नैनीताल: सोमवार एक जुलाई से लागू हुए तीन नए आपराधिक कानूनों पर पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) और वरिष्ठ अधिवक्ता पिंकी आनंद ने कहा की तीन नए कानून भारत के लिए ऐतिहासिक होंगे. पुराने कानून अलग-अलग दृष्टिकोण से बनाए गए थे. वर्तमान स्थिति कुछ और मांग करती है. आज, इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य को स्वीकार्यता में ले लिया गया है. इन नए कानूनों के साथ, हम त्वरित न्याय की ओर बढ़ रहे हैं. इन कानूनों के साथ, पीड़ितों को भी पूर्ण अधिकार मिलेंगे. उसे हर चीज के बारे में सूचित किया जाएगा और जीरो एफआईआर की ई-फाइलिंग शुरू की गई है.
अंग्रेजों के समय के कानून खत्म: सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता व पूर्व सॉलिसिटर जनरल और कानून संशोधन कमेटी की सदस्य पिंकी आनंद अपने निजी दौरे पर नैनीताल पहुंचीं. इस दौरान बातचीत करते हुए पिंकी आनंद ने कहा सरकार ने कानून में संशोधन करते हुए ब्रिटिश कालीन कानून का अंत कर दिया है. जो तीन नए कानून बनाए गए हैं, उनसे देश की जनता को फायदा मिलेगा. सरकार द्वारा लागू किए गए कानून देश के लिए ऐतिहासिक साबित होंगे.
न्याय संहिता में दिखेगा सुधार: कानून संशोधन कमेटी की सदस्य पिंकी आनंद ने कहा कि आपराधिक न्याय कानून में अधिकांश संशोधन नहीं हो पाए थे, जिनमें अब संशोधन होना शुरू हुआ है. तीन कानून लागू होने के बाद न्याय संहिता में काफी कुछ सुधार देखने को मिलेगा. महिला उत्पीड़न, देश की अर्थव्यवस्था से हो रहे खिलवाड़ मामले, न्याय प्रक्रिया के दौरान इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के आधार पर सुनवाई होगी. इससे मामलों की सुनवाई के दौरान सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. न्यायालय आने वाले लोगों को कानून बनने के बाद एक तय समय सीमा के साथ न्याय मिलना संभव होगा.
ऐसे लाभदायक होंगे नए कानून: वित्तीय अनियमित, भ्रष्टाचार संबंधी मामलों के लिए ये क़ानून बेहद सकारात्मक रहने वाले हैं. कानून लागू होने के बाद पीड़ित को अपने मामले की संपूर्ण जानकारी दी जाएगी. अब तक विक्टिम यानी पीड़ित को किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी जाती थी. कानून लागू होने से अब विक्टिम को भी अपनी केस की पूरी जानकारी आसानी से मिल जाएगी. देश की जनता के हित में तीनों कानून बनाए गए हैं. इसमें महिलाओं, बच्चों, पुरुषों के साथ होने वाले अपराधों के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं. इन कानूनों से देश की अर्थव्यवस्था सुरक्षा बढ़ेगी. कॉर्पोरेट घरानों को इस कानून का फायदा मिलेगा.
ये भी पढ़ें: नए कानून के तहत पहली FIR दर्ज करने वाला उत्तराखंड का पहला जिला बना हरिद्वार, DGP बोले- खत्म हुआ अंग्रेजी कानून