नई दिल्ली: हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ दिल्ली की सीमा पर कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात सुरक्षा एजेंसियों को खुफिया जानकारी के बाद हाई अलर्ट पर रखा गया है कि खालिस्तानी समर्थक किसान आंदोलन का फायदा उठाकर गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने एक खुफिया रिपोर्ट के हवाले से मंगलवार को ईटीवी भारत को कहा कि 'जी हां, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगती दिल्ली की सीमा पर हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है. इस बात की पूरी संभावना है कि खालिस्तानी समर्थक अराजकता फैलाने और सुरक्षा बलों पर हमला करने की कोशिश कर सकते हैं. खालिस्तानी तत्व किसानों के विरोध प्रदर्शन में घुसपैठ की कोशिश कर सकते हैं.'
2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान कुछ घटनाओं के बाद खालिस्तानी कार्यकर्ताओं की संलिप्तता भी सामने आई. 2020-2021 के किसानों के विरोध में घुसपैठ करने के अलावा, एसएफजे कार्यकर्ता और समर्थक 2021 के गणतंत्र दिवस पर लाल किले की हिंसा में भी शामिल थे.
सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के प्रमुख और खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को मंगलवार को सोशल मीडिया पर प्रसारित एक नवीनतम वीडियो में आंदोलनकारी किसानों को भड़काते हुए पाया गया. वीडियो में पन्नू ने लोगों से मोदी की राजनीति को खत्म करने को कहा है. उसने लोगों से किसानों की रैली में खालिस्तानी झंडे लहराने को कहा है. उसने कहा कि भारत सरकार ने किसानों के लिए कुछ नहीं किया है.
पन्नू ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि 'दिल्ली के लिए मार्च मत करो, आपको दिल्ली पर अपना दावा करना चाहिए.' ईटीवी भारत से बात करते हुए दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर तैनात वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ऋषिपाल सिंह बालियान ने कहा कि वे आंदोलन पर कड़ी नजर रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. बालियान ने कहा कि 'ऐसी संभावना है कि असामाजिक तत्व आंदोलन का फायदा उठाकर अशांति पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं.'
जैसे ही प्रदर्शनकारी किसानों ने हरियाणा से राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने की कोशिश की, पुलिस ने पंजाब-हरियाणा शंभू सीमा पर उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. मंगलवार के दिल्ली चलो कार्यक्रम का नेतृत्व करने वाले संगठन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), किसानों को पेंशन, 2022-21 के आंदोलन में भाग लेने वाले किसानों के खिलाफ दर्ज पुलिस मामलों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
किसान आंदोलन पर प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) नेता हन्नान मोल्लाह ने कई किसान संगठनों के दिल्ली चलो कार्यक्रम से संगठन को अलग कर लिया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि एसकेएम ने 13 फरवरी को दिल्ली चलो का आह्वान नहीं किया है और एसकेएम का इस विरोध कार्रवाई से कोई लेना-देना नहीं है.
उन्होंने कहा कि 'हालांकि, एसकेएम के अलावा अन्य संगठनों को विरोध करने का अधिकार है और यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अत्यधिक राज्य दमन के बजाय ऐसे विरोध प्रदर्शनों को लोकतांत्रिक तरीके से व्यवहार करे.' मोल्ला ने पंजाब और दिल्ली की सीमाओं पर राजमार्गों पर लोहे की कीलें, कंटीले तार और कंक्रीट बैरिकेड्स लगाकर जिस तरह से केंद्र सरकार किसानों के विरोध प्रदर्शन को संभाल रही है, उसके खिलाफ अपना कड़ा असंतोष व्यक्त किया.
उन्होंने कहा कि 'प्रशासन दिल्ली और हरियाणा के आसपास धारा 144 लगा रहा है और जनता को बिना किसी पूर्व सलाह के यातायात को डायवर्ट कर रहा है और लोगों को डराने के लिए आतंक का माहौल बना रहा है. मोदी सरकार प्रदर्शनकारियों के साथ ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे कि वे देश के दुश्मन हों.' मोल्लाह ने कहा कि एसकेएम ने 16 फरवरी को ग्रामीण बंद और औद्योगिक, क्षेत्रीय हड़ताल का आह्वान किया है.
उन्होंने कहा कि 'हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यह स्पष्ट करने की अपील करते हैं कि उनकी सरकार लोगों की आजीविका की मांगों पर 16 फरवरी को देशव्यापी ग्रामीण बंद और औद्योगिक और क्षेत्रीय हड़ताल के आह्वान के संदर्भ में किसानों और श्रमिकों के मंचों से चर्चा के लिए तैयार क्यों नहीं है.' एसकेएम ने सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के निजीकरण और बिक्री के साथ-साथ श्रम के आकस्मिककरण के खिलाफ ग्रामीण बंद का आह्वान किया है.