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विवाद के बाद अब खड़गे परिवार से जुड़े ट्रस्ट ने 5 एकड़ भूखंड लौटाया, जानें पूरा मामला - KARNATAKA NEWS

कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड ने सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को 5 एकड़ भूखंड आवंटित किया था. विवाद के बाद ट्रस्ट ने इसे लौटा दिया है.

Kharge family Siddhartha Vihara Trust Returns 5 Acres Civic Amenity Site To KIADB Karnataka News
कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 13, 2024, 8:35 PM IST

बेंगलुरु: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार से जुड़े सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट ने सीए प्लॉट के वितरण पर विवाद के बाद इसे कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) को लौटाने का फैसला किया है. ट्रस्ट ने 12 फरवरी, 2024 को केआईएडीबी को अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया था और एक महीने बाद प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी.

मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) मामले में केस दर्ज होने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती ने उनके आवंटित 14 भूंखड को लौटाने का फैसला किया था. अब सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट ने बेंगलुरु के एयरोस्पेस एंड हाई-टेक डिफेंस पार्क में कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा आवंटित 5 एकड़ सीए साइट (भूखंड) लौटाने का फैसला किया है.

विपक्षी भाजपा ने आरोप लगाया था कि नियमों का उल्लंघन करके सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को सीए साइट दी गई थी. इस संबंध में राज्यपाल से भी शिकायत की गई थी. राज्यपाल ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था. इसके बाद सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट ने केआईएडीबी सीए साइट लौटाने का फैसला किया है.

सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के ट्रस्टी राहुल खड़गे (जो मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे हैं) ने 5 एकड़ जमीन पर शोध एवं विकास प्रशिक्षण केंद्र खोलने का प्रस्ताव केआईएडीबी को सौंपा था. प्रस्ताव में कहा गया था कि कुल 25 करोड़ का निवेश किया जाएगा और 150 लोगों को रोजगार मिलेगा. हालांकि, प्रस्ताव में पैन कार्ड जमा नहीं कराया गया था. उद्योग मंत्री एमबी पाटिल की अध्यक्षता में हुई एकल निगरानी समिति की बैठक में सिफारिश की गई थी कि इस पर विचार किया जा सकता है.

भाजपा नेता नारायणस्वामी ने राज्यपाल से की थी शिकायत
विधान परिषद में विपक्ष के नेता चलवाडी नारायणस्वामी ने राज्यपाल से शिकायत की थी कि नियमों का उल्लंघन करने के बावजूद प्रभाव का इस्तेमाल कर सीए साइट आवंटित की गई. इसके अलावा, आरटीआई कार्यकर्ता गिरीश कल्लाहल्ली ने भी ईडी, लोकायुक्त और राज्यपाल से शिकायत की थी, जिसमें केआईएडीबी द्वारा सीए भूखंड के आवंटन में सत्ता के दुरुपयोग और नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था.

इस बारे में बात करते हुए मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, "व्यक्तिगत रूप से मैं राजनीतिक आरोपों से तंग आ चुका हूं. इसलिए ट्रस्टी राहुल खड़गे ने 20 सितंबर को पत्र लिखकर कहा है कि सीए साइट की जरूरत नहीं है. पत्र में कहा गया है कि हम सीए साइट पाने के हकदार हैं, इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. यह कहा गया है कि यह एक सार्वजनिक ट्रस्ट है, निजी ट्रस्ट नहीं. यह स्पष्ट किया गया है कि ट्रस्ट को मिलने वाले पैसे का किसी भी कारण से दुरुपयोग नहीं किया जाएगा. सीए साइट पर कोई छूट नहीं है."

प्रियांक खड़गे ने पत्र की प्रति साझा कर जानकारी दी
मल्लिकार्जुन खड़गे के छोटे बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने अपने एक्स हैंडल पर पत्र की स्कैन की गई प्रतियों के साथ भूंखड को लौटाने की जानकारी साझा की. केआईएडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को 20 सितंबर को लिखे पत्र में राहुल खड़गे ने लिखा, "मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर, प्रशिक्षण संस्थान और एक शोध केंद्र स्थापित करने के लिए सिविक एमेनिटी साइट के लिए हम अपने अनुरोध को वापस ले रहे हैं.

उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट का उद्देश्य छात्रों और बेरोजगार युवाओं के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों में कौशल विकास के माध्यम से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करना है. राहुल खड़गे ने कहा, "प्रस्तावित मल्टी-स्किल डेवलपमेंट सेंटर का मुख्य उद्देश्य युवाओं को अधिक रोजगार योग्य बनाना और कौशल तथा भविष्य के कौशल के साथ उद्योग के लिए तैयार करना है. इसे उन छात्रों की मदद करने के लिए भी डिजाइन किया गया था जो कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं."

उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने केआईएडीबी औद्योगिक क्षेत्र के भीतर एक साइट को प्राथमिकता दी क्योंकि यह उच्च-विकास उद्योगों के निकट है. यह युवाओं के लिए अमूल्य प्रदर्शन और अवसर प्रदान करेगा. उन्होंने बताया, "सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट एक सार्वजनिक शैक्षिक, सांस्कृतिक और धर्मार्थ ट्रस्ट है, न कि एक निजी या परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट. इसके तहत स्थापित सभी संस्थान लाभ के लिए नहीं हैं."

ट्रस्ट सीए साइट के आवंटन के लिए पात्र...
वहीं, प्रियांक खड़गे ने लिखा कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट एक शैक्षणिक संस्थान के लिए सीए साइट के आवंटन के लिए आवेदन करने और प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से पात्र है. लेकिन, कोई भी शैक्षणिक संस्थान लगातार दुर्भावनापूर्ण, निराधार और राजनीति से प्रेरित आरोपों का सामना करते हुए प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट लंबे समय तक चलने वाले विवादों में नहीं फंसना चाहता है जो शिक्षा और सामाजिक सेवा के प्राथमिक उद्देश्य से ध्यान और प्रयासों को विचलित कर देगा.

मंत्री ने कहा कि परिस्थितियों के मद्देनजर ट्रस्ट ने केआईएडीबी को पत्र लिखकर प्रस्ताव को वापस लेने और कौशल विकास एवं अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए सीए साइट के लिए अनुरोध को वापस लेने को कहा है.

यह भी पढ़ें- कर्नाटक में 7 बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, फर्जी आधार समेत अन्य दस्तावेज जब्त

बेंगलुरु: कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के परिवार से जुड़े सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट ने सीए प्लॉट के वितरण पर विवाद के बाद इसे कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी) को लौटाने का फैसला किया है. ट्रस्ट ने 12 फरवरी, 2024 को केआईएडीबी को अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया था और एक महीने बाद प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई थी.

मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) मामले में केस दर्ज होने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती ने उनके आवंटित 14 भूंखड को लौटाने का फैसला किया था. अब सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट ने बेंगलुरु के एयरोस्पेस एंड हाई-टेक डिफेंस पार्क में कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा आवंटित 5 एकड़ सीए साइट (भूखंड) लौटाने का फैसला किया है.

विपक्षी भाजपा ने आरोप लगाया था कि नियमों का उल्लंघन करके सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट को सीए साइट दी गई थी. इस संबंध में राज्यपाल से भी शिकायत की गई थी. राज्यपाल ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा था. इसके बाद सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट ने केआईएडीबी सीए साइट लौटाने का फैसला किया है.

सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के ट्रस्टी राहुल खड़गे (जो मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे हैं) ने 5 एकड़ जमीन पर शोध एवं विकास प्रशिक्षण केंद्र खोलने का प्रस्ताव केआईएडीबी को सौंपा था. प्रस्ताव में कहा गया था कि कुल 25 करोड़ का निवेश किया जाएगा और 150 लोगों को रोजगार मिलेगा. हालांकि, प्रस्ताव में पैन कार्ड जमा नहीं कराया गया था. उद्योग मंत्री एमबी पाटिल की अध्यक्षता में हुई एकल निगरानी समिति की बैठक में सिफारिश की गई थी कि इस पर विचार किया जा सकता है.

भाजपा नेता नारायणस्वामी ने राज्यपाल से की थी शिकायत
विधान परिषद में विपक्ष के नेता चलवाडी नारायणस्वामी ने राज्यपाल से शिकायत की थी कि नियमों का उल्लंघन करने के बावजूद प्रभाव का इस्तेमाल कर सीए साइट आवंटित की गई. इसके अलावा, आरटीआई कार्यकर्ता गिरीश कल्लाहल्ली ने भी ईडी, लोकायुक्त और राज्यपाल से शिकायत की थी, जिसमें केआईएडीबी द्वारा सीए भूखंड के आवंटन में सत्ता के दुरुपयोग और नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था.

इस बारे में बात करते हुए मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, "व्यक्तिगत रूप से मैं राजनीतिक आरोपों से तंग आ चुका हूं. इसलिए ट्रस्टी राहुल खड़गे ने 20 सितंबर को पत्र लिखकर कहा है कि सीए साइट की जरूरत नहीं है. पत्र में कहा गया है कि हम सीए साइट पाने के हकदार हैं, इसमें कोई गड़बड़ी नहीं हुई है. यह कहा गया है कि यह एक सार्वजनिक ट्रस्ट है, निजी ट्रस्ट नहीं. यह स्पष्ट किया गया है कि ट्रस्ट को मिलने वाले पैसे का किसी भी कारण से दुरुपयोग नहीं किया जाएगा. सीए साइट पर कोई छूट नहीं है."

प्रियांक खड़गे ने पत्र की प्रति साझा कर जानकारी दी
मल्लिकार्जुन खड़गे के छोटे बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने अपने एक्स हैंडल पर पत्र की स्कैन की गई प्रतियों के साथ भूंखड को लौटाने की जानकारी साझा की. केआईएडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को 20 सितंबर को लिखे पत्र में राहुल खड़गे ने लिखा, "मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर, प्रशिक्षण संस्थान और एक शोध केंद्र स्थापित करने के लिए सिविक एमेनिटी साइट के लिए हम अपने अनुरोध को वापस ले रहे हैं.

उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट का उद्देश्य छात्रों और बेरोजगार युवाओं के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों में कौशल विकास के माध्यम से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करना है. राहुल खड़गे ने कहा, "प्रस्तावित मल्टी-स्किल डेवलपमेंट सेंटर का मुख्य उद्देश्य युवाओं को अधिक रोजगार योग्य बनाना और कौशल तथा भविष्य के कौशल के साथ उद्योग के लिए तैयार करना है. इसे उन छात्रों की मदद करने के लिए भी डिजाइन किया गया था जो कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं."

उन्होंने कहा कि ट्रस्ट ने केआईएडीबी औद्योगिक क्षेत्र के भीतर एक साइट को प्राथमिकता दी क्योंकि यह उच्च-विकास उद्योगों के निकट है. यह युवाओं के लिए अमूल्य प्रदर्शन और अवसर प्रदान करेगा. उन्होंने बताया, "सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट एक सार्वजनिक शैक्षिक, सांस्कृतिक और धर्मार्थ ट्रस्ट है, न कि एक निजी या परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट. इसके तहत स्थापित सभी संस्थान लाभ के लिए नहीं हैं."

ट्रस्ट सीए साइट के आवंटन के लिए पात्र...
वहीं, प्रियांक खड़गे ने लिखा कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट एक शैक्षणिक संस्थान के लिए सीए साइट के आवंटन के लिए आवेदन करने और प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से पात्र है. लेकिन, कोई भी शैक्षणिक संस्थान लगातार दुर्भावनापूर्ण, निराधार और राजनीति से प्रेरित आरोपों का सामना करते हुए प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा कि ट्रस्ट लंबे समय तक चलने वाले विवादों में नहीं फंसना चाहता है जो शिक्षा और सामाजिक सेवा के प्राथमिक उद्देश्य से ध्यान और प्रयासों को विचलित कर देगा.

मंत्री ने कहा कि परिस्थितियों के मद्देनजर ट्रस्ट ने केआईएडीबी को पत्र लिखकर प्रस्ताव को वापस लेने और कौशल विकास एवं अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए सीए साइट के लिए अनुरोध को वापस लेने को कहा है.

यह भी पढ़ें- कर्नाटक में 7 बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, फर्जी आधार समेत अन्य दस्तावेज जब्त

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