रांची: देश के जिन राज्यों में अगले छह महीने से लेकर एक साल के अंदर विधानसभा चुनाव होने हैं, उन राज्यों के लिए लोकसभा आम चुनाव 2024 एक मौका था जनता के बीच अपनी पहुंचने और ताकत दिखाने का. इस लिहाज से देखें तो झारखंड में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के सभी चुनावी सुरमा फेल हुए हैं.
झारखंड में राष्ट्रीय जनता दल, झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव से लेकर चम्पाई सरकार में मंत्री सत्यानंद भोक्ता तक और पार्टी के प्रधान महासचिव संजय प्रसाद यादव से लेकर पूर्व मंत्री सुरेश पासवान तक. राजद का एक भी ऐसा नेता नहीं जो यह कहने की स्थिति में है कि उसने अपने विधानसभा क्षेत्र में राजद या INDIA ब्लॉक के अन्य उम्मीदवारों को लीड दिलाई है.
राजद के वे सूरमा जो अपने अपने इलाकों में ही हो गए फेल
चतरा विधानसभा सीट
राजद के वरिष्ठ नेता और चम्पाई सरकार में श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. बावजूद इसके यहां INDIA की ओर से कांग्रेस उम्मीदवार केएन त्रिपाठी भाजपा प्रत्याशी कालीचरण सिंह से 67 हजार 845 मतों से पिछड़ गए.
हुसैनाबाद विधानसभा सीट
झारखंड राजद के प्रदेश अध्यक्ष और हुसैनाबाद के पूर्व विधायक संजय कुमार सिंह यादव, अपने पलामू लोकसभा उम्मीदवार ममता भुइंया को अपने ही क्षेत्र से लीड नहीं दिला सकें. हुसैनाबाद से भाजपा उम्मीदवार बीडी राम से राजद उम्मीदवार ममता भुइंया 19473 मतों से पिछड़ गयीं.
गोड्डा विधानसभा सीट
झारखंड राजद के प्रदेश प्रधान महासचिव संजय प्रसाद यादव की गिनती राजद के बड़े नेताओं में होती है. वह गोड्डा से विधायक भी रह चुके हैं बावजूद इसके संजय प्रसाद यादव गोड्डा से कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप यादव को लीड नहीं दिलवा सकें. भाजपा के निशिकांत दुबे और कांग्रेस के प्रदीप यादव के बीच नजदीकी मुकाबला देखा गया, लेकिन इस लोकसभा क्षेत्र के गोड्डा विधानसभा सीट पर राजद के पूर्व विधायक और प्रधान महासचिव संजय प्रसाद यादव कोई लीड INDIA उम्मीदवार प्रदीप यादव को नहीं दिला सकें.
देवघर विधानसभा सीट
गोड्डा लोकसभा सीट के अंतर्गत देवघर विधानसभा को राजद के लिए एक मजबूत सीट माना जाता है. पूर्व मंत्री और विधायक रह चुके सुरेश पासवान, देवघर से विधायक रह चुके हैं. बावजूद इसके 2024 के लोकसभा आम चुनाव में सुरेश पासवान कोई करिश्मा नहीं दिखा सकें. देवघर में भाजपा उम्मीदवार ने निशिकांत दुबे ने कांग्रेस उम्मीदवार प्रदीप यादव पर 41738 मतों की बढ़त बना ली थी.
कोडरमा विधानसभा सीट
कोडरमा लोकसभा सीट लंबे दिनों तक राजद के खाते में रहा है 2014 में भाजपा के खाते में कोडरमा सीट चली गयी तो 2019 में राजद की प्रदेश अध्यक्ष रहीं अन्नपूर्णा देवी ने भी भाजपा का दामन थाम लिया और उसके बाद कोडरमा राजद के हाथ कभी नहीं आया. कोडरमा से भाजपा उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी ने माले के उम्मीदवार विनोद कुमार 97109 वोट से बढ़त बनाई थी. जबकि अमिताभ चौधरी से लेकर ED की कार्रवाई में जेल में बंद सुभाष यादव तक कोडरमा से विधायकी का चुनाव लड़ना चाहते हैं. लेकिन इस विधानसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार अन्नपूर्णा देवी ने इंडिया के माले उम्मीदवार विनोद कुमार सिंह पर 97109 मतों से बढ़त बनाई थी.
छतरपुर विधानसभा सीट
पलामू लोकसभा क्षेत्र के छतरपुर विधानसभा सीट पर राजद काफी मजबूत रहा करता था. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी महागठबंधन में यह सीट राजद के खाते में आई थी लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भी भाजपा की बढ़त 24603 मतों की रही. इसी तरह 2019 में राजद को महागठबंधन में मिली बरकट्ठा विधानसभा सीट पर भी भाजपा की अन्नपूर्णा देवी को 97876 विशाल मतों की बढ़त मिल गयी.
राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष श्यामदेव सिंह भी पिछड़े
इसी तरह पलामू के बिश्रामपुर विधानसभा सीट से राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष श्यामदेव सिंह (एसडी सिंह) विधानसभा की टिकट चाहते हैं, लेकिन वह भी अपने इलाके में राजद उम्मीदवार ममता भुइंया को लीड नहीं दिलवा सकें. बिश्रामपुर में भाजपा उम्मीदवार बीडी राम को राजद उम्मीदवार ममता भुइंया पर 50497 मतों की लीड मिली थी.
लोकसभा चुनाव के नतीजों का विधानसभा वाइज विश्लेषण करें तो आज की तारीख में राष्ट्रीय जनता दल का कोई भी ऐसा कद्दावर नेता नहीं है जो यह कहने की स्थिति में है कि उसने अपने विधानसभा क्षेत्र में राजद या INDIA ब्लॉक के अन्य किसी दल के सहयोगी दलों के उम्मीदवार को लीड दिलाई है. जाहिर है कि जब चार छह महीने बाद राज्य में विधानसभा के लिए चुनाव होगा तब राजद नेताओं का कमजोर प्रदर्शन उनके बेहतर राजनीति की राह में बाधक बनेंगे.
झारखंड निर्माण के बाद राज्य में राजद के थे 09 विधायक
15 नवंबर 2000 को जब झारखंड राज्य अस्तित्व में आया तब राज्य में 09 राजद विधायक थे. गढ़वा से गिरिनाथ सिंह, कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी, हुसैनाबाद से संजय सिंह यादव, छतरपुर से मनोज कुमार, गोड्डा से संजय प्रसाद यादव, देवघर से सुरेश पासवान, टुंडी से डॉ सबा अहमद, जमुआ से बलदेव हाजरा और सिमरिया से योगेंद्र बैठा पार्टी के विधायक थे.
कभी झारखंड में मजबूत था राजद
81 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में अपने 09 विधायकों के बल पर राजद की मजबूत आवाज सदन के अंदर सुनाई देती थी, लेकिन आज की स्थिति में राजद की राजनीतिक हैसियत सिर्फ एक विधायक की है और वह भी अपने विधानसभा क्षेत्र चतरा में कांग्रेसी उम्मीदवार को बढ़त नहीं दिला पाए.
2005 में राजद के थे 7 विधायक
2005 में झारखंड विधानसभा चुनाव में भी राजद के 07 उम्मीदवार चुनाव जीत कर विधायक बनें. इस बात कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी, गढ़वा से गिरिनाथ सिंह, मनिका से रामचंद्र सिंह चेरो, सारठ से चुन्ना सिंह, पांकी से विदेश सिंह और लातेहार से प्रकाश राम विधायक बनें. 2004 के लोकसभा चुनाव में दो सांसद भी राज्य से राजद के सिंबल पर जीते थे.
2009 में घटकर हो गए पांच विधायक
इसके बाद 2009 विधानसभा चुनाव में राजद के विधायकों की संख्या घटकर सिर्फ पांच रह गयी. कोडरमा से अन्नपूर्णा देवी, गोड्डा से संजय प्रसाद यादव, हुसैनाबाद से संजय सिंह यादव, चतरा से जनार्दन पासवान और देवघर से सुरेश पासवान विधायक बनें.
2014 में शून्य रही विधायकों की संख्या
2014 में राजद पहली बार विधानसभा में शून्य पर आ गया और 2019 में महागठबंधन के तहत 07 विधानसभा सीट पर चुनाव लड़कर महज एक चतरा की सीट जीत आया. राजद का संगठन किस कदर कमजोर होता गया है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2004 के बाद कोई भी नेता राजद के सिंबल पर लोकसभा नहीं पहुंचा है, वहीं विधानसभा में लालू की पार्टी की ताकत कुल जमा 01 विधायक की ही है.
क्या कहते हैं राजद नेता
झारखंड राजद के प्रधान महासचिव, पूर्व विधायक संजय प्रसाद यादव कहते हैं कि हमारा संगठन कमजोर नहीं है, बल्कि परिस्थितियां ऐसी बनीं कि हमें मनोवांछित सफलता नहीं मिली. राजद के प्रदेश प्रधानमंत्री महासचिव ने कहा कि हमारा वोट बढ़ा, लेकिन उसे जीत में नहीं बदल सकें. उन्होने कहा कि भाजपा के झूठे प्रचार तंत्र, धनबल और छल बल से हम हारें हैं लेकिन विधानसभा चुनाव में परिस्थितियां अलग होती है.
भाजपा विरोध केंद्रित राजनीति और पुराने नेताओं के लगातार पार्टी छोड़ते रहने से राज्य में कमजोर हुआ राजद
राजद के प्रदेश प्रधान महासचिव भले ही कहें कि राजद प्रदेश में कमजोर नहीं हुआ है लेकिन सच्चाई यही है कि लालू प्रसाद की पार्टी संगठन लगातार कमजोर होता गया है.
क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार
झारखंड के वरिष्ठ राजनीतिक पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि कभी पलामू, उत्तरी छोटानागपुर, चतरा, लातेहार सहित कई जिलों में राजद के मजबूत जनाधार वाली पार्टी हुआ करती थी, लेकिन भाजपा विरोधी राजनीति को केंद्र में रखने की वजह से विपक्षी सहयोगी दलों द्वारा गठबंधन की राजनीति में लगातार राजद के सीट कम होती चली गया. 2019 के विधानसभा चुनाव में तो उसे सिर्फ 07 सीट मिली जिसमें से बरकट्ठा भी शामिल था. बरकट्ठा में पार्टी का जनाधार नहीं होने के बावजूद आलाकमान ने वह सीट सिर्फ इसलिए ले लिया ताकि गठबंधन बरकरार रहे.
वहीं सतेंद्र कहते हैं कि आज राजद में जनाधार वाले नेता नहीं के बराबर बचे हैं. हर वर्ष कोई न कोई बड़ा नेता भाजपा, कांग्रेस या झामुमो में शामिल हो जाता है.
अन्नपूर्णा देवी, गिरिनाथ सिंह, जनार्दन पासवान, प्रकाश राम, रामचंद्र सिंह, मनोज कुमार, मिथिलेश ठाकुर, रामचंद्र चंद्रवंशी, सरीखे न जाने कितने नेता हैं जो राजद छोड़ कर दूसरे दलों में गए और राजनीति में सक्रिय हैं. ऐसे में लालू प्रसाद की पार्टी आज झारखंड में बेहद कमजोर संगठन वाली पार्टी बन कर रह गयी है.
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