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क्या है सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट? कोलकाता बलात्कार हत्या मामले के बीच डॉक्टर कर रहे इसकी डिमांड - What is Central Protection Act

Central Protection Act: 2022 में केंद्र सरकार ने संसद में केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम पेश किया था. इसका उद्देश्य डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को परिभाषित करना और ऐसे कृत्यों के लिए सजा निर्धारित करना था.

प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर्स
प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर्स (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 14, 2024, 7:13 PM IST

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 31 वर्षीय डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया. इसको घटना को लेकर मेडिकल प्रैक्टिशनर्स और छात्र पारदर्शी जांच और अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए बेहतर सुरक्षा मानदंडों की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना ने डॉक्टरों पर होने वाली हिंसा और उत्पीड़न की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है.

अस्पतालों में बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग और विरोध प्रदर्शनों के बीच डॉक्टर चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे अपने हालिया पत्र में कहा है कि देश के सभी राज्यों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून तो हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन अप्रभावी है.

कई प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने मेडिकलकर्मियों के लिए केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन की भी मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा हो.

क्या है सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट?
हेल्थ सर्विस प्रोफेशनल्स और क्लिनिकल ​​प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक 2022, जिसे केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम भी कहा जाता है. विधायक को दो साल पहले लोकसभा में पेश किया गया था. इस विधेयक का उद्देश्य डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को परिभाषित करना और ऐसे कृत्यों के लिए सजा निर्धारित करना था.

विधेयक के प्रावधानों में हिंसा के कृत्यों को परिभाषित करना, हिंसा पर रोक लगाना और सजा देना, इस तरह के कृत्यों की अनिवार्य रिपोर्टिंग, सार्वजनिक संवेदनशीलता और शिकायत निवारण तंत्र शामिल हैं. इस प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत रजिस्टर मेडिकल प्रैक्टिशनर्स, मेंटल हेल्थ चिकित्सक, दंत चिकित्सक, नर्सिंग प्रोफेशनल्स, मेडिकल और नर्सिंग छात्र, संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवर और अस्पतालों में सहायक कर्मचारी कवर किए जाएंगे.

सरकार ने आगे नहीं बढ़ाया विधायक
जब 2022 में संसद में विधेयक पेश किया गया, तो तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि सरकार ने इसे आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है, क्योंकि इसके अधिकांश उद्देश्य महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश 2020 में शामिल थे.

बता दें कि 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल के अंदर एक पोस्ट-ग्रेजुएट डॉक्टर मृत पाई गई, जिसके शरीर पर चोटें थीं और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसके साथ बलात्कार किया गया था. इस घटना ने व्यापक आक्रोश पैदा किया और देश के हिस्सों में मेडिकल कम्युनिटी के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए.

यह भी पढ़ें- कोलकाता रेप-मर्डर : क्या है मामला, क्यों मचा हंगामा, अब तक क्या-क्या हुआ, जानें

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 31 वर्षीय डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या ने पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया. इसको घटना को लेकर मेडिकल प्रैक्टिशनर्स और छात्र पारदर्शी जांच और अस्पतालों में डॉक्टरों के लिए बेहतर सुरक्षा मानदंडों की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना ने डॉक्टरों पर होने वाली हिंसा और उत्पीड़न की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है.

अस्पतालों में बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग और विरोध प्रदर्शनों के बीच डॉक्टर चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग कर रहे हैं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे अपने हालिया पत्र में कहा है कि देश के सभी राज्यों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून तो हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन अप्रभावी है.

कई प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने मेडिकलकर्मियों के लिए केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन की भी मांग की है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पर्याप्त सुरक्षा हो.

क्या है सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट?
हेल्थ सर्विस प्रोफेशनल्स और क्लिनिकल ​​प्रतिष्ठानों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक 2022, जिसे केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम भी कहा जाता है. विधायक को दो साल पहले लोकसभा में पेश किया गया था. इस विधेयक का उद्देश्य डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा को परिभाषित करना और ऐसे कृत्यों के लिए सजा निर्धारित करना था.

विधेयक के प्रावधानों में हिंसा के कृत्यों को परिभाषित करना, हिंसा पर रोक लगाना और सजा देना, इस तरह के कृत्यों की अनिवार्य रिपोर्टिंग, सार्वजनिक संवेदनशीलता और शिकायत निवारण तंत्र शामिल हैं. इस प्रस्तावित विधेयक के अंतर्गत रजिस्टर मेडिकल प्रैक्टिशनर्स, मेंटल हेल्थ चिकित्सक, दंत चिकित्सक, नर्सिंग प्रोफेशनल्स, मेडिकल और नर्सिंग छात्र, संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवर और अस्पतालों में सहायक कर्मचारी कवर किए जाएंगे.

सरकार ने आगे नहीं बढ़ाया विधायक
जब 2022 में संसद में विधेयक पेश किया गया, तो तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि सरकार ने इसे आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया है, क्योंकि इसके अधिकांश उद्देश्य महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश 2020 में शामिल थे.

बता दें कि 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल के अंदर एक पोस्ट-ग्रेजुएट डॉक्टर मृत पाई गई, जिसके शरीर पर चोटें थीं और पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसके साथ बलात्कार किया गया था. इस घटना ने व्यापक आक्रोश पैदा किया और देश के हिस्सों में मेडिकल कम्युनिटी के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए.

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