देहरादून: उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करना भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल था. यही वजह कि 23 मार्च 2022 को धामी सरकार के गठन के बाद हुई पहली मंत्रिमंडल की बैठक में यूसीसी लागू करने की मंजूरी दी गई थी. साथ ही मंत्रिमंडल ने यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन करने का निर्णय लिया था. केंद्र सरकार के निर्देश के बाद सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया. यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति में पांच सदस्यों को शामिल किया गया था.
प्रशासनिक अनुभव समेत अन्य बातों पर फोकस: विशेषज्ञ समिति का गठन करने के दौरान मुख्य रूप से इस बात पर फोकस किया गया कि इस समिति में जिन लोगों को शामिल किया जाए, उन्हें कानून की जानकारी, प्रशासनिक अनुभव, उत्तराखंड में काम करने का अनुभव होने के साथ ही उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों की जानकारी होनी चाहिए. यही वजह है कि इस पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति में दो न्यायाधीश के साथ ही उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, समाजसेवी मनु गौड़ और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल को शामिल किया गया था, ताकि राज्य के अनुरूप और प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए यूसीसी मसौदा तैयार किया जा सके.
रंजना प्रकाश देसाई को सौंपी गई थी कमेटी की कमान: उत्तराखंड सरकार ने इन पांच नामों पर मुहर लगाते हुए 27 मई 2022 को आदेश भी जारी कर दिए थे. इस पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की कमान सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई को सौंपी गई थी. कमेटी का गठन होने के बाद 4 जुलाई को कमेटी ने अपनी पहली बैठक की. बैठक में तमाम महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई. इसके बाद कमेटी ने कुल 72 बैठकें की और 2 लाख 33 हज़ार लोगों से सुझाव भी लिए. यही नहीं यूनिफॉर्म सिविल कोड का फाइनल मसौदा तैयार होने और राज्य सरकार को सौंपने तक चार बार विशेषज्ञ समिति के कार्यकाल को बढ़ाया गया है.
विशेषज्ञ समिति की अध्यक्ष सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई: सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई के पास बड़ा अनुभव है, जिसके चलते धामी सरकार ने रंजना प्रकाश देसाई पर भरोसा जताया था. दरअसल जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई 1973 में कानून की डिग्री पूरा करने के बाद कानूनी पेशे में आई थी. इसके बाद साल 1979 में मुंबई हाईकोर्ट में सरकारी वकील थी. साल 1996 में मुंबई हाईकोर्ट और साल 2011 में रंजना प्रकाश देसाई को सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किया गया था. इसके बाद उन्हें लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों के चयन को लेकर केंद्र सरकार ने पैनल की सिफारिश करने के लिए गठित खोज समिति अध्यक्ष बनाया था. यही नहीं, साल 2020 के मार्च महीने में कई राज्यों के लिए परिसीमन आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी रंजना देसाई ने काम किया है. विशेषज्ञ समिति के सदस्य रिटायर्ड जस्टिस प्रमोद कोहली: यूनिफॉर्म सिविल कोड का मसौदा तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति में रिटायर्ड जस्टिस प्रमोद कोहली को सदस्य नामित किया गया. प्रमोद कोहली ने साल 1972 में कानून की डिग्री हासिल की थी. साल 1990 में राज्यपाल शासन के दौरान कोहली को जम्मू कश्मीर का अतिरिक्त महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था और फिर उन्होंने तात्कालिक जम्मू-कश्मीर में महाधिवक्ता के रूप में पदभार संभाला था.इसके बाद प्रमोद कोहली वैष्णो देवी साइन बोर्ड और श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय के कानूनी सलाहकार भी रहे. साल 2003 में उन्हें जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. इसके बाद साल 2006 में उन्हें झारखंड हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया. इसके बाद उन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया था. साल 2011 में जस्टिस कोहली को सिक्किम हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया, जिसके बाद साल 2013 में जस्टिस कोहली रिटायर्ड हुए थे. रिटायर्ड होने के बाद जस्टिस कोहली को केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.पूर्व सीएस शत्रुघ्न सिंह: यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गठित विशेषज्ञ समिति में उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह को बतौर सदस्य नामित किया गया था. रिटायर्ड आईएएस शत्रुघ्न सिंह ने साल 1983 में आईआईटी खड़गपुर से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की थी. लंबे समय तक प्रदेश में सेवा देने के बाद नवंबर 2015 को उत्तराखंड के 13वें मुख्य सचिव बनाए गए थे. इसके बाद शत्रुघ्न सिंह को तात्कालिक भाजपा सरकार ने उत्तराखंड राज्य का मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्त किया था. मुख्य सूचना आयुक्त से इस्तीफा देने के बाद तात्कालिक मुख्यमंत्री तीर्थ सिंह रावत ने शत्रुघ्न सिंह को मुख्य सलाहकार नामित कर दिया था. वर्तमान समय में रिटायर्ड आईएएस शत्रुघ्न सिंह, अयोध्या राम मंदिर निर्माण समिति के सदस्य भी हैं.
समाजसेवी मनु गौड़: विशेषज्ञ समिति के सदस्य उत्तराखंड के समाजसेवी मनु गौड़ पेशे से किसान हैं. साथ ही टैक्सपेयर्स एसोसिएशन ऑफ भारत के अध्यक्ष भी हैं, जो करदाताओं के कल्याण, जनसंख्या नियंत्रण, सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के पुनरुद्धार के साथ ही भारत के विकास संबंधित मुद्दों पर काम करने वाला एक पंजीकृत संगठन है. मनु गौड़, सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जनसंख्या नियंत्रण पर पहले जिम्मेदार पितृत्व विधेयक का मसौदा तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं. जिसे दिसंबर 2018 में एक निजी सदस्य विधेयक के रूप में पेश किया गया था. इस विधेयक को 125 सदस्यों का समर्थन मिला था. साल 2012 से मनु गौड़ यूसीसी और जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर काम कर रहे हैं.
सुरेखा डंगवाल: यूनिफॉर्म सिविल कोड विशेषज्ञ समिति की सदस्य डॉ. सुरेखा डंगवाल वर्तमान समय में दून विश्वविद्यालय की कुलपति हैं. इससे पहले सुरेखा डंगवाल ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में अंग्रेजी, आधुनिक यूरोपीय और अन्य विदेशी भाषाओं की एचओडी के रूप में काम किया है. सुरेखा के पास करीब 35 सालों का शिक्षण और रिसर्च का अनुभव है. वो प्रतिष्ठित जर्मन डीएएडी फेलोशिप भी हासिल कर चुकी हैं.
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