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झारखंड की राजनीति के सितारे! जानें, किन नेताओं ने लगातार पांच बार जीता चुनाव और अभी क्या है स्थिति - Jharkhand assembly election

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 3 hours ago

Stars of Jharkhand politics. झारखंड विधानसभा चुनाव का ऐलान कभी हो सकता है. भारत निर्वाचन आयोग की टीम इन तैयारियों की समीक्षा कर चुकी है. साल 2024 के चुनाव में कई नये समीकरण और नए मुद्दे सामने आए हैं. इनमें कई ऐसे भी कद्दावर नेता हैं, जिन्होंने इन सबसे हटकर अपनी पहचान बनाई है. इनके नाम एक बड़ा रिकॉर्ड भी है.

Know which leaders have record of winning Jharkhand assembly elections five times in a row
ग्राफिक्स इमेज (Etv Bharat)

रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव की डुगडुगी बजने वाली है. 2019 के मुकाबले 2024 के चुनावी समीकरण बदल गये हैं, मुद्दे बदल गये हैं और तालमेल के तरीके बदल गये हैं. कई नये चेहरे जमीन तलाश रहे हैं. इन सबसे बीच कुछ ऐसे नेता हैं जो पार्टी से हटकर अपनी पहचान बना चुके हैं. इसकी फेहरिस्त काफी लंबी है. लेकिन जब यह सवाल उठाया जाए कि पांच चुनावों में लगातार जीत दर्ज करने वाले झारखंड में कौन-कौन से नेता हैं तो लिस्ट बिल्कुल सिमट जाती है. राज्य के पांचों प्रमंडल में इस लिस्ट में सिर्फ तीन नेताओं ने यह उपलब्धि हासिल की है.

नलीन सोरेन रहे हैं सबसे सफल नेता

पहला नाम आता है नलिन सोरेन का. झामुमो के कद्दावर नेता हैं नलिन सोरेन. दुमका के शिकारीपाड़ा सीट पर इनकी जबरदस्त पकड़ है. 2019 तक लगातार सात विधानसभा चुनाव जीतने वाले इकलौते विधायक हैं. इन्होंने सबसे पहले 1985 के चुनाव में शिकारीपाड़ा से बतौर निर्दलीय अपनी दावेदारी पेश की थी. तब झामुमो के डेविड मुर्मू से बड़े अंतर से हार गए थे. पांच साल इंतजार के बाद जब 1990 में चुनाव हुआ तो झामुमो ने नलिन सोरेन को अपना सारथी बना लिया. तब से अबतक हुए तमाम विधानसभा चुनाव में नलिन सोरेन ने जीत दर्ज की.

1990, 1995, 2000 और 2005 के बाद इनको पहली चुनौती 2009 में जेवीएम के पारितोष सोरेन से मिली. फिर भी महज 1,003 वोट से चुनाव जीत गये. 2014 में मोदी लहर थी फिर भी भाजपा ने प्रत्याशी नहीं दिया. यह सीट लोजपा के लिए छोड़ दी गई. लेकिन नलिन सोरेन के सामने कोई नहीं टिका. जेवीएम के पारितोष सोरेन 24,501 वोट से हार गये. लोजपा प्रत्याशी शिवधान मुर्मू तीसरे स्थान पर रहे. 2019 के चुनाव में भाजपा ने पारितोष सोरेन को प्रत्याशी बनाकर दांव खेला लेकिन वे चारों खाने चीत हो गये. नलिन सोरेन ने पारितोष को 30 हजार से ज्यादा वोट के अंतर से हरा दिया. 2024 के लोकसभा चुनाव में दुमका सीट से झामुमो प्रत्याशी बनकर नलिन ने भाजपा प्रत्याशी और गुरुजी की बहू सीता सोरेन तक को मात दे दी.

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नेताओं के चुनाव जीतने के रिकॉर्ड (ETV Bharat)

भाजपा के सबसे सफल नेता रहे हैं सीपी सिंह

झारखंड की राजनीति में सीपी सिंह दूसरे ऐसा नेता हैं जो लगातार छह बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं. भाजपा नेता के तौर पर 2019 तक लगातार छह बार विधानसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड सीपी सिंह के नाम दर्ज है. इन्होंने 1996 के उपचुनाव से जीत का सिलसिला शुरू किया था जो अबतक जारी है. पलामू से आकर रांची में अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले सीपी सिंह रांची विधानसभा क्षेत्र में बेहद चर्चित हैं. आम लोगों से सीधा जुड़ाव इनकी प्रसिद्धि का कारण है. भाजपा के समर्पित नेता होने के नाते मंत्री बनने से पहले इन्हें झारखंड का स्पीकर बनने का भी सौभाग्य मिला है. 2014 में रघुवर दास के नेतृत्व में बनी सरकार में मंत्री रह चुके हैं. इन्होंने 2014 में झामुमो की महुआ माजी को 58,863 वोट के अंतर से हराया था. लेकिन 2019 के चुनाव में बदले माहौल के बीच झामुमो की महुआ माजी ने जबरदस्त टक्कर दी थी. इस चुनाव में सीपी सिंह महज 5,904 वोट से अंतर से जीते थे.

रघुवर दास पांच बार लगातार जीते हैं चुनाव

इस लिस्ट में तीसरा नाम आता है रघुवर दास का. जमशेदपुर पूर्वी सीट पर 1995 से 2014 तक हुए पांच विधानसभा चुनाव लगातार जीतते रहे. पहले चुनाव में कांग्रेस के केपी सिंह से कांटे की टक्कर हुई थी. इसके बाद रघुवर दास ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2014 का चुनाव जीतकर लगातार पांचवीं जीत अपने नाम की. इस जीत के साथ रघुवर दास सूबे के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री भी बने. इससे पहले रघुवर दास झारखंड के उप मुख्यमंत्री और मंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन 2019 में सीएम रहते जमशेदपुर पूर्वी सीट पर अपने ही पार्टी के बागी साथी सरयू राय से हार गये. तब सरयू राय ने बतौर निर्दलीय रघुवर दास से टकराकर झारखंड की राजनीतिक हवा बदल दी थी. सरयू राय ने रघुवर दास को उनके गढ़ मं 15,833 वोट के अंतर से हराया था. फिर भी भाजपा में रघुवर दास का कद कम नहीं हुआ. आज वे ओडिशा के गवर्नर हैं.

इन तीनों नेताओं में सिर्फ सीपी सिंह ही ऐसे नेता हैं जो वर्तमान में विधानसभा के सदस्य हैं. रघुवर दास गवर्नर बन चुके हैं. वहीं झामुमो के नलिन सोरेन दुमका के सांसद हैं. अब देखना है कि रांची सीट पर भाजपा अपने कद्दावर नेता सीपी सिंह पर फिर भरोसा जताती है या कोई एक्सपेरिंट होता है.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में यात्रा की राजनीति, कौन पड़ेगा किस पर भारी! - Yatra Politics

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रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव की डुगडुगी बजने वाली है. 2019 के मुकाबले 2024 के चुनावी समीकरण बदल गये हैं, मुद्दे बदल गये हैं और तालमेल के तरीके बदल गये हैं. कई नये चेहरे जमीन तलाश रहे हैं. इन सबसे बीच कुछ ऐसे नेता हैं जो पार्टी से हटकर अपनी पहचान बना चुके हैं. इसकी फेहरिस्त काफी लंबी है. लेकिन जब यह सवाल उठाया जाए कि पांच चुनावों में लगातार जीत दर्ज करने वाले झारखंड में कौन-कौन से नेता हैं तो लिस्ट बिल्कुल सिमट जाती है. राज्य के पांचों प्रमंडल में इस लिस्ट में सिर्फ तीन नेताओं ने यह उपलब्धि हासिल की है.

नलीन सोरेन रहे हैं सबसे सफल नेता

पहला नाम आता है नलिन सोरेन का. झामुमो के कद्दावर नेता हैं नलिन सोरेन. दुमका के शिकारीपाड़ा सीट पर इनकी जबरदस्त पकड़ है. 2019 तक लगातार सात विधानसभा चुनाव जीतने वाले इकलौते विधायक हैं. इन्होंने सबसे पहले 1985 के चुनाव में शिकारीपाड़ा से बतौर निर्दलीय अपनी दावेदारी पेश की थी. तब झामुमो के डेविड मुर्मू से बड़े अंतर से हार गए थे. पांच साल इंतजार के बाद जब 1990 में चुनाव हुआ तो झामुमो ने नलिन सोरेन को अपना सारथी बना लिया. तब से अबतक हुए तमाम विधानसभा चुनाव में नलिन सोरेन ने जीत दर्ज की.

1990, 1995, 2000 और 2005 के बाद इनको पहली चुनौती 2009 में जेवीएम के पारितोष सोरेन से मिली. फिर भी महज 1,003 वोट से चुनाव जीत गये. 2014 में मोदी लहर थी फिर भी भाजपा ने प्रत्याशी नहीं दिया. यह सीट लोजपा के लिए छोड़ दी गई. लेकिन नलिन सोरेन के सामने कोई नहीं टिका. जेवीएम के पारितोष सोरेन 24,501 वोट से हार गये. लोजपा प्रत्याशी शिवधान मुर्मू तीसरे स्थान पर रहे. 2019 के चुनाव में भाजपा ने पारितोष सोरेन को प्रत्याशी बनाकर दांव खेला लेकिन वे चारों खाने चीत हो गये. नलिन सोरेन ने पारितोष को 30 हजार से ज्यादा वोट के अंतर से हरा दिया. 2024 के लोकसभा चुनाव में दुमका सीट से झामुमो प्रत्याशी बनकर नलिन ने भाजपा प्रत्याशी और गुरुजी की बहू सीता सोरेन तक को मात दे दी.

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नेताओं के चुनाव जीतने के रिकॉर्ड (ETV Bharat)

भाजपा के सबसे सफल नेता रहे हैं सीपी सिंह

झारखंड की राजनीति में सीपी सिंह दूसरे ऐसा नेता हैं जो लगातार छह बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं. भाजपा नेता के तौर पर 2019 तक लगातार छह बार विधानसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड सीपी सिंह के नाम दर्ज है. इन्होंने 1996 के उपचुनाव से जीत का सिलसिला शुरू किया था जो अबतक जारी है. पलामू से आकर रांची में अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने वाले सीपी सिंह रांची विधानसभा क्षेत्र में बेहद चर्चित हैं. आम लोगों से सीधा जुड़ाव इनकी प्रसिद्धि का कारण है. भाजपा के समर्पित नेता होने के नाते मंत्री बनने से पहले इन्हें झारखंड का स्पीकर बनने का भी सौभाग्य मिला है. 2014 में रघुवर दास के नेतृत्व में बनी सरकार में मंत्री रह चुके हैं. इन्होंने 2014 में झामुमो की महुआ माजी को 58,863 वोट के अंतर से हराया था. लेकिन 2019 के चुनाव में बदले माहौल के बीच झामुमो की महुआ माजी ने जबरदस्त टक्कर दी थी. इस चुनाव में सीपी सिंह महज 5,904 वोट से अंतर से जीते थे.

रघुवर दास पांच बार लगातार जीते हैं चुनाव

इस लिस्ट में तीसरा नाम आता है रघुवर दास का. जमशेदपुर पूर्वी सीट पर 1995 से 2014 तक हुए पांच विधानसभा चुनाव लगातार जीतते रहे. पहले चुनाव में कांग्रेस के केपी सिंह से कांटे की टक्कर हुई थी. इसके बाद रघुवर दास ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2014 का चुनाव जीतकर लगातार पांचवीं जीत अपने नाम की. इस जीत के साथ रघुवर दास सूबे के पहले गैर आदिवासी मुख्यमंत्री भी बने. इससे पहले रघुवर दास झारखंड के उप मुख्यमंत्री और मंत्री भी रह चुके हैं. लेकिन 2019 में सीएम रहते जमशेदपुर पूर्वी सीट पर अपने ही पार्टी के बागी साथी सरयू राय से हार गये. तब सरयू राय ने बतौर निर्दलीय रघुवर दास से टकराकर झारखंड की राजनीतिक हवा बदल दी थी. सरयू राय ने रघुवर दास को उनके गढ़ मं 15,833 वोट के अंतर से हराया था. फिर भी भाजपा में रघुवर दास का कद कम नहीं हुआ. आज वे ओडिशा के गवर्नर हैं.

इन तीनों नेताओं में सिर्फ सीपी सिंह ही ऐसे नेता हैं जो वर्तमान में विधानसभा के सदस्य हैं. रघुवर दास गवर्नर बन चुके हैं. वहीं झामुमो के नलिन सोरेन दुमका के सांसद हैं. अब देखना है कि रांची सीट पर भाजपा अपने कद्दावर नेता सीपी सिंह पर फिर भरोसा जताती है या कोई एक्सपेरिंट होता है.

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