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वायनाड : घंटों इंतजार... नहीं आई एम्बुलेंस, बुजुर्ग महिला का शव ऑटो से ले गए श्मशान घाट - KERALA NEWS

केरल के वायनाड जिले में एंबुलेंस नहीं मिलने पर एक बुजुर्ग आदिवासी महिला के शव को ऑटोरिक्शा में रखकर श्मशान घाट ले जाना पड़ा.

Wayanad: No Ambulance, Elderly tribal woman's body taken to cemetery by auto
बुजुर्ग महिला का शव ऑटो से ले गए श्मशान घाट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 4 hours ago

वायनाड: केरल के वायनाड जिले में सरकारी अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है. यहां एक बुजुर्ग आदिवासी महिला के शव को श्मशान घाट ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली. स्थानीय लोग एंबुलेंस के लिए घंटों इंतजार के बाद शव को ऑटोरिक्शा में श्मशान घाट ले गए, जो घर से चार किलोमीटर दूर था.

आदिवासी महिला का निधन रविवार को उसके घर पर हुआ था और परिवार ने शव को कई किलोमीटर दूर स्थित श्मशान घाट ले जाने के लिए आदिवासी विकास कार्यालय से एंबुलेंस उपलब्ध करने का अनुरोध किया, लेकिन अधिकारियों की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया. अनुसूचित जाति कल्याण विभाग को अंतिम संस्कार सहित अन्य जरूरतों के लिए मुफ्त एम्बुलेंस उपलब्ध कराना चाहिए.

घंटों इंतजार के बाद जब एंबुलेंस नहीं आई, तो परिजनों ने शव को चटाई में लपेटा और ऑटोरिक्शा में रखकर श्मशान घाट ले गए. दो लोग पीछे की सीट पर बैठे थे और शव को हाथ से पकड़ रखा था. शव के कुछ हिस्से ऑटोरिक्शा के बाहर लटक रहे थे.

इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि स्थानीय आदिवासी विकास कार्यालय के प्रमोटर को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसने कार्यालय को एंबुलेंस की आवश्यकता के बारे में सूचित नहीं किया था. आदिवासी प्रमोटर महेश, जो अधिकारियों को एंबुलेंस की आवश्यकता के बारे में सूचित करने में विफल रहा, को निलंबित कर दिया गया है.

वहीं इस घटना की व्यापक आलोचना हुई. क्षेत्र के यूडीएफ कार्यकर्ताओं ने सोमवार सुबह आदिवासी विकास के कार्यालय के सामने इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

यह भी पढ़ें- युवा डॉक्टरों को ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में सेवा करनी चाहिए: राष्ट्रपति मुर्मू

वायनाड: केरल के वायनाड जिले में सरकारी अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है. यहां एक बुजुर्ग आदिवासी महिला के शव को श्मशान घाट ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिली. स्थानीय लोग एंबुलेंस के लिए घंटों इंतजार के बाद शव को ऑटोरिक्शा में श्मशान घाट ले गए, जो घर से चार किलोमीटर दूर था.

आदिवासी महिला का निधन रविवार को उसके घर पर हुआ था और परिवार ने शव को कई किलोमीटर दूर स्थित श्मशान घाट ले जाने के लिए आदिवासी विकास कार्यालय से एंबुलेंस उपलब्ध करने का अनुरोध किया, लेकिन अधिकारियों की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया. अनुसूचित जाति कल्याण विभाग को अंतिम संस्कार सहित अन्य जरूरतों के लिए मुफ्त एम्बुलेंस उपलब्ध कराना चाहिए.

घंटों इंतजार के बाद जब एंबुलेंस नहीं आई, तो परिजनों ने शव को चटाई में लपेटा और ऑटोरिक्शा में रखकर श्मशान घाट ले गए. दो लोग पीछे की सीट पर बैठे थे और शव को हाथ से पकड़ रखा था. शव के कुछ हिस्से ऑटोरिक्शा के बाहर लटक रहे थे.

इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि स्थानीय आदिवासी विकास कार्यालय के प्रमोटर को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसने कार्यालय को एंबुलेंस की आवश्यकता के बारे में सूचित नहीं किया था. आदिवासी प्रमोटर महेश, जो अधिकारियों को एंबुलेंस की आवश्यकता के बारे में सूचित करने में विफल रहा, को निलंबित कर दिया गया है.

वहीं इस घटना की व्यापक आलोचना हुई. क्षेत्र के यूडीएफ कार्यकर्ताओं ने सोमवार सुबह आदिवासी विकास के कार्यालय के सामने इस घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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