तिरुवनंतपुरम: केरल हाईकोर्ट ने दो अलग-अलग मामलों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के 9 नेताओं की जमानत याचिका खारिज कर दी है, जबकि पीएफआई के 17 कार्यकर्ताओं को जमानत दे दी है. इनमें से एक मामला आरएसएस नेता श्रीनिवासन हत्याकांड से जुड़ा है.
जस्टिस के जयशंकरन नांबियार और जस्टिस वीएम श्यामकुमार की बेंच ने प्रथम दृष्टया में पीएफआई नेताओं के खिलाफ लगाए गए आरोपों का हवाला देते हुए उनकी जमानत खारिज कर दी. वहीं, कोर्ट ने पीएफआई कार्यकर्ताओं को कड़ी शर्तों के साथ जमानत दी है.
एनआईए को सौंपना होगा पासपोर्ट
कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि आरोपियों को केवल एक मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करने की इजाजत होगी. मोबाइल फोन नंबर एनआईए जांच अधिकारी को देने होंगे. साथ ही, उनके मोबाइल फोन के जीपीएस ट्रैकर हमेशा चालू रहना चाहिए. कोर्ट ने जमानत पाने वाले आरोपियों को अपना पासपोर्ट एनआईए को सौंपने का भी निर्देश दिया है.
2023 में एनआईए ने दाखिल की थी याचिका
जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने पीएफआई नेता करमना अशरफ मौलवी, याहिया कोया थंगल और अब्दुल सथर की जमानत याचिका खारिज कर दी है. गौरतलब है कि केरल पुलिस ने शुरू में श्रीनिवासन हत्या मामले की जांच की. बाद में मामले की जांच एनआईए ने जांच अपने हाथ में ले ली. इसके बाद मार्च 2023 में एनआईए ने मामले में अपनी चार्जशीट दाखिल की.
इसके बाद पूरे भारत में पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया गया. एनआईए की चार्जशीट में 59 लोगों के नाम थे. पीएफआई कार्यकर्ताओं ने 16 अप्रैल, 2022 को पलक्कड़ में आरएसएस नेता श्रीनिवासन की हत्या कर दी थी.
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