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Jharkhand Election 2024: झारखंड की राजनीति में '23' का संयोग, इस अंक को सुनते ही क्यों बढ़ जाती है नेताओं की धड़कन

झारखंड की राजनीति में 23 तारीख बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इस तारीख ने राज्य की राजनीति पर गहरी छाप छोड़ी है.

JHARKHAND POLITICS
डिजाइन इमेंज (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 3 hours ago

रांचीः झारखंड की राजनीति में 23 अंक बेहद खास है. यह ऐसा अंक है जिसको सुनते ही नेताओं की धड़कन बढ़ जाती है. क्योंकि पिछले तीन विधानसभा चुनावों के दौरान झारखंड की राजनीति इसी 23 अंक के ईर्द-गिर्द घूमती रही है. क्योंकि यही वो अंक है जो तय करता है कि सत्ता की चाबी किसके हाथ में जाएगी. इस बार भी 23 की चर्चा है. फर्क इतना भर है कि इस बार यह अंक एक माह पहले अपना असर दिखाने वाला है.

23 यानी विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा की तारीख. झारखंड बनने के बाद 2005, 2009, 2014 और 2019 में चार चुनाव हुए हैं. साल 2024 में पांचवा चुनाव 13 नवंबर और 20 नवंबर को दो फेज में होने जा रहा है. सिर्फ 2005 का ही विधानसभा चुनाव ऐसा था, जब नतीजे 27 फरवरी को आए थे. इसके बाद 2009 में 23 दिसंबर, 2014 में 23 दिसंबर और 2019 में भी 23 दिसंबर को ही नतीजे आए थे. 2024 के चुनाव के नतीजे भी 23 को ही आएंगे. फर्क इतना भर है कि इस बार नतीजे दिसंबर माह की 23 तारीख के बजाए नवंबर माह की 23 तारीख को आएंगे.

झारखंड में हुए चार विधानसभा चुनावों का लेखा जोखा

2005 में पहली बार झारखंड में तीन चरण में चुनाव हुए थे. 3 फरवरी, 15 फरवरी और 23 फरवरी को. मतों की गिनती 27 फरवरी को हुई थी.

2009 में दूसरी बार झारखंड में पांच चरण में चुनाव हुए थे. 25 नवंबर, 2 दिसंबर, 8 दिसंबर, 12 दिसंबर और 18 दिसंबर को. मतों की गिनती 23 दिसंबर को हुई थी.

2014 में तीसरी बार झारखंड में फिर पांच चरण में चुनाव हुए थे. 25 नवंबर, 2 दिसंबर, 9 दिसंबर, 14 दिसंबर और 20 दिसंबर को. मतों की गिनती 23 दिसंबर 2014 को हुई थी.

2019 में चौथी बार झारखंड में पांच चरण में 30 नवंबर, 7 दिसंबर, 12 दिसंबर, 16 दिसंबर और 20 दिसंबर को चुनाव हुए थे. मतों की गिनती 23 दिसंबर 2019 को हुई थी.

2024 में पांचवीं बार झारखंड में चुनाव हो रहे हैं. लेकिन पहली बार दो चरण में 13 नवंबर और 20 नवंबर को चुनाव हो रहा है. मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी.

JHARKHAND POLITICS
जीएफएक्स (ईटीवी भारत)

2005 के रिजल्ट ने तय की 23 अंक की रुपरेखा

झारखंड बनने के बाद पहली बार 2005 में विधानसभा का चुनाव हुआ तो 27 फरवरी को आए नतीजों ने सबको चौंका दिया. किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. शिबू सोरेन पहली बार 2 मार्च 2005 को सीएम बने लेकिन 12 मार्च को ही कुर्सी छोड़नी पड़ी. उनकी जगह भाजपा के अर्जुन मुंडा सीएम बने. लेकिन 18 माह में ही कुर्सी गंवा बैठे. यह वो दौर था जब इस राज्य ने निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को भी मुख्यमंत्री बनते देखा. लेकिन 11 माह में ही 28 अगस्त 2008 को उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी. कोड़ा की जगह फिर झामुमो चीफ शिबू सोरेन सीएम बने, लेकिन पांच माह पूरा होने से पहले ही 18 जनवरी 2009 को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया. अल्पमत की सरकार होने की वजह से पहली बार यह राज्य राष्ट्रपति शासन की गिरफ्त में चला गया.

2009 के चुनाव से झारखंड में हावी है 23 का अंक

23 दिसंबर 2009 को झारखंड में दूसरी बार विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए थे. 2005 तरह 2009 में भी किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. मतों की घोषणा के छह दिन बाद शिबू सोरेन के नेतृत्व में भाजपा के समर्थन से झामुमो की सरकार बनी थी, जो सिर्फ पांच माह में ही गिर गई. अल्पमत में आने के कारण 31 मई 2010 को शिबू सोरेन को त्यागपत्र देना पड़ा था. समर्थन के अभाव में झारखंड में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लगा. फिर 11 सितंबर 2010 को भाजपा के अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में सरकार बनी जो झामुमो के समर्थन वापसी के कारण 18 जनवरी 2013 को गिर गई. इसके बाद फिर से राज्य में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लगा जो जुलाई 2013 तक चला. यही वो फेज था जब झामुमो और कांग्रेस में नजदीकी बढ़ी और कांग्रेस के समर्थन से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनी. यह सरकार किसी तरह 23 दिसंबर 2014 तक अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल रही.

2014 के चुनाव में 23 अंक से राजनीति में आई स्थिरता

2009 के बाद 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के मतों की गिनती भी 23 दिसंबर को ही हुई. यह तारीख झारखंड की राजनीति के लिए शुभ साबित हुई. भाजपा 37 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई. चुनाव में भाजपा की सहयोगी रही आजसू को पांच सीटें मिलने से बहुमत के साथ पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में रघुवर दास के नेतृत्व में स्थायी सरकार बनी. पहली बार झारखंड में किसी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया.

2019 के चुनाव में 23 अंक ने बदल दी सत्ता की तस्वीर

23 दिसंबर 2019 को आए नतीजों ने झारखंड में सत्ता की तस्वीर बदल दी. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में कांग्रेस और राजद के समर्थन से सरकार बनी. जेल जाने की वजह से हेमंत सोरेन पांच माह तक सत्ता से दूर रहे. इस गैप को चंपाई सोरेन ने भरा. लेकिन यहीं से राजनीति का नया चैप्टर भी खुल गया. अब चंपाई सोरेन भाजपा के नेता हैं. सरायकेला से चुनाव लड़ रहे हैं.

2024 के चुनाव में भी 23 अंक पर सबकी नजर टिकी है. फर्क इतना भर है कि पिछले तीन चुनाव में 23 दिसंबर को नतीजे आए थे. इसबार 23 नवंबर को परिणाम आएंगे. इस अंक को शुभ बनाने के लिए झारखंड में पहली बार भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए और झामुमो के नेतृत्व वाली इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला हो रहा है. अब देखना है कि इस बार 23 वाला अंक किसके लिए खुशखबरी लेकर आता है.

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रांचीः झारखंड की राजनीति में 23 अंक बेहद खास है. यह ऐसा अंक है जिसको सुनते ही नेताओं की धड़कन बढ़ जाती है. क्योंकि पिछले तीन विधानसभा चुनावों के दौरान झारखंड की राजनीति इसी 23 अंक के ईर्द-गिर्द घूमती रही है. क्योंकि यही वो अंक है जो तय करता है कि सत्ता की चाबी किसके हाथ में जाएगी. इस बार भी 23 की चर्चा है. फर्क इतना भर है कि इस बार यह अंक एक माह पहले अपना असर दिखाने वाला है.

23 यानी विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा की तारीख. झारखंड बनने के बाद 2005, 2009, 2014 और 2019 में चार चुनाव हुए हैं. साल 2024 में पांचवा चुनाव 13 नवंबर और 20 नवंबर को दो फेज में होने जा रहा है. सिर्फ 2005 का ही विधानसभा चुनाव ऐसा था, जब नतीजे 27 फरवरी को आए थे. इसके बाद 2009 में 23 दिसंबर, 2014 में 23 दिसंबर और 2019 में भी 23 दिसंबर को ही नतीजे आए थे. 2024 के चुनाव के नतीजे भी 23 को ही आएंगे. फर्क इतना भर है कि इस बार नतीजे दिसंबर माह की 23 तारीख के बजाए नवंबर माह की 23 तारीख को आएंगे.

झारखंड में हुए चार विधानसभा चुनावों का लेखा जोखा

2005 में पहली बार झारखंड में तीन चरण में चुनाव हुए थे. 3 फरवरी, 15 फरवरी और 23 फरवरी को. मतों की गिनती 27 फरवरी को हुई थी.

2009 में दूसरी बार झारखंड में पांच चरण में चुनाव हुए थे. 25 नवंबर, 2 दिसंबर, 8 दिसंबर, 12 दिसंबर और 18 दिसंबर को. मतों की गिनती 23 दिसंबर को हुई थी.

2014 में तीसरी बार झारखंड में फिर पांच चरण में चुनाव हुए थे. 25 नवंबर, 2 दिसंबर, 9 दिसंबर, 14 दिसंबर और 20 दिसंबर को. मतों की गिनती 23 दिसंबर 2014 को हुई थी.

2019 में चौथी बार झारखंड में पांच चरण में 30 नवंबर, 7 दिसंबर, 12 दिसंबर, 16 दिसंबर और 20 दिसंबर को चुनाव हुए थे. मतों की गिनती 23 दिसंबर 2019 को हुई थी.

2024 में पांचवीं बार झारखंड में चुनाव हो रहे हैं. लेकिन पहली बार दो चरण में 13 नवंबर और 20 नवंबर को चुनाव हो रहा है. मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी.

JHARKHAND POLITICS
जीएफएक्स (ईटीवी भारत)

2005 के रिजल्ट ने तय की 23 अंक की रुपरेखा

झारखंड बनने के बाद पहली बार 2005 में विधानसभा का चुनाव हुआ तो 27 फरवरी को आए नतीजों ने सबको चौंका दिया. किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. शिबू सोरेन पहली बार 2 मार्च 2005 को सीएम बने लेकिन 12 मार्च को ही कुर्सी छोड़नी पड़ी. उनकी जगह भाजपा के अर्जुन मुंडा सीएम बने. लेकिन 18 माह में ही कुर्सी गंवा बैठे. यह वो दौर था जब इस राज्य ने निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा को भी मुख्यमंत्री बनते देखा. लेकिन 11 माह में ही 28 अगस्त 2008 को उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी. कोड़ा की जगह फिर झामुमो चीफ शिबू सोरेन सीएम बने, लेकिन पांच माह पूरा होने से पहले ही 18 जनवरी 2009 को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया. अल्पमत की सरकार होने की वजह से पहली बार यह राज्य राष्ट्रपति शासन की गिरफ्त में चला गया.

2009 के चुनाव से झारखंड में हावी है 23 का अंक

23 दिसंबर 2009 को झारखंड में दूसरी बार विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए थे. 2005 तरह 2009 में भी किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. मतों की घोषणा के छह दिन बाद शिबू सोरेन के नेतृत्व में भाजपा के समर्थन से झामुमो की सरकार बनी थी, जो सिर्फ पांच माह में ही गिर गई. अल्पमत में आने के कारण 31 मई 2010 को शिबू सोरेन को त्यागपत्र देना पड़ा था. समर्थन के अभाव में झारखंड में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लगा. फिर 11 सितंबर 2010 को भाजपा के अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में सरकार बनी जो झामुमो के समर्थन वापसी के कारण 18 जनवरी 2013 को गिर गई. इसके बाद फिर से राज्य में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लगा जो जुलाई 2013 तक चला. यही वो फेज था जब झामुमो और कांग्रेस में नजदीकी बढ़ी और कांग्रेस के समर्थन से हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनी. यह सरकार किसी तरह 23 दिसंबर 2014 तक अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल रही.

2014 के चुनाव में 23 अंक से राजनीति में आई स्थिरता

2009 के बाद 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के मतों की गिनती भी 23 दिसंबर को ही हुई. यह तारीख झारखंड की राजनीति के लिए शुभ साबित हुई. भाजपा 37 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई. चुनाव में भाजपा की सहयोगी रही आजसू को पांच सीटें मिलने से बहुमत के साथ पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में रघुवर दास के नेतृत्व में स्थायी सरकार बनी. पहली बार झारखंड में किसी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया.

2019 के चुनाव में 23 अंक ने बदल दी सत्ता की तस्वीर

23 दिसंबर 2019 को आए नतीजों ने झारखंड में सत्ता की तस्वीर बदल दी. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में कांग्रेस और राजद के समर्थन से सरकार बनी. जेल जाने की वजह से हेमंत सोरेन पांच माह तक सत्ता से दूर रहे. इस गैप को चंपाई सोरेन ने भरा. लेकिन यहीं से राजनीति का नया चैप्टर भी खुल गया. अब चंपाई सोरेन भाजपा के नेता हैं. सरायकेला से चुनाव लड़ रहे हैं.

2024 के चुनाव में भी 23 अंक पर सबकी नजर टिकी है. फर्क इतना भर है कि पिछले तीन चुनाव में 23 दिसंबर को नतीजे आए थे. इसबार 23 नवंबर को परिणाम आएंगे. इस अंक को शुभ बनाने के लिए झारखंड में पहली बार भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए और झामुमो के नेतृत्व वाली इंडिया गठबंधन के बीच मुकाबला हो रहा है. अब देखना है कि इस बार 23 वाला अंक किसके लिए खुशखबरी लेकर आता है.

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