कोच्चि : केरल हाई कोर्ट ने सोमवार को लॉ की 30 वर्षीय दलित छात्रा के साथ 2016 में हुए रेप और हत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने इस मामले में अपराधी अमीरुल इस्लाम को सत्र अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा को बरकरार रखा है. उच्च न्यायालय की खंड पीठ ने सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए दायर दोषियों की याचिका को खारिज कर दिया.
अमीरुल इस्लाम पर पेरुंबवूर में 28 अप्रैल 2016 को महिला से रेप के बाद उसकी हत्या करने का आरोप लगाया गया था. उसने एक दलित परिवार की छात्रा की उसके घर में हत्या करने से पहले उस पर धारदार हथियारों से बेरहमी से हमला किया. जिसके बाद साल 2017 में एर्नाकुलम प्रमुख सत्र अदालत ने असम के एक प्रवासी मजदूर इस्लाम को हत्या करने के लिए मौत की सजा सुनाई थी.
सत्र अदालत ने अमीरुल इस्लाम को भारतीय दंड संहिता की अलग-अलग धाराओं के तहत दोषी पाया, जिनमें 449 (मौत की सजा वाले अपराध को अंजाम देने के लिए घर में अनधिकृत प्रवेश), 342 (अनुचित रूप से कैद करके रखने के लिए सजा), 302 (हत्या), 376 (बलात्कार), और धारा 376 (ए) (बलात्कार करने के दौरान मौत की वजह बनना या महिला को लगातार निष्क्रिय अवस्था में रखना) शामिल हैं.
मामले की जांच करने वाली विशेष जांच टीम ने अपराध में इस्लाम की भूमिका साबित करने के लिए DNA और कॉल रिकॉर्ड डिटेल के सत्यापन का इस्तेमाल किया. अपराध करने के तुरंत बाद पेरुंबवूर छोड़ देने वाले इस्लाम को 50 दिन बाद पुलिस ने तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले से अरेस्ट किया गया था. इस मामले में 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने 1500 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की थी.
फैसला सुनाते हुए हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि डीएनए नमूनों सहित अन्य साक्ष्यों पर विश्वास किया जा सकता है. मामले की जांच करने वाली विशेष जांच टीम ने अपराध में इस्लाम की भूमिका साबित करने के लिए DNA और कॉल रिकॉर्ड डिटेल के प्रूफ का इस्तेमाल किया.