथी जज भी इस बात पर सहमत हुए कि यहां आर्बिट्रेशन केंद्र बनाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मेरे 16 महीने के कार्यकाल में यहां कई ऐतिहासिक घटनाएं हुई.

यह देश का सबसे बड़ा हाई कोर्ट है और यहां की समस्याएं भी अन्य हाई कोर्टों से भिन्न है. उनका निदान भी भिन्न है. उन्होंने कहा कि यहां का स्टाफ बहुत ही सहयोगी है और देर रात तक भी लोग काम करने को तैयार रहते हैं. जस्टिस बिंदल ने कहा कि देश के का 20 फीसदी मुकदमा उत्तर प्रदेश में है. इलाहाबाद हाईकोर्ट को लेकर प्रकाशित पुस्तक कोर्ट से इन उत्तर प्रदेश पर उन्होंने कहा कि यह किताब शोध करने के लिए एक बढ़िया स्रोत है.

हाई कोर्ट के जज रहे और अब सुप्रीम कोर्ट में जज जस्टिस मनोज मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ 3 साल तक यहां मुख्य न्यायाधीश रहे और इस बार वह 8 वर्ष बाद यहां आए हैं और यहां आने को लेकर काफी उत्साहित थे. उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में मूलभूत ढांचे का जो विकास हुआ है वह देश में सर्वश्रेष्ठ है. कन्वेंशन सेंटर इस क्षेत्र में मध्यस्थता को संस्थागत करेगा और रिकॉर्ड भी मेंटेन करेगा.

इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है. उन्होंने हाईकोर्ट की निर्माणाधीन बहु मंजिला पार्किंग और चैंबर की जानकारी दी. साथ ही बताया कि पुराने रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन का काम जारी है और अब तक 46 करोड़ पेज तथा 43 करोड़ रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन किया जा चुका है. ई-फाइलिंग हाई कोर्ट में जारी है.

एसएमएस सुविधा के जरिए वकीलों को उनके मुकदमों की जानकारी दी जाती है. उन्होंने बताया कि हमने अनूठा प्रयोग करते हुए सिविल जज जूनियर डिवीजन की कंप्यूटराइज स्थानांतरण सूची जारी की, जिसमें कोई भी मानवीय हस्तक्षेप नहीं था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज गुप्ता ने अतिथियों को धन्यवाद दिया.

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