नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या में लॉरेंस बिश्नोई गैंग का नाम सामने आया है. गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में मुंबई पुलिस को पता चला है कि हत्यारों को लॉरेंस बिश्नोई गैंग से सुपारी मिली थी. हत्याकांड की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने घटना के अगले दिन यानी 13 अक्टूबर को पुणे से प्रवीण लोनकर को गिरफ्तार किया था. पुलिस का कहना है कि प्रवीण का भाई शुभम लोनकर के गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से संबंध हैं.
पुलिस की जांच में यह भी पता चला है कि बाबा सिद्दीकी पर गोलीबारी करने वाले गुरमैल सिंह, धर्मराज कश्यप और शिव कुमार भी लॉरेंस बिश्नोई गैंग के संपर्क में थे. गैंग ने खुद ही एक कथित सोशल मीडिया पोस्ट में हत्याकांड की जिम्मेदारी ली है.
सोशल मीडिया पोस्ट से युवाओं को लुभा रहा बिश्नोई गैंग
इस बीच, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच में पता चला है कि बिश्नोई गैंग सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये युवाओं को लुभा रहा है. एनआईए की जांच में पता चला कि पंजाब तक सीमित रहने वाला यह गैंग हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के अपराधी गिरोहों के साथ गठजोड़ कर चुका है, जिससे इसका बड़ा नेटवर्क तैयार हो गया है. एनआईए ने कहा, "लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने बिश्नोई के सहयोगी गोल्डी बराड़ की मदद से अपने पैर पसार लिए हैं."
बिश्नोई गैंग द्वारा युवाओं को भर्ती करने के तरीके का जिक्र करते हुए एनआईए की जांच में पता चला है कि युवाओं को कनाडा या अपनी पसंद के दूसरे देशों में जाने का झांसा देकर बहलाया जाता है. फिलहाल लॉरेंस बिश्नोई गैंग पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और झारखंड समेत पूरे उत्तर भारत में फैल चुका है.
एनआईए ने कहा, "युवाओं को गिरोह में भर्ती करने के लिए सोशल मीडिया और कई दूसरे तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है. बिश्नोई और गोल्डी बराड़ की तस्वीरें फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई हैं." एजेंसी ने कहा कि बिश्नोई की कोर्ट ले जाने और वापस लाने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की गई हैं, ताकि बड़ी संख्या में युवा प्रेरित हों.
एनआईए ने दावा किया कि 650 से ज्यादा शूटरों के साथ काम करने वाला लॉरेंस बिश्नोई गैंग कुख्यात होने के लिए दाऊद इब्राहिम के नक्शे कदम को अपना रहा है. एनआईए ने लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ समेत 16 गैंगस्टरों के खिलाफ यूएपीए के तहत चार्जशीट भी दाखिल की है. एनआईए की चार्जशीट से पता चला है कि लॉरेंस बिश्नोई और उसके आतंकी सिंडिकेट ने तेजी से अपना विस्तार किया है.
मुंबई पुलिस को क्यों नहीं मिल पा रही कस्टडी
बाबा सिद्दीकी हत्या मामले में लॉरेंस बिश्नोई गैंग से कड़ियां जुड़ने के बाद मुंबई पुलिस गुजरात के साबरमती जेल में बंद गैंगस्टर को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहती है. लेकिन पुलिस चाहकर भी खूंखार अपराधी को अपनी कस्टडी में नहीं ले पा रही है.
सूत्रों के मुताबिक, अप्रैल में अभिनेता सलमान खान के घर के बाहर गोलीबारी के बाद मुंबई पुलिस ने साबरमती जेल में बंद बिश्नोई की हिरासत हासिल करने के लिए कई आवेदन किए थे, लेकिन गृह मंत्रालय के आदेश के कारण उन्हें नामंजूर कर दिया गया है.
बिश्नोई को ड्रग तस्करी के एक मामले में अगस्त 2023 में दिल्ली के तिहाड़ से साबरमती जेल ले जाया गया था. अक्टूबर 2023 में गृह मंत्रालय ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 268 के तहत एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि कोई भी राज्य या जांच एजेंसी एक साल के लिए लॉरेंस बिश्नोई की हिरासत नहीं मांग सकती.
यह धारा सरकार को कैदियों की आवाजाही पर रोक लगाने की शक्ति देती है, जब कानून-व्यवस्था प्रभावित होने का डर हो. गृह मंत्रालय का यह आदेश इस साल अगस्त तक प्रभावी था, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इसे एक और साल के लिए बढ़ा दिया गया है. इस कारण जांच अधिकारियों को लॉरेंस बिश्नोई की हिरासत हासिल करने में अड़चनें आ रही हैं.
सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद चर्चा में आया गैंग
बिश्नोई गैंग ने 2022 में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लेने के बाद चर्चा में आया था. गैंग ने इसी साल अप्रैल में सलमान खान के बांद्रा स्थित गैलेक्सी अपार्टमेंट के बाहर हुई गोलीबारी की भी जिम्मेदार ली थी. लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल और गैंगस्टर गोल्डी बराड़ और रोहित गोदारा इस अपराधी गिरोह का संचानल करते हैं. काला हिरण शिकार मामले को लेकर यह गैंग कई बार सलमान खान और उनके करीबियों को मारने की धमकी दे चुकी है.
सलमान खान को धमकी देने के मामले में भी मुंबई पुलिस लॉरेंस बिश्नोई से पूछताछ करना चाहती है. लेकिन केंद्र सरकार की इजाजत के बाद ही मुंबई पुलिस को लॉरेंस बिश्नोई की कस्टडी मिल सकती है.
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