इडुक्की: वायनाड भूस्खलन और कर्नाटक में तुंगभद्रा बांध का गेट टूटने की घटना के बाद केरल में मुल्लापेरियार बांध के आसपास के इलाकों में बसे लोगों में डर फैल रहा है. मुल्लापेरियार समारा समिति के संरक्षक फादर जॉय नीरापेल ने सवाल किया है कि क्या सरकारें 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों पर प्रतिबंध नहीं लगा रही हैं? फिर पुराने मुल्लापेरियार डैम को गिराकर नया बांध बनाने में क्यों हिचकिचाहट हो रही है?"
फादर जॉय नीरापेल ने कहा, "मुल्लापेरियार बांध का क्षेत्र भूकंप के लिहाज से काफी जोखिम वाला है. जिस इलाके में यह बांध बना है, वहां 6.5 तीव्रता के भूकंप आने की आशंका है. हाल के सालों में आसपास के इलाकों में 35-40 छोटे-मोटे झटके आ चुके हैं. इस बांध की आयु समाप्त हो चुकी है. पुराने और कमजोर हो चुके इस बांध का जल्द से जल्द जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए. वायनाड में भूस्खलन को कोई नहीं रोक सकता. सुरक्षा सबसे अहम है. अगर बांध की आयु समाप्त हो गई है, तो इसका क्या मतलब है? जान-माल की रक्षा करना उदारता की बात नहीं है; यह एक अधिकार है."
हाल ही में कर्नाटक के कोप्पल जिले में तुंगभद्रा बांध का एक गेट टूटने की घटना सामने आई है. देश के सबसे बड़े बांधों में से एक तुंगभद्रा डैम का एक गेट क्षतिग्रस्त होने से पूरे क्षेत्र में चिंता बढ़ गई है. इस घटना के कारण बांध से बड़ी मात्रा में पानी बह गया. तुंगभद्रा में कुल 33 गेट हैं और हाल ही में 19वें क्रेस्ट गेट की चेन टूट गई. टूटने के जोखिम को रोकने के लिए बांध के सभी 33 गेट खोल दिए गए हैं.
तुंगभद्रा और मुल्लापेरियार बांध में समानताएं
हालांकि तुंगभद्रा और मुल्लापेरियार बांध अलग-अलग राज्यों में स्थित हैं, लेकिन दोनों की सुरक्षा संबंधी चिंताएं समान हैं. वायनाड में विनाशकारी भूस्खलन के बाद मुल्लापेरियार बांध फिर से चर्चा का विषय बन गया है और तुंगभद्रा बांध से जुड़े खतरे अधिक व्यापक रूप से जाने जा रहे हैं.
तुंगभद्रा बांध मुल्लापेरियार की तरह एक सुरखी बांध है. दोनों बांधों का निर्माण सुरखी मोर्टार यानी लाल मिट्टी और चूना पत्थर के मिश्रण का उपयोग करके किया गया था. मुल्लापेरियार का आधार सुरखी मिट्टी, गुड़, गन्ने का रस और अंडे की सफेदी के मिश्रण से बनाया गया था. हालांकि, सुरखी से बने बांधों को मजबूत माना जाता है, लेकिन 2016 में महाराष्ट्र में सुरखी मिश्रण से बना एक पुल बह गया था. 88 साल पुराना पुल नष्ट हो गया था. अब सुरखी का उपयोग करके बनाया गया तुंगभद्रा बांध भी खतरा बन गया है.
मुल्लापेरियार में बढ़ती चिंता
तुंगभद्रा बांध के क्षतिग्रस्त होने से जहां कर्नाटक में चिंताएं बढ़ गई हैं, वहीं मुल्लापेरियार बांध ने केरल में डर पैदा किया है. मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है. क्या कर्नाटक में बांध के गेट का टूटना केरल के लिए एक चेतावनी है? केरल के 'वॉटर बम' कहे जाने वाले मुल्लापेरियार बांध से भी संभावित आपदा हो सकती है. जब भी बांध के जलग्रहण क्षेत्रों में तेज बारिश होती है तो मुल्लापेरियार क्षेत्र में भय पैदा हो जाता है. मुल्लापेरियार बांध के साथ संभावित आपदा केरल के पांच जिलों को नष्ट कर सकती है और राज्य के भौगोलिक दृश्य को बदल सकती है.
मुल्लापेरियार बांध की अधिकतम भंडारण क्षमता 152 फीट है, जबकि अनुमोदित भंडारण क्षमता 142 फीट है. 2010 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जस्टिस एएस आनंद समिति की सिफारिश के बाद 2014 में बांध में अनुमोदित जल स्तर 136 से बढ़ाकर 142 फीट कर दिया गया था. मुल्लापेरियार बांध को बंद करने की जोरदार मांग हो रही है.
बिशप ने सरकारों से समाधान खोजने का किया आग्रह
कांजिरापल्ली डायोसीज के बिशप जोस पुलिकल ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि मुल्लापेरियार बांध वास्तव में एक "वॉटर बम" है. उन्होंने केंद्र सरकार और केरल और तमिलनाडु की सरकारों से सहयोग करने और समाधान खोजने का आग्रह किया. बिशप पुलिकल ने चेतावनी दी कि अगर इस संदर्भ में तुरंत कार्रवाई नहीं की गई तो यह अकल्पनीय आपदा हो सकती है. उन्होंने सुझाव दिया कि इस सिद्धांत पर जल्द ही चर्चा होनी चाहिए कि केरल की सुरक्षा तमिलनाडु की जल आवश्यकताओं जितनी ही महत्वपूर्ण है.
15 अगस्त को व्यापक आंदोलन की तैयारी
वायनाड भूस्खलन और तुंगभद्रा बांध दुर्घटना ने मुल्लापेरियार में चिंता बढ़ा दी है. मुल्लापेरियार समारा समिति स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर व्यापक आंदोलन कार्यक्रमों की योजना बना रही है. मुल्लापेरियार के लिए संघर्ष एक बार फिर जोर पकड़ रहा है. समारा समिति मांग कर रही है कि केंद्र और राज्य सरकारें इस मुद्दे को गंभीरता से लें. समारा समिति के संरक्षक फादर जॉय निरपेल ने उप्पुथरा में आयोजित आंदोलन सम्मेलन का उद्घाटन किया. समिति ने सर्वसम्मति से मुद्दे को हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया. 15 अगस्त को विभिन्न स्थानों पर सर्वधर्म प्रार्थना और विरोध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
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