हैदराबाद: भारत सरकार ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम करने की घोषणा की है. सरकार का कहना है कि इससे गुलामी और औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति मिलेगी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के भारत को औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त करने के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर हमने पोर्ट ब्लेयर का नाम 'श्री विजयपुरम' करने का फैसला लिया है. पुराना नाम अंग्रेजों की औपनिवेशिक विरासत से जुड़ा था.
नाम बदलने के फैसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि श्री विजयपुरम नाम अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के समृद्ध इतिहास और बहादुर लोगों का सम्मान करता है.
The name Sri Vijaya Puram honours the rich history and heroic people of Andaman and Nicobar islands. It also reflects our commitment to break free from the colonial mindset and celebrate our heritage. https://t.co/m1Cwlk38tb
— Narendra Modi (@narendramodi) September 13, 2024
कौन थे कैप्टन आर्चीबाल्ड ब्लेयर
पोर्ट ब्लेयर का नाम ईस्ट इंडिया कंपनी के ब्रिटिश नौसेना के अधिकारी कैप्टन आर्चीबाल्ड ब्लेयर के नाम पर रखा गया था. रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटिश नौसेना के अधिकारी कैप्टन ब्लेयर 1771 में लेफ्टिनेंट के रूप में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के तहत बॉम्बे मरीन में शामिल हुए. ब्लेयर ने 1772 में भारत, ईरान और अरब के तटों पर एक सर्वे मिशन शुरू किया. 1780 में जब ब्लेयर एक मिशन पर थे तो फ्रांसीसी युद्धपोत ने उन्हें पकड़ लिया और चार साल तक बंदी बनाकर रखा गया. बाद उन्हें डचों के जरिये बॉम्बे मरीन को वापस कर दिया गया.
ब्लेयर ने अंडमान द्वीप समूह का सर्वेक्षण किया
लौटने के बाद ब्लेयर ने अपनी नौसैनिक यात्राएं जारी रखीं और हिंद महासागर में सर्वेक्षण किया. 1786 और 1788 के बीच, उन्होंने मालदीव के दक्षिण में चागोस द्वीप समूह, कलकत्ता के पास डायमंड हार्बर और हुगली नदी सहित कई क्षेत्रों का सर्वे किया. ब्लेयर ने दिसंबर 1788 से अप्रैल 1789 तक अंडमान द्वीप समूह का सर्वेक्षण था. 12 जून 1789 को उन्होंने कलकत्ता में ब्रिटिश गवर्नर-जनरल को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी.
प्राकृतिक बंदरगाह की खोज की
ब्लेयर की सर्वे रिपोर्ट ने ब्रिटिश हुकूमत को अंडमान द्वीप समूह पर उपनिवेश स्थापित करने के लिए प्रेरित किया. अंग्रेज मलय समुद्री डाकुओं का सामना करने के लिए द्वीपों को सुरक्षित बंदरगाह और नौसैनिक अड्डे के रूप में इस्तेमाल करना चाहते थे. अपने मिशन के दौरान कैप्टन आर्चीबाल्ड ब्लेयर ने ग्रेट अंडमान द्वीप के दक्षिणी हिस्से में प्राकृतिक बंदरगाह की खोज की और ब्रिटिश-भारतीय नौसेना के कमांडर-इन-चीफ कमोडोर विलियम कॉर्नवालिस के नाम पर इसका नाम पोर्ट कॉर्नवालिस रखा. बाद में इस पोर्ट का नाम उनके सम्मान में पोर्ट ब्लेयर कर दिया गया.
ब्लेयर की याद में पोर्ट ब्लेयर का नामकरण पूर्वी बंगाल की खाड़ी में ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार में उनके महत्व को दर्शाता है. बाद में यह बंदरगाह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सैन्य, प्रशासनिक और व्यापारिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र बन गया. यह अंग्रेजों के लिए परिचालन केंद्र के रूप में कार्य करता था, जिससे उन्हें आस-पास के द्वीपों पर अधिक प्रभावी ढंग से नियंत्रण और प्रबंधन करने में मदद मिली.
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