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पर्यावरण संरक्षण की अनोखी पहल, सप्ताह में एक दिन बिना आयरन किए कपड़े पहनकर ऑफिस आएंगे लातेहार के वनकर्मी - Clothes without ironing

Initiative for environmental protection. पर्यावरण संतुलन को लेकर दुनिया भर में कई प्रकार के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसी कड़ी में लातेहार डीएफओ रौशन कुमार ने एक नई पहल की है. उन्होंने अपने कार्यालय में एक नियम बनाया है कि सप्ताह में कम से कम 1 दिन सभी वनकर्मी बिना आयरन (इस्त्री) किए हुए कपड़े पहनकर ऑफिस आएंगे. डीएफओ की यह पहल वन कर्मियों के लिए आकर्षण और उत्सुकता का केंद्र बन गया है.

Initiative for environmental protection.
लातेहार के डीएफओ रौशन कुमार (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 31, 2024, 4:06 PM IST

लातेहार: वन संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण को लेकर लातेहार डीएफओ रौशन कुमार हमेशा तत्पर रहते हैं. उनके द्वारा हमेशा यह प्रयास किया जाता है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ नई पहल की जाए. इसी कड़ी में उन्होंने सप्ताह में कम से कम एक दिन वन कर्मियों को आयरन (इस्त्री) का उपयोग नहीं करने की सलाह दी है. अर्थात सप्ताह में कम से कम एक दिन बिना आयरन किए हुए कपड़े पहनकर कार्यालय आना है.

लातेहार के डीएफओ रौशन कुमार (ईटीवी भारत)

डीएफओ रौशन कुमार का यह मानना है कि यदि लोग सिर्फ सप्ताह में एक दिन आयरन (इस्त्री) का उपयोग नहीं करेंगे तो उससे कई यूनिट बिजली की बचत होगी. बिजली के उपकरण के उपयोग में कमी आने से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि अभी तो सिर्फ वन विभाग के लोग इस मुहिम में शामिल हो रहे हैं. परंतु यह प्रयास होगा कि अन्य लोग भी इस कार्य के प्रति जागरूक हों. उन्होंने कहा कि यदि इस मुहिम में बड़ी संख्या में लोग जुड़ जाएंगे तो इसका बड़ा सकारात्मक असर भी दिखने लगेगा.

छोटे-छोटे एफर्ट से भी पर्यावरण संतुलन संभव

डीएफओ रौशन कुमार ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यदि लोग व्यक्तिगत तौर पर छोटे-छोटे एफर्ट भी आरंभ कर दे तो यह काफी प्रभावित होगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान में पर्यावरण असंतुलन का सबसे बड़ा कारण पेड़ पौधों की कमी के साथ-साथ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले वस्तुओं का अत्यधिक उपयोग होना बड़ा कारण है.

वर्तमान में जिस प्रकार पॉलिथीन का उपयोग हो रहा है, वह पर्यावरण के लिए अत्यंत चिंतनीय है. अब पॉलिथीन के उपयोग नहीं करने का संकल्प कोई भी व्यक्ति लेकर पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. इसी प्रकार बिजली उपकरण के अनावश्यक उपयोग को रोकने के प्रति लोग जागरूक होंगे तो निश्चित तौर पर इससे पर्यावरण को काफी संरक्षण मिलेगा.

उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे स्तर पर इस काम का सीधा असर तो नहीं दिखता है, परंतु धीरे-धीरे जब जागरूक लोगों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगती है तो इसका सकारात्मक परिणाम भी दिखता है. सप्ताह में कम से कम एक दिन बिना आयरन किए हुए कपड़े पहनने का यह प्रयास अभी भले ही छोटे स्तर पर दिख रहा हो, परंतु जब बड़े पैमाने पर लोग इस कार्य को करने लगेंगे तो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह एक बड़ा कारक बनेगा.

ग्रामीणों को लगातार करते हैं जागरूक

लातेहार डीएफओ रौशन कुमार वन एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर हमेशा ग्रामीणों को जागरूक करते हैं. उनका प्रयास होता है कि ग्रामीण के बीच जाकर उनसे सीधा संपर्क किया जाए ताकि ग्रामीण जंगल के महत्व को समझ सके. अभी चुनाव से पूर्व ही डीएफओ के द्वारा लातेहार जिले के विभिन्न गांव में उन पारंपरिक खेलों का आयोजन करवाया गया था, जिसे शायद अब बच्चे भूल गए थे. डीएफओ के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में कंचा, रुमाल चोर, कित कित, लट्टू नचाव आदि कई प्रकार की ग्रामीण खेल आयोजित करवाया गया था. जिसमें बच्चों के साथ-साथ जवान और बुजुर्ग लोग भी प्रतिभागी बने थे.

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लातेहार: वन संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण को लेकर लातेहार डीएफओ रौशन कुमार हमेशा तत्पर रहते हैं. उनके द्वारा हमेशा यह प्रयास किया जाता है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए कुछ नई पहल की जाए. इसी कड़ी में उन्होंने सप्ताह में कम से कम एक दिन वन कर्मियों को आयरन (इस्त्री) का उपयोग नहीं करने की सलाह दी है. अर्थात सप्ताह में कम से कम एक दिन बिना आयरन किए हुए कपड़े पहनकर कार्यालय आना है.

लातेहार के डीएफओ रौशन कुमार (ईटीवी भारत)

डीएफओ रौशन कुमार का यह मानना है कि यदि लोग सिर्फ सप्ताह में एक दिन आयरन (इस्त्री) का उपयोग नहीं करेंगे तो उससे कई यूनिट बिजली की बचत होगी. बिजली के उपकरण के उपयोग में कमी आने से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. उन्होंने कहा कि अभी तो सिर्फ वन विभाग के लोग इस मुहिम में शामिल हो रहे हैं. परंतु यह प्रयास होगा कि अन्य लोग भी इस कार्य के प्रति जागरूक हों. उन्होंने कहा कि यदि इस मुहिम में बड़ी संख्या में लोग जुड़ जाएंगे तो इसका बड़ा सकारात्मक असर भी दिखने लगेगा.

छोटे-छोटे एफर्ट से भी पर्यावरण संतुलन संभव

डीएफओ रौशन कुमार ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यदि लोग व्यक्तिगत तौर पर छोटे-छोटे एफर्ट भी आरंभ कर दे तो यह काफी प्रभावित होगा. उन्होंने कहा कि वर्तमान में पर्यावरण असंतुलन का सबसे बड़ा कारण पेड़ पौधों की कमी के साथ-साथ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले वस्तुओं का अत्यधिक उपयोग होना बड़ा कारण है.

वर्तमान में जिस प्रकार पॉलिथीन का उपयोग हो रहा है, वह पर्यावरण के लिए अत्यंत चिंतनीय है. अब पॉलिथीन के उपयोग नहीं करने का संकल्प कोई भी व्यक्ति लेकर पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. इसी प्रकार बिजली उपकरण के अनावश्यक उपयोग को रोकने के प्रति लोग जागरूक होंगे तो निश्चित तौर पर इससे पर्यावरण को काफी संरक्षण मिलेगा.

उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे स्तर पर इस काम का सीधा असर तो नहीं दिखता है, परंतु धीरे-धीरे जब जागरूक लोगों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगती है तो इसका सकारात्मक परिणाम भी दिखता है. सप्ताह में कम से कम एक दिन बिना आयरन किए हुए कपड़े पहनने का यह प्रयास अभी भले ही छोटे स्तर पर दिख रहा हो, परंतु जब बड़े पैमाने पर लोग इस कार्य को करने लगेंगे तो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह एक बड़ा कारक बनेगा.

ग्रामीणों को लगातार करते हैं जागरूक

लातेहार डीएफओ रौशन कुमार वन एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर हमेशा ग्रामीणों को जागरूक करते हैं. उनका प्रयास होता है कि ग्रामीण के बीच जाकर उनसे सीधा संपर्क किया जाए ताकि ग्रामीण जंगल के महत्व को समझ सके. अभी चुनाव से पूर्व ही डीएफओ के द्वारा लातेहार जिले के विभिन्न गांव में उन पारंपरिक खेलों का आयोजन करवाया गया था, जिसे शायद अब बच्चे भूल गए थे. डीएफओ के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में कंचा, रुमाल चोर, कित कित, लट्टू नचाव आदि कई प्रकार की ग्रामीण खेल आयोजित करवाया गया था. जिसमें बच्चों के साथ-साथ जवान और बुजुर्ग लोग भी प्रतिभागी बने थे.

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