नई दिल्ली : कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने हरियाणा इकाई में अंदरूनी कलह को रोकने के लिए हस्तक्षेप किया, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि गुटीय झगड़ों के कारण 5 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं पर असर पड़े. कांग्रेस को दस साल के अंतराल के बाद हरियाणा में सत्ता में वापसी का आभास हो रहा है. आंतरिक सर्वेक्षणों के अनुसार, सत्तारूढ़ भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का पलड़ा भारी है.
हाल ही में 90 विधानसभा सीटों के लिए टिकटों की घोषणा के बाद, हरियाणा में कांग्रेस के लिए सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन नाराज कुमारी शैलजा ने अचानक 12 सितंबर से खुद को सक्रिय प्रचार से अलग कर लिया. हालांकि हाईकमान ने कुमारी शैलजा द्वारा सुझाए गए लगभग 9 उम्मीदवारों को समायोजित किया था और उन्हें टिकट दिए थे, लेकिन वह इस बात से नाराज थीं कि प्रतिद्वंद्वी हुड्डा खेमे ने कथित तौर पर बल्लभगढ़, तिगांव, बवानी खेड़ा और पानीपत ग्रामीण सहित कई विधानसभा सीटों पर स्वतंत्र उम्मीदवार उतारे थे.
टिकट वितरण से कुछ दिन पहले पूर्व राज्य इकाई प्रमुख शैलजा ने सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री बनने की इच्छा व्यक्त की थी, जो हुड्डा खेमे को पसंद नहीं आई थी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, 22 सितंबर को शैलजा ने खड़गे से मुलाकात की. इस दौरान खड़गे ने उनकी शिकायतों पर गौर करने का आश्वासन दिया. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि इसका मतलब कुछ ऐसा हो सकता है जिससे शैलजा के प्रत्याशियों और उनके लिए अधिक प्रमुख अभियान भूमिकाओं की संभावनाओं पर कोई असर न पड़े.
खड़गे के साथ बैठक के बाद कुमारी शैलजा लगभग दो सप्ताह के अंतराल के बाद 26 सितंबर से नरवाना में अपना अभियान फिर से शुरू करने वाली हैं. वहीं रणदीप सुरजेवाला ने 23 सितंबर को पार्टी उम्मीदवार सतबीर दबलैन के लिए नरवाना में प्रचार किया और कांग्रेस को सत्ता में वापस लाने का वादा किया. कड़े मुकाबले वाले चुनाव के बीच में सक्रिय प्रचार अभियान से शैलजा के हटने से हाईकमान को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, लोकसभा सांसद शैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला के नेतृत्व वाले विभिन्न गुटों से संबंधित राज्य के वरिष्ठ नेताओं के बीच पुरानी अंदरूनी कलह का संज्ञान लेना पड़ा.
भाजपा ने भी इस मुश्किल समय में फायदा उठाने की कोशिश की थी और अफवाह फैलाई थी कि शैलजा पूर्व कांग्रेस नेता किरण चौधरी की तरह भगवा पार्टी में शामिल होने पर विचार कर रही हैं, जो कुछ महीने पहले सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो गई थीं और अब राज्यसभा सदस्य हैं.
इस बारे में ईटीवी भारत से बात करते हुए कुमारी शैलजा ने कहा कि मेरे पिता कांग्रेस में थे. मैं भी मरते दम तक कांग्रेस में ही रहूंगी. चुनाव के दौरान कई बार छोटी-मोटी बातें होती हैं. उन्होंने कहा कि हम सभी पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. जनता का मूड भाजपा के खिलाफ है और उन्हें अपने घर की बेहतर देखभाल करनी चाहिए. बता दें कि 22 सितंबर को भूपेंद्र हुड्डा के बेटे और लोकसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी कहा था कि हरियाणा के सभी नेता एक साथ हैं और एकजुट होकर प्रचार करेंगे.
हालांकि राज्य इकाई के एक वर्ग ने 23 सितंबर को अंबाला शहर और घरौंदा में निर्धारित खड़गे की दो रैलियों को अचानक रद्द करने को अंदरूनी कलह से जोड़ा, लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने स्पष्ट किया कि उन्हें आराम करने की सलाह दी गई है और राज्य के नेता जनसभाओं को संबोधित करेंगे. हरियाणा के प्रभारी एआईसीसी सचिव मनोज चौहान ने ईटीवी भारत से कहा, 'भाजपा सरकार ने पिछले 10 वर्षों में कुछ भी नहीं किया है लेकिन भगवा पार्टी अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए कांग्रेस पर आरोप लगाती रहती है. उन्होंने कहा कि हरियाणा में चुनाव एकतरफा कांग्रेस के पक्ष में है, लेकिन फिर भी हम कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
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