ETV Bharat / bharat

'लिव-इन पार्टनर को पति का दर्जा नहीं, लिहाजा उसके खिलाफ प्रताड़ना का मामला नहीं चल सकता' - Live in Partner is not husband

Live in Partner is not Husband : केरल हाईकोर्ट ने कहा कि लिव इन पार्टनर को पति का दर्ज नहीं दिया जा सकता है, लिहाजा उसके खिलाफ 498 ए के तहत प्रताड़ना का कोई मामला नहीं बनता है.

Live in Partner , Concept Photo
लिव इन पार्टनर, कॉन्सेप्ट फोटो (IANS)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 11, 2024, 6:57 PM IST

Updated : Jul 11, 2024, 7:14 PM IST

कोच्चि : केरल हाईकोर्ट ने लिव इन पार्टनर पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने साफ-साफ कहा है कि लिव इन पार्टनर को पति का दर्ज नहीं दिया गया है, लिहाजा इस मामले में जो भी शिकायत आती है, उसे उसी आधार पर विवेचित किया जाएगा.

हाईकोर्ट ने कहा कि उसके सामने जो मामला लाया गया है, इस मामले में लिव इन पार्टनर के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए का कोई भी मामला नहीं बनता है. कोर्ट ने इसका आधार बताते हुए कहा कि इस कानून को सिर्फ और सिर्फ किसी भी महिला के पति या फिर रिश्तेदार के खिलाफ लगाया जाता है.

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि लिव इन पार्टनर इस आधार पर इस कानून का फायदा नहीं उठा सकते हैं कि उनके पार्टनर ने उनके साथ ज्यादती की है. आईपीसी की धारा 498 के तहत क्रूरता का मामला दर्ज किया जाता है.

गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया. इस मामले में शिकायतकर्ता एक महिला थी. महिला लिव इन पार्टनर के साथ रह रही थी. उसने आरोप लगाया कि उसका लिव इन पार्टनर उसके साथ क्रूरता कर रहा है. लिहाजा, इसके खिलाफ 498ए का मामला चलना चाहिए.

अदालत ने कहा कि आईपीसी की धारा 498ए का उपयोग तभी किया जा सकता है, जब आरोपी पति हो या फिर उसका कोई रिश्तेदार. कोर्ट ने कहा कि पति शब्द को भी यहां पर परिभाषित किया गया है.

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि पति का मतलब विवाहित पुरुष होता है, यानी उसकी शादी जिस पुरुष के साथ हुई है. विवाह के बाद ही किसी भी पुरुष को पति का दर्ज प्राप्त होता है. और एक बार जब उसे पति का दर्जा प्राप्त हो जाता है, उसके बाद महिला प्रताड़ना का आरोप 498ए के तहत लगा सकती है.

कोर्ट ने कहा कि विवाह का अर्थ कानून की नजर में वही है, जो आपलोग समझते हैं यानी पति.

याचिकाकर्ता महिला ने कहा था कि मार्च 2023 से अगस्त 2023 तक उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया था. उस समय वह लिव इन में रह रही थी.

ये भी पढ़ें : शाम होते ही ढोल की थाप पर नाचने लगता है पूरा गांव, जानिए क्यों सीख रहे चेंडा मेलम

कोच्चि : केरल हाईकोर्ट ने लिव इन पार्टनर पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने साफ-साफ कहा है कि लिव इन पार्टनर को पति का दर्ज नहीं दिया गया है, लिहाजा इस मामले में जो भी शिकायत आती है, उसे उसी आधार पर विवेचित किया जाएगा.

हाईकोर्ट ने कहा कि उसके सामने जो मामला लाया गया है, इस मामले में लिव इन पार्टनर के खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए का कोई भी मामला नहीं बनता है. कोर्ट ने इसका आधार बताते हुए कहा कि इस कानून को सिर्फ और सिर्फ किसी भी महिला के पति या फिर रिश्तेदार के खिलाफ लगाया जाता है.

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि लिव इन पार्टनर इस आधार पर इस कानून का फायदा नहीं उठा सकते हैं कि उनके पार्टनर ने उनके साथ ज्यादती की है. आईपीसी की धारा 498 के तहत क्रूरता का मामला दर्ज किया जाता है.

गुरुवार को एक मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने यह फैसला सुनाया. इस मामले में शिकायतकर्ता एक महिला थी. महिला लिव इन पार्टनर के साथ रह रही थी. उसने आरोप लगाया कि उसका लिव इन पार्टनर उसके साथ क्रूरता कर रहा है. लिहाजा, इसके खिलाफ 498ए का मामला चलना चाहिए.

अदालत ने कहा कि आईपीसी की धारा 498ए का उपयोग तभी किया जा सकता है, जब आरोपी पति हो या फिर उसका कोई रिश्तेदार. कोर्ट ने कहा कि पति शब्द को भी यहां पर परिभाषित किया गया है.

केरल हाईकोर्ट ने कहा कि पति का मतलब विवाहित पुरुष होता है, यानी उसकी शादी जिस पुरुष के साथ हुई है. विवाह के बाद ही किसी भी पुरुष को पति का दर्ज प्राप्त होता है. और एक बार जब उसे पति का दर्जा प्राप्त हो जाता है, उसके बाद महिला प्रताड़ना का आरोप 498ए के तहत लगा सकती है.

कोर्ट ने कहा कि विवाह का अर्थ कानून की नजर में वही है, जो आपलोग समझते हैं यानी पति.

याचिकाकर्ता महिला ने कहा था कि मार्च 2023 से अगस्त 2023 तक उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया था. उस समय वह लिव इन में रह रही थी.

ये भी पढ़ें : शाम होते ही ढोल की थाप पर नाचने लगता है पूरा गांव, जानिए क्यों सीख रहे चेंडा मेलम

Last Updated : Jul 11, 2024, 7:14 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.