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बस्तर में नक्सली IED का इस्तेमाल जवानों के खिलाफ क्यों करते हैं, जानिए - HOW DEADLY IS IED

कभी कश्मीर में आतंकवादी इस घातक हथियार का इस्तेमाल सेना के खिलाफ करते थे.

why Naxalites use IED against soldiers in Bastar
नक्सलियों का सबसे घातक हथियार (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 6, 2025, 7:55 PM IST

बस्तर: माओवादियों की एक बार फिर घिनौनी साजिश बीजापुर में सामने आई है. घात लगाकर नक्सलियों ने डीआरजी के 8 जवानों को शहीद कर दिया. माओादियों ने सड़क के नीचे IED को प्लांट किया था. जवानों की गाड़ी जैसे ही वहां पहुंची माओवादियों ने IED में विस्फोट कर दिया. बस्तर में काफी लंबे वक्त से नक्सली आईईडी का इस्तेमाल जवानों के खिलाफ करते आ रहे हैं. आईईडी धमाकों में अबतक सैंकड़ों जवान शहीद हो चुके हैं.

माओवादियों द्वारा IED के इस्तेमाल का इतिहास: IED का इस्तेमाल वामपंथी उग्रवादी ज्यादा करते हैं. माओवादियों द्वारा IED के इस्तेमाल की योजना बनाने का पहला सबूत 1980 के दशक के मध्य में तत्कालीन आंध्र प्रदेश के वारंगल जिले के नचिनापल्ली गांव में गोलीबारी के दौरान मिला था. गोलीबारी के बाद पुलिस को एक नोटबुक मिली जिसमें बताया गया था कि माओवादी बारूदी सुरंग बिछाने और IED का इस्तेमाल करने की तकनीक सीख रहे हैं.

IED के इस्तेमाल के पीछे मुख्य उद्देश्य: पुलिस की आवाजाही को रोकना और उन पर घात लगाकर हमला करना इस रणनीति का मुख्य लक्ष्य है. जैसे ही IED विस्फोट होता है सुरक्षा बल सतर्क हो जाते हैंं. जवान जबतक संभल पाते हैं तबतक माओवादियों को अपनी रणनीति बदलने का समय मिल जाता है. कई बार वो जवानों के संभलते सभलते उनपर गोलियों की बौछार भी कर देते हैं.

निर्माण कार्य में होता है इस्तेमाल: IED का इस्तेमाल निर्माण कार्यों के दौरान भी किया जाता है. बड़े बड़े चट्टानों को तोड़ने के लिए भी कंस्ट्रक्शन साइट पर इसका इस्तेमाल ठेकेदार करते हैं. कई बार ये आरोप लग चुके हैं कि ठेकेदारों की मदद से नक्सली आईईडी का इंतजाम करते हैं. जमीन के नीचे इन आईईडी को दबाकर जब लगा दिया जाता है तो इसका पता लगाना काफी मुश्किल होता है. इन बमों को निष्क्रिय करने के लिए एक्सपर्ट टीम की जरुरत होती है.

IED से होने वाले नुकसान: IED विस्फोट काफी घातक होते हैं. विस्फोट की चपेट में आने वाले को ये बुरी तरह से घायल कर देता है. नक्सली जवानों के अपने एंबुश में फंसाने के लिए जवानों के आने जाने के रास्ते में इन बमों को प्लांट कर देते हैं. जवान जैसे ही उस रास्ते से गुजरते हैं प्रेसर पड़ने से बम फट जाता है. बस्तर में गोरिल्ली वार के दौरान कई सालों से नक्सली इस घातक हथियार का इस्तेमाल करते आ रहे हैं.

क्यों इतना खतरनाक है IED: इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस शब्द 1970 के दशक में ब्रिटिश सेना से आया. आयरिश रिपब्लिकन आर्मी (आईआरए) ने कृषि उर्वरक और लीबिया से तस्करी करके लाए गए SEMTEX से बने बमों का इस्तेमाल अत्यधिक प्रभावी बूबी ट्रैप डिवाइस या रिमोट कंट्रोल बम बनाने के लिए किया. आईईडी शब्द ब्रिटिश सेना द्वारा उत्तरी आयरलैंड संघर्ष के दौरान आईआरए द्वारा बनाए गए बूबी ट्रैप को बताने के लिए गढ़ा गया था. आईईडी शब्द पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका के इराक आक्रमण के दौरान आम उपयोग में आया, जहां इस तरह के बमों का आमतौर पर अमेरिकी सेना के खिलाफ इस्तेमाल किया गया.

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बस्तर: माओवादियों की एक बार फिर घिनौनी साजिश बीजापुर में सामने आई है. घात लगाकर नक्सलियों ने डीआरजी के 8 जवानों को शहीद कर दिया. माओादियों ने सड़क के नीचे IED को प्लांट किया था. जवानों की गाड़ी जैसे ही वहां पहुंची माओवादियों ने IED में विस्फोट कर दिया. बस्तर में काफी लंबे वक्त से नक्सली आईईडी का इस्तेमाल जवानों के खिलाफ करते आ रहे हैं. आईईडी धमाकों में अबतक सैंकड़ों जवान शहीद हो चुके हैं.

माओवादियों द्वारा IED के इस्तेमाल का इतिहास: IED का इस्तेमाल वामपंथी उग्रवादी ज्यादा करते हैं. माओवादियों द्वारा IED के इस्तेमाल की योजना बनाने का पहला सबूत 1980 के दशक के मध्य में तत्कालीन आंध्र प्रदेश के वारंगल जिले के नचिनापल्ली गांव में गोलीबारी के दौरान मिला था. गोलीबारी के बाद पुलिस को एक नोटबुक मिली जिसमें बताया गया था कि माओवादी बारूदी सुरंग बिछाने और IED का इस्तेमाल करने की तकनीक सीख रहे हैं.

IED के इस्तेमाल के पीछे मुख्य उद्देश्य: पुलिस की आवाजाही को रोकना और उन पर घात लगाकर हमला करना इस रणनीति का मुख्य लक्ष्य है. जैसे ही IED विस्फोट होता है सुरक्षा बल सतर्क हो जाते हैंं. जवान जबतक संभल पाते हैं तबतक माओवादियों को अपनी रणनीति बदलने का समय मिल जाता है. कई बार वो जवानों के संभलते सभलते उनपर गोलियों की बौछार भी कर देते हैं.

निर्माण कार्य में होता है इस्तेमाल: IED का इस्तेमाल निर्माण कार्यों के दौरान भी किया जाता है. बड़े बड़े चट्टानों को तोड़ने के लिए भी कंस्ट्रक्शन साइट पर इसका इस्तेमाल ठेकेदार करते हैं. कई बार ये आरोप लग चुके हैं कि ठेकेदारों की मदद से नक्सली आईईडी का इंतजाम करते हैं. जमीन के नीचे इन आईईडी को दबाकर जब लगा दिया जाता है तो इसका पता लगाना काफी मुश्किल होता है. इन बमों को निष्क्रिय करने के लिए एक्सपर्ट टीम की जरुरत होती है.

IED से होने वाले नुकसान: IED विस्फोट काफी घातक होते हैं. विस्फोट की चपेट में आने वाले को ये बुरी तरह से घायल कर देता है. नक्सली जवानों के अपने एंबुश में फंसाने के लिए जवानों के आने जाने के रास्ते में इन बमों को प्लांट कर देते हैं. जवान जैसे ही उस रास्ते से गुजरते हैं प्रेसर पड़ने से बम फट जाता है. बस्तर में गोरिल्ली वार के दौरान कई सालों से नक्सली इस घातक हथियार का इस्तेमाल करते आ रहे हैं.

क्यों इतना खतरनाक है IED: इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस शब्द 1970 के दशक में ब्रिटिश सेना से आया. आयरिश रिपब्लिकन आर्मी (आईआरए) ने कृषि उर्वरक और लीबिया से तस्करी करके लाए गए SEMTEX से बने बमों का इस्तेमाल अत्यधिक प्रभावी बूबी ट्रैप डिवाइस या रिमोट कंट्रोल बम बनाने के लिए किया. आईईडी शब्द ब्रिटिश सेना द्वारा उत्तरी आयरलैंड संघर्ष के दौरान आईआरए द्वारा बनाए गए बूबी ट्रैप को बताने के लिए गढ़ा गया था. आईईडी शब्द पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका के इराक आक्रमण के दौरान आम उपयोग में आया, जहां इस तरह के बमों का आमतौर पर अमेरिकी सेना के खिलाफ इस्तेमाल किया गया.

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